ग्यारस के दिन माल लुटावें साँवरिया सरकार लिरिक्स Gyaras Ke Din Maal Lutave Sanvariya Sarkar Lyrics

ग्यारस के दिन माल लुटावें साँवरिया सरकार लिरिक्स Gyaras Ke Din Maal Lutave Sanvariya Sarkar Lyrics

 
ग्यारस के दिन माल लुटावें साँवरिया सरकार लिरिक्स Gyaras Ke Din Maal Lutave Sanvariya Sarkar Lyrics

ग्यारस के दिन माल लुटावे साँवरिया सरकार,
ओ बावरे, चल साँवरिया के दरबार,
ग्यारस के दिन माल लुटावें साँवरिया सरकार,
ओ बावरे, चल साँवरिया के दरबार,

लेके निशान प्यारे खाटू में जाना,
जाके प्रभु को अपनी अरजी सुनाना,
इक बार में ही तेरी अरजी, कर लेंगे स्वीकार,
ओ बावरे, चल साँवरिया के दरबार,

अर्जी को पढ़ के बाबा कष्ट मिटाये गे,
ज़मी से उठा के तुझको गले से लगाए गे,
इक पल देर करे न संवारा भर देगा भण्डार,
ओ बावरे, चल साँवरिया के दरबार,
 
जो भी गया है दर पे बन के सवाली.
लौट के आया जब भी झोली न थी खाली,
उसका हाथ पकड़ लिया उस ने होती न उसकी हार ,
ओ बावरे, चल साँवरिया के दरबार,

रविंदर ने अर्जी दर पे जब जब लगाई,
इक पल देर न की करदी सुनाई,
हारो को ये देता सहारा नीले का असवार,
ओ बावरे, चल साँवरिया के दरबार,


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