शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वाला भजन
(जय हो बाबा भूतनाथ जी)
हर हर बम बम बोल बन्दे,
हर हर बम बम बोल बन्दे,
शिवरात्रि का दिन आ गया, ओय सज गया डमरू वाला,
कोई बैल पे चढ़ के आ गया, गौरा को ब्याहनें वाला,
ये कैसी अजब बारात इस के भूत प्रेत है,
साथ देखो कैसा वेष निराला,
शिवरात्रि का दिन आ गया, ओय सज गया डमरू वाला,
कोई बैल पे चढ़ के आ गया, गौरा को ब्याहनें वाला,
अरे बजे हैं ढोल नगाड़े भूतो के लगे हुँकारें,
सज गई है चुड़ैले, सारी ये छम छम नाचे सारे,
तन भस्म रमा के आ गया पीकर के भंग का प्याला,
शिवरात्रि का दिन आ गया, ओय सज गया डमरू वाला,
कोई बैल पे चढ़ के आ गया, गौरा को ब्याहनें वाला,
मस्तक पे चंदा सोहे, और जटा से गंगा बहती,
ये लगे मदारी पूरा, और साथ में कुन्डा सोटी,
ले कान में बिच्छू आ गया, गले नाग की पहने माला,
शिवरात्रि का दिन आ गया, ओय सज गया डमरू वाला,
कोई बैल पे चढ़ के आ गया, गौरा को ब्याहनें वाला,
'
ये तीनों लोक का स्वामी, मेरा भोळा अन्तर्यामी,
है आदि अनादि भोले, महिमा वेदों ने बखानी
गौरा के मन को भा गया, गिरी (गायक संजय गिरी जी )शिवशंकर मतवाला
शिवरात्रि का दिन आ गया, ओय सज गया डमरू वाला,
कोई बैल पे चढ़ के आ गया, गौरा को ब्याहनें वाला,
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