
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
श्री सालासर बालाजी के दर्शन का सर्वोत्तम समय
श्रावण शुक्ल नवमी, श्री हनुमान जयंती, आश्विन शुक्ल चतुर्दशी और भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को भक्त विशेष रूप से सालासर बालाजी के दर्शन करने आते हैं। मंगलवार और शनिवार को बालाजी के दर्शन करना, हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। चैत्र मास अप्रैल और आश्विन मास अक्टूबर की पूर्णिमाओं पर यहां विशाल मेला लगता है जो काफी दिनों तक चलता है और काफी प्रसिद्ध है। इस समय हरियाणा और राजस्थान के हर भाग से लोग पैदल चलकर भी बालाजी के दर्शन को आते हैं जिनके लम्बी लम्बी कतारें लगती हैं।
श्री सालासर बालाजी दर्शन टाइम Salasar Balaji Temple Timing :
श्री सालासर धाम मंदिर खुलने और कपाट बंद होने का समय निम्न प्रकार से है।
मंदिर खुलने का समय -सुबह 04 बजे।
मंदिर के बंद होने का समय - रात्रि 10 बजे।
श्री सालासर बालाजी आरती टाइम Salasar Balaji Temple Aarti Timing : श्री सालासर बालाजी की आरती का समय निम्न प्रकार से रहता है।
सालासर बालाजी मंगल आरती : -सुबह 05 बजे।
सालासर बालाजी राज भोग समय - सुबह 10. 30 बजे।
राजभोग आरती - प्रातः 11 बजे (प्रत्येक मंगलवार को )।
धूप और मोहनदास जी की आरती- सांय 06 बजे।
बालाजी की आरती : सांय 07.30 बजे
बाल भोग आरती - रात्रि 08 .15 बजे
सालासर बालाजी शयन आरती- रात्रि 10 बजे।
श्री हनुमान जी को बालाजी क्यों कहते हैं Why Hanuman is called Balaji?
बालाजी और हनुमान जी कोई अंतर नहीं है। बालाजी से आशय है श्री हनुमान जी का "बाल" स्वरुप, बाल्य अवस्था। श्री हनुमान जी को ही श्रद्धा पूर्वक भक्त जन बालाजी के नाम से पुकारते हैं। बाल स्वरुप को लोग नजदीक इसलिए भी मानते हैं क्योंकि श्री हनुमान जी के बाल स्वरुप को रिझाना सरल है। श्री हनुमान का सूर्य को फल समझ कर खा लेना उनके बाल्य काल की घटनाओं में बहुत ही प्रसिद्ध है। श्री सालासर धाम के अतिरिक्त, दो जाँटी बालाजी, श्री मेहंदीपुर बालाजी आदि कई अन्य हनुमान जी के प्रसिद्द मंदिर हैं जिन्हे बालाजी धाम के नाम से जाना जाता है।
श्री सालासर बालाजी के बारे में रोचक बातें Interesting Facts About Shri Salasar Balaji Temple
श्री सालासर बालाजी की मूर्ति पहले ऐसी नहीं थी : कई स्थानों पर वर्णन प्राप्त होता है की बालाजी की जो मूर्ति गिठाला कृषक परिवार को मिली थी उस मूर्ति में श्री हनुमान जी राम और लक्ष्मण जी को कन्धों पर उठाये हुए हैं। श्रावण द्वादशी मंगलवार को भक्त शिरोमणि मोहनदास जी ने जब हनुमान जी उस मूर्ति का श्रृंगार शुरू किया तो एक चमत्कार हुआ जिसमें राम लक्ष्मण को कन्धों पर उठाये श्री हनुमान जी की मूर्ति के स्थान पर वर्तमान दाढ़ी मूंछों वाली हनुमान जी की मूर्ति स्वतः ही प्रकट हो गई। इस मूर्ति में श्री हनुमान जी के दाढ़ी मूंछे थे और पास में गदा, विशाल नयन अपर पर्वत दिखाई देता है।
अंजनी माता का मंदिर : श्री सालासर बालाजी धाम में सालासर के मंदिर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर माता अंजनी का भी मंदिर है। अंजनी माता का मंदिर सालासर से लक्ष्मणगढ़ जाने वाले सड़क मार्ग पर स्थापित है। माता अंजनी की गोद में बाल रूप में बालाजी के दर्शन किये जा सकते हैं।
श्री सालासर बालाजी धाम पहले था "तेतरवालों की ढाणी" : सालासर गाँव पहले "तेतरवालों की ढाणी" के नाम से जाना जाता था और जब ठाकुर 'सालेम सिंह' सालासर आकर रहे तो इस गाँव का नाम सालासर कर दिया गया। बालाजी के प्रसिद्ध मंदिर के कारण अब इसी गाँव को "सालासर" के नाम से पहचाना जाता है। मोहनदास जी के द्वारा बालाजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के उपरान्त इस गाँव को सालासर के स्थान पर "सालासर धाम", "सालासर बालाजी" के नाम से पहचाना जाने लगा है।
सालासर मंदिर के निर्माण में मुस्लिम भी : बालाजी के इस मंदिर के निर्माण में मुस्लिम कारीगरों का भी योगदान है। फतेहपुर (राजस्थान) के नूर मोहम्मद और दाऊ नाम के कारीगरों ने इस मंदिर के निर्माण कार्य में अपना योगदान दिया था। ये कारीगर मोहनदास के परिचित थे जिन्हे उन्होंने ही मंदिर निर्माण के लिए फ़तेहपुर से बुलवाया था। मुस्लिम कारीगरों के निर्माण कार्य में शामिल होने के बावजूद भी इस मंदिर की स्थापत्य शैली/ निर्माण पूर्णतया हिन्दू शैली में ही है।
श्री मोहन दास की का धूणा: मंदिर के पास ही श्री मोहनदास जी का धूणा है जहाँ पर वे श्री बालाजी का ध्यान करते थे। इस धूणे में तभी से आज तक अखंड जोत जगाई गई है। पास ही मोहनदास जी की समाधी भी है।
श्री मोहन दास की समाधी: मंदिर के पास ही बालाजी के परम भक्त मोहन दास जी की समाधी भी स्थापित है जहाँ उन्होंने कानीबाई की मृत्यु के बाद समाधी ली थी। समाधी के अलावा यहाँ मोहनदास की का अखंड धूणा है और दो "कोठले" भी हैं जहाँ पर कभी समाप्त नहीं होने वाला अन्न का भण्डार भी था।
श्री सालासर बालाजी का भोग : श्री सालासर बालाजी को मोहनदास जी बाजरे और मोठ की खिंचड़ी का भोग लगाया करते थे तभी से बालाजी को बाजरे और मोठ से बनी खिंचड़ी का भी भोग लगाया जाता है। भक्त जन यहाँ सवामणी भी करवाते हैं जिनमे श्रद्धालुओं को चूरमा प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है। खिंचड़ी के अतिरिक्त चूरमे (चूरमे का लड्डू) और पेड़े का भी भोग लगाया जाता है। वर्तमान में भी पारम्परिक रूप से रोटा और खींचड़े का भोग लगाया जाता है।
श्री सालासर बालाजी है एक मात्र मंदिर : श्री सालासर हनुमान जी का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहाँ पर हनुमान जी के दाढ़ी मूंछे दिखाई देती है। दाढ़ी मूंछों की अन्य कोई प्रतिमा श्री हनुमान जी के रूप में दिखाई नहीं देती है।
जब डाकू कुछ नहीं बिगाड़ पाए सालम सिंह और धीरज सिंह का : तात्कालिक समय में सालासर गाँव बीकानेर रियासत के अधीन था और यहाँ के ठाकुर (सालासर) सालम सिंह थे। एक बार डाकुओं के बड़े समूह ने सालम सिंह के इलाकों पर लूट मार के उद्देश्य से हमला बोल दिया, अचानक हुए इस हमले के कारण बीकानेर से मदद आना सम्भव नहीं था। सालम सिंह और आस पास के गाँवों की सुरक्षा का जिम्मा रखने वाले धीरज सिंह हताश होकर मोहनदास जी पास, सालासर मंदिर में पँहुचे और उन्होंने वहाँ मदद की गुहार लगाईं। मोहनदास जी ने उन्हें आश्स्वत किया की बालाजी का नाम लेकर दुश्मन पर आक्रमण कर देना विजय तुम्हारी ही होगी। सालम सिंह और धीरज सिंह ने ऐसा ही किया और वे दुश्मनों को गाँवों से बाहर खदेड़ने में सफल रहे। इस पर सालम सिंह और धीरज सिंह ने मंदिर निर्माण में सहयोग किया।
श्री सालासर बालाजी की प्रतिमा को लाने वाली बैल गाड़ी : असोटा गाँव से बालाजी की मूर्ति को सालासर में मोहनदास के पास भेजा गया था और जिस बैलगाड़ी में उसे लाया गया था वह आज भी मंदिर परिसर के पास बने कमरे में सुरक्षित रखी गई है।
श्री सालासर बालाजी धाम में ठहरने की व्यवस्था।
Sangrur Dharamshala संगरूर धर्मशाला (750 metres from temple)
Smt Laxmi Devi Poddar Seva Sadan श्रीमती लक्ष्मी देवी पोद्दार सेवा सदन (1.5 Km from temple)
Dabwali Dharamshala डबवाली धर्मशाला (450 metres from temple)
Sangaria Dharamshala संगरिया धर्मशाला (550 metres from temple)
Shri Ram Seva Sadan श्री राम सेवा सदन (600 metres from temple)
Maruti Dham मारुती धाम धर्म शाळा (2.0 km from temple)कैसे पहुंचे श्री सालासर धाम : श्री सालासर धाम बालाजी के मंदिर में पहुंचने के कई माध्यम उपलब्ध हैं। यदि आप स्वंय के वाहन से सालासर धाम आना चाहते हैं तो यह मंदिर सभी प्रमुख राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। बीकानेर जयपुर मार्ग पर लक्ष्मणगढ़ से आप इस मंदिर के लिए जाने वाली सड़क का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुजानगढ़ से आप सीधे सालासर धाम पंहुच सकते हैं। रेल मार्ग में आप सीकर, जयपुर आदि स्थानों का चयन कर सकते हैं। नजदीकी हवाई अड्डा सांगानेर एयर पोर्ट, जयपुर है जो लगभग १८० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सालासर से नजदीक रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ 25 कि.मी., रतनगढ़ 45 कि.मी., सीकर 55 कि.मी., डीडवाना (वाया गनेडी) 42 कि.मी., डीडवाना वाया सुजानगढ़ 75 कि.मी., लक्ष्मणगढ़ 32 कि.मी., जयपुर 175 कि.मी.
श्री सालासर बालाजी की आरती लिरिक्स
जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला,
चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन खुशी मन में,
प्रकट भए सुर वानर तन में, विदित यश विक्रम त्रिभुवन में,
दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई नभ ओर,
तब जननी की गोद से पहुंच, उदयाचल पर भोर,
अरुण फल लखि रवि मुख डाला,
कृपा कर सालासर वाला,
तिमिर भूमण्डल में छाई, चिबुक पर इंद्र वज्र बाए,
तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाए,
उस अवसर में रुक गयो, पवन सर्व उन्चास,
इधर हो गयो अंधकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास,
भए ब्रह्मादिक बेहाला,
कृपा कर सालासर वाला,
देव सब आए तुम्हारे आगे, सकल मिल विनय करन लागे,
पवन कू भी लाए सांगे, क्रोध सब पवन तना भागे,
सभी देवता वर दियो, अरज करी कर जोड़,
सुनके सबकी अरज गरज, लखि दिया रवि को छोड़,
हो गया जग में उजियाला,
कृपा कर सालासर वाला,
रहे सुग्रीव पास जाई, आ गए वन में रघुराई,
हरी रावण सीतामाई, विकल फिरते दोनों भाई,
विप्र रूप धरि राम को, कहा आप सब हाल,
दुःख सुग्रीव तना टाला,
कृपा कर सालासर वाला,
आज्ञा ले रघुपति की धाया, लंक में सिंधु लांघ आया,
हाल सीता का लख पाया, मुद्रिका दे वनफल खाया,
वन विध्वंस दशकंध सुत, वध कर लंक जलाय,
चूड़ामणि संदेश सिया का, दिया राम को आय,
हुए खुश त्रिभुवन भूपाला,
कृपा कर सालासर वाला,
जोड़ी कपि दल रघुवर चाला, कटक हित सिंधु बांध डाला,
युद्ध रच दीन्हा विकराला, कियो राक्षसकुल पैमाला,
लक्ष्मण को शक्ति लगी, लायौ गिरी उठाय,
देइ संजीवन लखन जियाए, रघुबर हर्ष सवाय,
गरब सब रावन का गाला,
कृपा कर सालासर वाला,
रची अहिरावन ने माया, सोवते राम लखन लाया,
बने वहां देवी की काया, करने को अपना चित चाया,
अहिरावन रावन हत्यौ, फेर हाथ को हाथ,
मंत्र विभीषण पाय आप को, हो गयो लंका नाथ,
खुल गया करमा का ताला,
कृपा कर सालासर वाला,
अयोध्या राम राज्य कीना, आपको दास बना दीना,
अतुल बल घृत सिंदूर दीना, लसत तन रूप रंग भीना,
चिरंजीव प्रभु ने कियो, जग में दियो पुजाय,
जो कोई निश्चय कर के ध्यावे, ताकी करो सहाय,
कष्ट सब भक्तन का टाला,
कृपा कर सालासर वाला,
भक्तजन चरण कमल सेवे, जात आत सालासर देवे,
ध्वजा नारियल भोग देवे, मनोरथ सिद्धि कर लेवे,
कारज सारों भक्त के, सदा करो कल्याण,
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के, बालकृष्ण धर ध्यान,
नाम की जपे सदा माला,
कृपा कर सालासर वाला,
Salasar Balaji Aarti - JAG MAG JAG MAG | Sampath Dadhich,Namrata Karva | Rajasthani Bhakti Song 2016