कैसी होरी मचाई कन्हाई लिरिक्स Kaisi Hori Machai Kanhayi Lyrics

कैसी होरी मचाई कन्हाई लिरिक्स Kaisi Hori Machai Kanhayi Lyrics

 
कैसी होरी मचाई कन्हाई लिरिक्स Kaisi Hori Machai Kanhayi Lyrics

 कैसी होरी मचाई, कन्हाई
अचरज लख्यो ना जाई, कैसी होरी मचाई...

एक समय श्री कृष्णा प्रभु को, होरी खेलन मन भाइ
एक से होरी मचे नहीं कबहू, याते करूँ बहुताई
यही प्रभु ने ठहराई, कैसी होरी मचाई...
पांच भूत की धातु मिलाकर, अण्ड पिचकारी बनाई
चौदह भुवन रंग भीतर भर के, नाना रूप धराई
प्रकट भये कृष्ण कन्हाई, कैसी होरी मचाई...

पांच विषय की गुलाल बना के, बीच ब्रह्माण्ड उड़ाई
जिन जिन नैन गुलाल पड़ी वह, सुध बुध सब बिसराई
नहीं सूझत अपनाई, कैसी होरी मचाई...


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1 टिप्पणी

  1. Bahut khub