तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं भजन
ये सोच कर के, दिल मेरा रोता,
अगर तू ना होता, तो मेरा क्या होता,
मेरा क्या होता,
कहने में 'मोहित' (लेखक) को शरम भी नहीं है,
तुमसे वज़ूद है सच भी यही है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
आँखों की भाषा भी कहती यही है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
ये रंगीन दुनियाँ, बदरंग है लगती,
छवि बस तुम्हारी, मेरे दिल में बसती,
मेरे दिल में बसती,
बिना तेरे होंठो की ये फीकी हँसी है,
सब कुछ है फिर भी तुम्हारी कमी है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
आँखों की भाषा भी कहती यही है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
मेरे अवगुणों को तुमने सुधारा,
हरदम हो आयें जब भी पुकारा,
मेरे अवगुणों को तुमने सुधारा,
हरदम हो आयें जब भी पुकारा, जब भी पुकारा,
समझ में ये आया मुझको,
तू हरदम सही है,
जो तेरी रज़ा, बस होता वही है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
आँखों की भाषा भी कहती यही है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
ये सोच कर के, दिल मेरा रोता,
अगर तू ना होता, तो मेरा क्या होता,
मेरा क्या होता,
कहने में 'मोहित' (लेखक) को शरम भी नहीं है,
तुमसे वज़ूद है सच भी यही है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
आँखों की भाषा भी कहती यही है,
तेरे बिना हम तो कुछ भी नहीं हैं,
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