जब गाय नहीं होगी तो गोपाल कहाँ होंगे भजन
गाय का महत्त्व समझने में अभी भी कुछ देरी हो रही है, जो एक तरह से षड्यंत्र जैसा है। जहाँ दूसरे देश भारत से गाय का दूध और घी, गाय का मूत्र मँगवा रहे हैं वहीँ हमने भैंसे और जर्सी बाँध रखी है। गाय का दूध, घी और मूत्र अमृत है। अब जब इनको वैज्ञानिक स्तर पर सिद्ध किया जा चूका है तो सम्भव है की देसी गाय की महिमा को लोग समझें। गाय को बूचड़ खाने से बचाना जितना आवश्यक है उतना ही गाय को उचित पोषण मिले, वह आवारा न फिर है।
जब गाय नहीं होगी,
तो गोपाल कहाँ होंगे,
हम सब इस दुनियाँ में,
खुशहाल कहाँ होंगे,
गौ माता के सींगो पर ,
धरती यह भारी है,
भोले शिव शंकर की,
नन्दी पे सवारी है,
नंदी के बिना भोले,
असवार कहाँ होंगे,
जब गाय नहीं होगी,
तो गोपाल कहाँ होंगे,
हम सब इस दुनियाँ में,
खुशहाल कहाँ होंगे,
गौ माता की महिमा ,
क्या तुमको बतलाऊं,
नहीं शक्ति है मुझमें ,
मै इसको लिख पाऊं,
जब माँ ही रहेगी ना,
तो लाल कहाँ होंगे,
जब गाय नहीं होगी,
तो गोपाल कहाँ होंगे,
हम सब इस दुनियाँ में,
खुशहाल कहाँ होंगे,
मेरे बाँके बिहारी भी,
गउओ को चराते है,
गऊ सेवा करने से,
गोपाल कहाते है,
गऊ सेवा बिन हम सब,
भव पार कहाँ होंगे,
जब गाय नहीं होगी,
तो गोपाल कहाँ होंगे,
हम सब इस दुनियाँ में,
खुशहाल कहाँ होंगे,
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