होली खेल रहे कान्हा ब्रज की पावन भजन
होली खेल रहे कान्हा ब्रज की पावन गलियन में,
पावन गलियन में सखी री मनभावन गलियन में,
खेलत खेलत मिल गयी राधा छुप गयी सखियन में,
लपक झपक सखियन बीच पहुंचे छुप ले गए कुंजन में होली खेल,
ढूढ़ रहे कान्हा अपनी सुरतिया राधे की अखियन में।होली खेल रहे,
तुम बिन राधे होली न भावे गोकुल मधुबन में।
होली खेल रहे,
छलक पड़ी है रस की गगरिया राधे के नैनन में।
होली खेल रहे कान्हा,
पावन गलियन में सखी री मनभावन गलियन में,
सांवली सूरत मोहिनी मूरत बस गयी अखियन में,
होली खेल ....खेल रहे कान्हा...
पावन गलियन में सखी री मनभावन गलियन में,
ये होली तो एक बहाना तुम ही हो तन मन मे में,
होली खेल रहे कान्हा...
पावन गलियन में सखी री मनभावन गलियन में,
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