राधे राधे गा ले मन दूर नहीं है वृन्दावन लिरिक्स Radhey Radhey Ga Le Man Door Nahi Hai Lyrics

राधे राधे गा ले मन दूर नहीं है वृन्दावन लिरिक्स Radhey Radhey Ga Le Man Door Nahi Hai Lyrics

 
राधे राधे गा ले मन दूर नहीं है वृन्दावन लिरिक्स Radhey Radhey Ga Le Man Door Nahi Hai Lyrics
 
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,
अर्पण कर अपना तन मन,
दूर नहीं है वृन्दावन,
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,

वृन्दावन में जो कोई आता,
राधा वल्लभ दर्शन पाता,
राधा वल्लभ दर्शन पाता,
शीतल कर अपना तन मन,
दूर नहीं है वृन्दावन,
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,

राधे के जो हुए दीवानें,
झूम रहें हैं हो मस्तानें,
खिल जाए मन का उपवन,
दूर नहीं है वृन्दावन,
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,

राधे राधे मन से गा ले,
जीवन अपना सफल बना ले,
जीवन अपना सफल बना ले,
कर लो हृदय में तुम दर्शन,
दूर नहीं है वृन्दावन,
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,

तेरा मन हो जाए पावन,
मन बन जाए रज वृन्दावन,
मन बन जाए रज बृन्दावन,
मन में बस जाएँ मोहन,
दूर नहीं है वृन्दावन,
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,
अर्पण कर अपना तन मन,
दूर नहीं है वृन्दावन,
राधे राधे गा ले मन, दूर नहीं है वृन्दावन,
दूर नहीं है वृन्दावन, दूर नहीं है वृन्दावन,


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1 टिप्पणी

  1. सादर सहृदय_/\_प्रणाम प्रिय बहन।
    जय जय श्री राधेकृष्णा।

    "समर्पण का एक संकल्प बदल सकती है आपके मन और जीवन की दशा और दिशा"
    क्यों कि जिसे भगवद् शरण मिल जाए
    उसका जीवन सर्वब्यापी परमात्मा के द्वारा आरछित-सुरछित हो जाता है
    अनहोनी से बचाव और होनी में मंगल छिपा होता है।
    तथा मायापति की माया से भी अभयता मिलती है
    क्यों कि माया का मूल स्वरूप हमारे मन में स्थित भावनाऐं है
    जिन्हें हम भवसागर कहते हैं
    भगवद कृपाओं से हमें इसमें तैरना आ जाता है
    जिसके कारण हमारा मन विपरीत विषम् परिस्थितियों में भी शान्ति,प्रेम, और आनन्दमयी रहना सीख लेता है।

    "हमारे व हमारे अपनों के जीवन के लिए अति कल्याणकारी और महत्वपूर्ण, सद्गुण प्रदायिनी,भवतार
    िणी,शान्ति, भक्ति(प्रेम) और मोछप्रदायिनी भावना(प्रार्थना)"
    (जिसे स्वयँ के साथ बच्चों से भी किसी शुद्ध स्थान अथवा शिवलिँग पर कम से कम एक बार तो एक लोटा जल चढ़ाते हुए अवश्य करेँ और करवाऐँ) -
    1 ."हे जगतपिता", "हे जगदीश्वर" ये जीवन आपको सौँपता हूँ
    इस जीवन नैया की पतवार अब आप ही सँभालिए।
    2 ."हे करूणासागर" मैँ जैसा भी हूँ खोटा-खरा अब आपके ही शरण मेँ हू…