कैसी होरी मचाई कन्हाई लिरिक्स Kaisi Hori Machai Lyrics Hindi

कैसी होरी मचाई कन्हाई लिरिक्स Kaisi Hori Machai Lyrics Hindi

 
कैसी होरी मचाई कन्हाई लिरिक्स Kaisi Hori Machai Lyrics Hindi

कैसी होरी मचाई कन्हाई,
अचरज रखियों न जाई,
एक समय श्री कृष्ण प्रभु को,
होरी खेलन मन भाईं
एक से होरी मचे नहीं कबहुँ,
या ते कहु बहुताई, याहि प्रभु देह ठहराई,
कैसी होरी मचाई कन्हाई,
अचरज रखियों न जाई,
पाँच भूत की धातु मिलाकर,
अण्ड पिचकारी बनाई,
चौदह भुवन रंग भीतर भरके,
नाना रूप धराई ,प्रकट भये कृष्ण कन्हाई,
कैसी होरी मचाई कन्हाई,
अचरज रखियों न जाई,

पाँच विषय की गुलाल बनाकर,
बीच ब्रह्माण्ड उड़ाई,
जिन-जिन नयन गुलाल पड़ी वह,
सुध बुध सब बिसराई ,कछु सूझत अब नाही,
कैसी होरी मचाई कन्हाई,
अचरज रखियों न जाई,

वेद अवेद अञ्जन की शिलाखा ,
जिसने नयन में पाई,
ब्रम्हानन्द जिस का तस न्यासों,
सूझ पड़ी अपनाई, होरी कछु बनी ना बनाई ,
कैसी होरी मचाई कन्हाई,
अचरज रखियों ना जाई,


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