श्री सालासर बालाजी कथा Shri Salasar Balaji History in Hindi

श्री सालासर बालाजी की कथा Shri Salasar Balaji History in Hindi

 
श्री सालासर बालाजी कथा Shri Salasar Balaji History in Hindi

सालासर बालाजी का निर्माण इतिहास : श्री सालासर बालाजी के सालासर धाम में स्थापित होने की एक प्राचीन कथा है जो ईस्वी सं १७५४ (संवत १८११) की है। नागौर (राजस्थान) के असोटा गाँव में गिंठाला (जाट गौत्र) जाट किसान अपने खेतों में जुताई का काम कर रहा था। जब किसान का हल किसी ठोस वस्तु से टकराया तब उस किसान ने निचे खोद कर देता तो वहाँ पर उसे एक हनुमान जी की मूर्ति दिखाई दी। जब किसान ने खाना देने आई अपनी पत्नी को वह मूर्ति दिखाई तो किसान की पत्नी ने उसे अपनी साड़ी से साफ़ किया और अपने घर ले आये। खेत में हनुमान जी की मूर्ति मिलने की खबर पुरे गाँव में फैल गयी। वहीँ आसोटा गाँव के ठाकुर को एक सपना आया जिसमे उन्हें निर्देश मिले की खेत में मिली हनुमान जी की मूर्ति को वे सालासर गाँव में भेज दे जहाँ पर उनका परम भक्त "मोहनदास" जी रहते थे। इसी रोज श्री मोहनदास जी महाराज भी अपने सपने में बालाजी को देखते हैं। जब मोहनदास जी ने अपने सपने में बालाजी के आने और मूर्ति के विषय पर असोटा गांव के ठाकुर को सन्देश भेजा तो वे चकित रह गए की कैसे उन्हें इस मूर्ति के विषय में पता चला। गांव के ठाकुर के कहने पर बालाजी की मूर्ति को सालासर के लिए बैल गाडी में रखकर भिजवा दिया गया। मान्यता है की आज भी मंदिर में उस बैलगाड़ी को सुरक्षित रखा गया है। भक्त मोहनदास जी ने ही यहाँ पर बालाजी के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की और यहीं पर मोहनदास जी का धूणा है जिसमे अखंड जोत प्रज्वलित है।

श्री सालासर बालाजी के दर्शन का सर्वोत्तम समय Best Time To Visit Salasar Balaji Temple

श्रावण शुक्ल नवमी, श्री हनुमान जयंती, आश्विन शुक्ल चतुर्दशी और भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को भक्त विशेष रूप से सालासर बालाजी के दर्शन करने आते हैं। मंगलवार और शनिवार को बालाजी के दर्शन करना, हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। चैत्र मास अप्रैल और आश्विन मास अक्टूबर की पूर्णिमाओं पर यहां विशाल मेला लगता है जो काफी दिनों तक चलता है और काफी प्रसिद्ध है। इस समय हरियाणा और राजस्थान के हर भाग से लोग पैदल चलकर भी बालाजी के दर्शन को आते हैं जिनके लम्बी लम्बी कतारें लगती हैं।


श्री सालासर बालाजी दर्शन टाइम Salasar Balaji Temple Timing :
श्री सालासर धाम मंदिर खुलने और कपाट बंद होने का समय निम्न प्रकार से है।
मंदिर खुलने का समय -सुबह 04 बजे।
मंदिर के बंद होने का समय - रात्रि 10 बजे।
श्री सालासर बालाजी आरती टाइम Salasar Balaji Temple Aarti Timing : श्री सालासर बालाजी की आरती का समय निम्न प्रकार से रहता है।
सालासर बालाजी मंगल आरती : -सुबह 05 बजे।
सालासर बालाजी राज भोग समय - सुबह 10. 30 बजे।
राजभोग आरती - प्रातः 11 बजे (प्रत्येक मंगलवार को )।
धूप और मोहनदास जी की आरती- सांय 06 बजे।
बालाजी की आरती : सांय 07.30 बजे
बाल भोग आरती - रात्रि 08 .15 बजे
सालासर बालाजी शयन आरती- रात्रि 10 बजे।

श्री हनुमान जी को बालाजी क्यों कहते हैं Why Hanuman is called Balaji?

बालाजी और हनुमान जी कोई अंतर नहीं है। बालाजी से आशय है श्री हनुमान जी का "बाल" स्वरुप, बाल्य अवस्था। श्री हनुमान जी को ही श्रद्धा पूर्वक भक्त जन बालाजी के नाम से पुकारते हैं। बाल स्वरुप को लोग नजदीक इसलिए भी मानते हैं क्योंकि श्री हनुमान जी के बाल स्वरुप को रिझाना सरल है। श्री हनुमान का सूर्य को फल समझ कर खा लेना उनके बाल्य काल की घटनाओं में बहुत ही प्रसिद्ध है। श्री सालासर धाम के अतिरिक्त, दो जाँटी बालाजी, श्री मेहंदीपुर बालाजी आदि कई अन्य हनुमान जी के प्रसिद्द मंदिर हैं जिन्हे बालाजी धाम के नाम से जाना जाता है।

श्री सालासर बालाजी के बारे में रोचक बातें Interesting Facts About Shri Salasar Balaji Temple

श्री सालासर बालाजी की मूर्ति पहले ऐसी नहीं थी : कई स्थानों पर वर्णन प्राप्त होता है की बालाजी की जो मूर्ति गिठाला कृषक परिवार को मिली थी उस मूर्ति में श्री हनुमान जी राम और लक्ष्मण जी को कन्धों पर उठाये हुए हैं। श्रावण द्वादशी मंगलवार को भक्त शिरोमणि मोहनदास जी ने जब हनुमान जी उस मूर्ति का श्रृंगार शुरू किया तो एक चमत्कार हुआ जिसमें राम लक्ष्मण को कन्धों पर उठाये श्री हनुमान जी की मूर्ति के स्थान पर वर्तमान दाढ़ी मूंछों वाली हनुमान जी की मूर्ति स्वतः ही प्रकट हो गई। इस मूर्ति में श्री हनुमान जी के दाढ़ी मूंछे थे और पास में गदा, विशाल नयन अपर पर्वत दिखाई देता है। 


अंजनी माता का मंदिर : श्री सालासर बालाजी धाम में सालासर के मंदिर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर माता अंजनी का भी मंदिर है। अंजनी माता का मंदिर सालासर से लक्ष्मणगढ़ जाने वाले सड़क मार्ग पर स्थापित है। माता अंजनी की गोद में बाल रूप में बालाजी के दर्शन किये जा सकते हैं।

श्री सालासर बालाजी धाम पहले था "तेतरवालों की ढाणी" : सालासर गाँव पहले "तेतरवालों की ढाणी" के नाम से जाना जाता था और जब ठाकुर 'सालेम सिंह' सालासर आकर रहे तो इस गाँव का नाम सालासर कर दिया गया। बालाजी के प्रसिद्ध मंदिर के कारण अब इसी गाँव को "सालासर" के नाम से पहचाना जाता है। मोहनदास जी के द्वारा बालाजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के उपरान्त इस गाँव को सालासर के स्थान पर "सालासर धाम", "सालासर बालाजी" के नाम से पहचाना जाने लगा है।

सालासर मंदिर के निर्माण में मुस्लिम भी : बालाजी के इस मंदिर के निर्माण में मुस्लिम कारीगरों का भी योगदान है। फतेहपुर (राजस्थान) के नूर मोहम्मद और दाऊ नाम के कारीगरों ने इस मंदिर के निर्माण कार्य में अपना योगदान दिया था। ये कारीगर मोहनदास के परिचित थे जिन्हे उन्होंने ही मंदिर निर्माण के लिए फ़तेहपुर से बुलवाया था। मुस्लिम कारीगरों के निर्माण कार्य में शामिल होने के बावजूद भी इस मंदिर की स्थापत्य शैली/ निर्माण पूर्णतया हिन्दू शैली में ही है।

श्री मोहन दास की का धूणा: मंदिर के पास ही श्री मोहनदास जी का धूणा है जहाँ पर वे श्री बालाजी का ध्यान करते थे। इस धूणे में तभी से आज तक अखंड जोत जगाई गई है। पास ही मोहनदास जी की समाधी भी है।

श्री मोहन दास की समाधी: मंदिर के पास ही बालाजी के परम भक्त मोहन दास जी की समाधी भी स्थापित है जहाँ उन्होंने कानीबाई की मृत्यु के बाद समाधी ली थी। समाधी के अलावा यहाँ मोहनदास की का अखंड धूणा है और दो "कोठले" भी हैं जहाँ पर कभी समाप्त नहीं होने वाला अन्न का भण्डार भी था।

श्री सालासर बालाजी का भोग : श्री सालासर बालाजी को मोहनदास जी बाजरे और मोठ की खिंचड़ी का भोग लगाया करते थे तभी से बालाजी को बाजरे और मोठ से बनी खिंचड़ी का भी भोग लगाया जाता है। भक्त जन यहाँ सवामणी भी करवाते हैं जिनमे श्रद्धालुओं को चूरमा प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है। खिंचड़ी के अतिरिक्त चूरमे (चूरमे का लड्डू) और पेड़े का भी भोग लगाया जाता है। वर्तमान में भी पारम्परिक रूप से रोटा और खींचड़े का भोग लगाया जाता है।

श्री सालासर बालाजी है एक मात्र मंदिर : श्री सालासर हनुमान जी का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहाँ पर हनुमान जी के दाढ़ी मूंछे दिखाई देती है। दाढ़ी मूंछों की अन्य कोई प्रतिमा श्री हनुमान जी के रूप में दिखाई नहीं देती है।

जब डाकू कुछ नहीं बिगाड़ पाए सालम सिंह और धीरज सिंह का : तात्कालिक समय में सालासर गाँव बीकानेर रियासत के अधीन था और यहाँ के ठाकुर (सालासर) सालम सिंह थे। एक बार डाकुओं के बड़े समूह ने सालम सिंह के इलाकों पर लूट मार के उद्देश्य से हमला बोल दिया, अचानक हुए इस हमले के कारण बीकानेर से मदद आना सम्भव नहीं था। सालम सिंह और आस पास के गाँवों की सुरक्षा का जिम्मा रखने वाले धीरज सिंह हताश होकर मोहनदास जी पास, सालासर मंदिर में पँहुचे और उन्होंने वहाँ मदद की गुहार लगाईं। मोहनदास जी ने उन्हें आश्स्वत किया की बालाजी का नाम लेकर दुश्मन पर आक्रमण कर देना विजय तुम्हारी ही होगी। सालम सिंह और धीरज सिंह ने ऐसा ही किया और वे दुश्मनों को गाँवों से बाहर खदेड़ने में सफल रहे। इस पर सालम सिंह और धीरज सिंह ने मंदिर निर्माण में सहयोग किया।

श्री सालासर बालाजी की प्रतिमा को लाने वाली बैल गाड़ी : असोटा गाँव से बालाजी की मूर्ति को सालासर में मोहनदास के पास भेजा गया था और जिस बैलगाड़ी में उसे लाया गया था वह आज भी मंदिर परिसर के पास बने कमरे में सुरक्षित रखी गई है।

कभी समाप्त नहीं होने वाले अन्न के कोठड़े : मोहनदास ने अपने शिष्यों को बताया था की दो कोठड़े ऐसे हैं जिमें अनाज कभी समाप्त नहीं होता है और वे सदा अन्न से भरे रहते हैं। अपने शिष्यों को उन कोठडो को खोलने से मोहनदास जी ने मना किया था लेकिन भूल वश जब उन कोठड़ों को खोल लिया गया तो वह दिव्य अनाज के भंडार का चमत्कार स्वतः ही समाप्त हो गया। आज भी ये कोठड़े वहां पर स्थापित हैं।

बालाजी के मंदिर में नारियल को बांधना : श्री सालासर बालाजी के मंदिर के बाहर खेजड़ी पर नारियल बाँधने की पुरानी धार्मिक मान्यता है। अपनी मुरादों को याद करके नारियल को मोली से बाँधने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।वर्तमान में बालाजी के मंदिर के पास वर्षों पुराना जाल का वृक्ष भी है जिस पर भी नारियल बांधे जाते हैं। माना जाता है की यह जाल का वृक्ष मंदिर निर्माण से पूर्व का है।

सालासर बालाजी का मंदिर और चांदी : सालासर बालाजी मंदिर के मुख्य गर्भ गृह की दीवारों पर चाँदी की प्लेटों पर बालाजी और श्री राम जी की मूर्तियों को उकेर कर लगाया गया है। सभी दीवारें चाँदी से सुसज्जित हैं।

श्री बालाजी महाराज की मूर्ति : श्री बालाजी महाराज की मूर्ति "शालिग्राम" पत्थर से बनी हुई है। इस मूर्ति को स्वर्ण से सजाया गया है और मूर्ति के ऊपर सोने का छत्र लगाया गया है। बालाजी के समय से ही यहाँ अखंड द्वीप प्रज्जवलित है।
श्री सालासर बालाजी के भजन :श्री सालासर बालाजी के भजनों का कुछ संकलन इस साइट पर भी किया गया है जिन्हे आप अवश्य सुनें। 


श्री सालासर बालाजी धाम में ठहरने की व्यवस्था।
Sangrur Dharamshala संगरूर धर्मशाला (750 metres from temple)
Smt Laxmi Devi Poddar Seva Sadan श्रीमती लक्ष्मी देवी पोद्दार सेवा सदन (1.5 Km from temple)
Dabwali Dharamshala डबवाली धर्मशाला (450 metres from temple)
Sangaria Dharamshala संगरिया धर्मशाला (550 metres from temple)
Shri Ram Seva Sadan श्री राम सेवा सदन (600 metres from temple)
Maruti Dham मारुती धाम धर्म शाळा (2.0 km from temple)कैसे पहुंचे श्री सालासर धाम : श्री सालासर धाम बालाजी के मंदिर में पहुंचने के कई माध्यम उपलब्ध हैं। यदि आप स्वंय के वाहन से सालासर धाम आना चाहते हैं तो यह मंदिर सभी प्रमुख राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। बीकानेर जयपुर मार्ग पर लक्ष्मणगढ़ से आप इस मंदिर के लिए जाने वाली सड़क का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुजानगढ़ से आप सीधे सालासर धाम पंहुच सकते हैं। रेल मार्ग में आप सीकर, जयपुर आदि स्थानों का चयन कर सकते हैं। नजदीकी हवाई अड्डा सांगानेर एयर पोर्ट, जयपुर है जो लगभग १८० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सालासर से नजदीक रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ 25 कि.मी., रतनगढ़ 45 कि.मी., सीकर 55 कि.मी., डीडवाना (वाया गनेडी) 42 कि.मी., डीडवाना वाया सुजानगढ़ 75 कि.मी., लक्ष्मणगढ़ 32 कि.मी., जयपुर 175 कि.मी.
श्री सालासर बालाजी की आरती लिरिक्स

जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला,
चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन खुशी मन में,
प्रकट भए सुर वानर तन में, विदित यश विक्रम त्रिभुवन में,
दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई नभ ओर,
तब जननी की गोद से पहुंच, उदयाचल पर भोर,
अरुण फल लखि रवि मुख डाला,
कृपा कर सालासर वाला,

तिमिर भूमण्डल में छाई, चिबुक पर इंद्र वज्र बाए,
तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाए,
उस अवसर में रुक गयो, पवन सर्व उन्चास,
इधर हो गयो अंधकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास,
भए ब्रह्मादिक बेहाला,
कृपा कर सालासर वाला,

देव सब आए तुम्हारे आगे, सकल मिल विनय करन लागे,
पवन कू भी लाए सांगे, क्रोध सब पवन तना भागे,
सभी देवता वर दियो, अरज करी कर जोड़,
सुनके सबकी अरज गरज, लखि दिया रवि को छोड़,
हो गया जग में उजियाला,
कृपा कर सालासर वाला,

रहे सुग्रीव पास जाई, आ गए वन में रघुराई,
हरी रावण सीतामाई, विकल फिरते दोनों भाई,
विप्र रूप धरि राम को, कहा आप सब हाल,
कपि पति से करवाई मित्रता, मार दिया कपि बाल,
दुःख सुग्रीव तना टाला,
कृपा कर सालासर वाला,

आज्ञा ले रघुपति की धाया, लंक में सिंधु लांघ आया,
हाल सीता का लख पाया, मुद्रिका दे वनफल खाया,
वन विध्वंस दशकंध सुत, वध कर लंक जलाय,
चूड़ामणि संदेश सिया का, दिया राम को आय,
हुए खुश त्रिभुवन भूपाला,
कृपा कर सालासर वाला,

जोड़ी कपि दल रघुवर चाला, कटक हित सिंधु बांध डाला,
युद्ध रच दीन्हा विकराला, कियो राक्षसकुल पैमाला,
लक्ष्मण को शक्ति लगी, लायौ गिरी उठाय,
देइ संजीवन लखन जियाए, रघुबर हर्ष सवाय,
गरब सब रावन का गाला,
कृपा कर सालासर वाला,

रची अहिरावन ने माया, सोवते राम लखन लाया,
बने वहां देवी की काया, करने को अपना चित चाया,
अहिरावन रावन हत्यौ, फेर हाथ को हाथ,
मंत्र विभीषण पाय आप को, हो गयो लंका नाथ,
खुल गया करमा का ताला,
कृपा कर सालासर वाला,

अयोध्या राम राज्य कीना, आपको दास बना दीना,
अतुल बल घृत सिंदूर दीना, लसत तन रूप रंग भीना,
चिरंजीव प्रभु ने कियो, जग में दियो पुजाय,
जो कोई निश्चय कर के ध्यावे, ताकी करो सहाय,
कष्ट सब भक्तन का टाला,
कृपा कर सालासर वाला,

भक्तजन चरण कमल सेवे, जात आत सालासर देवे,
ध्वजा नारियल भोग देवे, मनोरथ सिद्धि कर लेवे,
कारज सारों भक्त के, सदा करो कल्याण,
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के, बालकृष्ण धर ध्यान,
नाम की जपे सदा माला,
कृपा कर सालासर वाला,

 

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आरती जगमग जगमग चमके सालासर बालाजी आरती लिरिक्स Jag Mag Chamake Salasar Balaji Aarti
आरती जगमग जगमग चमके,
बालाजी महाराज की,सालासर दरबार की,
आरती जगमग जगमग चमकें,
बालाजी महाराज की,

चैत सुदी पूनम को जन्मे,
अंजनी आज खुशी है मन में,
शोभा बनी है देखो, अंजनी के लाल की,
आरती जगमग जगमग चमकें,
बालाजी महाराज की,

मस्तक मुकुट हीरो का सोहे,
कानों में कुंडल अति मन मोहे,
झांकी सजी है देखो पवन कुमार की,
आरती जगमग जगमग चमकें,
बालाजी महाराज की,

भक्तों के दुख हरने ताहि,
अंजनी लाड लडायो मन माही,
महिमा बनी है देखो बाला जी सरकार की,
आरती जगमग जगमग चमकें,
बालाजी महाराज की,

जो कोई बालाजी की आरती गावे,
उसका बेड़ा बाबो पार लगावे,
आरती उतारो सब मिल सालासर दरबार की,
आरती जगमग जगमग चमकें,

बालाजी महाराज की,

Salasar Balaji Aarti - JAG MAG JAG MAG | Sampath Dadhich,Namrata Karva | Rajasthani Bhakti Song 2016

जय श्री सालासर बालाजी : हनुमान चालीसा

श्री हनुमान चालीसा / हनुमान चालीसा मीनिंग इन हिंदी को डाउनलोड करने के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लीक करें।
हनुमान चालीसा
ॐ श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारी
बनरऊँ रघुवर विमल जसु, जो दायकु फल चारी
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरों पवन कुमार
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार सियावर रामचंद्र की जय, पवनपुत्र हनुमान की जय
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीस तिहूँ लोक उजागर ।।
रामदूत अतुलित बल धामा । अंजनी पुत्र पवनसुत नामा ।।
महावीर विक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कंचन बरन विराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।
हाथ बज्र औ ध्वजा विराजे । काँधे मूँज जनेऊ साजे ।।
संकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ।।
विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा । विकट रूप धरि लंक जरावा ।।
भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सँवारे ।।
लाय संजीवन लखन जियाये । श्री रघुवीर हरषि उर लाये ।।
रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतही सम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावें । अस कही श्रीपति कठ लगावें ।।
सनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ।।
जम कुबेर दिकपाल जहाँ ते । कवि कोविद कही सके कहाँ ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा । राम मिलाय राजपद दीन्हा ।।
तुम्हरो मन्त्र विभीसन माना । लंकेस्वर भये सब जग जाना ।।
जुग सहस जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहि । जलधि लांघी गये अचरज नाही ।।
दर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहें तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ।।
आपन तेज सम्हारो आपे । तीनो लोक हाँक ते काँपे ।।
भूत पिशाच निकट नहि आवे । महावीर जब नाम नाम सुनावे ।।
नासे रोग हरि सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
संकट ते हनुमान छुडावे । मन क्रम वचन ध्यान जो लावे ।।
सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावे । सोई अमित जीवन फल पावे ।।
चारों जुग प्रताप तुम्हारा । हें परसिद्ध जगत उजियारा ।।
साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकन्दन राम दुलारे ।।
अस्ट सिद्धि नों निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावे । जनम जनम के दुःख बिसरावे ।।
अन्त काल रघुवर पुर जाई । जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ।।
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्ब सुख करई ।।
संकट कटे मिटे सब पीरा । जो सुमिरे हनुमत बलबीरा ।।
जे जे जे हनुमान गोसाई । कृपा कहु गुरुदेव की नाई ।।
जो सत बार पाठ कर कोई । छुटेहि बंदि महा सुख होई ।।
जो यह पड़े हनुमान चालीसा । होई सिद्धि साखी गोरिसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजे नाथ ह्रदय महँ डेरा ।।
पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।।।
सियावर राम चन्द्र की जय, पवनपुत्र हनुमान की जय ।।
मंगल भवन अमंगलहारी द्रवउँ दशरथ अजर बिहारी ।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ सम संकट भारी ।।

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