ठुमक चलत रामचंद्र लिरिक्स Thumak Chalat Ramchandra Lyrics Anup Jalota

ठुमक चलत रामचंद्र लिरिक्स Thumak Chalat Ramchandra Lyrics Anup Jalota

 
ठुमक चलत रामचंद्र लिरिक्स Thumak Chalat Ramchandra Lyrics Anup Jalota

ठुमक चलत रामचंद्र,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,

किलकि नाथ उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय,
धाय माय गोद लेत,
धाय माय गोद लेत, दशरथ की रनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,

विद्रुम से अरुण अधर,
विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मृदु वचन मधुर,
सुन्दर नासिका बीच लटकत लटकनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,

तुलसी दास अति आनंद,
तुलसी दास अति आनंद, निरखि के मुखारविंद,
रघुवर छबि के समान, रघुवर मुख बनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ,
 
'ठुमक चलत रामचंद्र' भजन श्री राम चंद्र जी की बाल लीला से सबंधित है जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है। गोस्वामी तुलसीदास जी सौलहवी शताब्दी के प्रमुख श्री राम भक्त हैं जिन्होंने श्री हनुमान चालीसा, राम चरित मानस की रचना की है। इस भजन में श्री राम जी के बचपन की लीलाओं को दर्शाया गया है और बताया गया है की वे कितने अलौकिक हैं। इस संसार की किसी भी वस्तु से उनकी तुलना नहीं की जा सकती है। जैसे सूरदास जी ने श्री कृष्ण जी की बाल लीलाओं का वर्णन किया है वैसे ही इस भजन में गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम चंद्र जी के बाल लीला का वर्णन इस भजन में किया है।

चमक चलत राम चंद्र मूल भजन : गोस्वामी तुलसीदास
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनियाँ,
किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय,
धाय मात गोद लेत दशरथकी रनियाँ,
अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि,
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियाँ,
विद्रुमसे अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर,
सुभग नासि कामें चारु लटकत लटकनियाँ,
तुलसीदास अति आनंद देखके मुखारविंद,
रघुवर छबिके समान रघुवर छबि बनियाँ,
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनियाँ,


ठुमक चलत राम चंद्र हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Thumak Chalat Ram Chandra
ठुमक चलत रामचंद्र
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां,
श्री राम चंद्र जी ठुमक ठुमक कर चल रहे हैं और उनकी पंजानियाँ बज रही है।
Baby Ram Chandra Ji walks, swaying unsteadily and His anklets makes tinkling sounds.

किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय,
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां, श्री राम जी ख़ुशी की किलकारी से धरती पर गिर जाते हैं और फिर उठ जाते हैं। इस पर राजा दशरथ की रानी के द्वारा उन्हें उठा कर गोद में बैठा लिया जाता है।
Laughing joyously he stumbles around on the ground, He is fondly picked into the laps of Raja Dasharath’s queens
अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि,

तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां, शिशु राम चंद्र जी को रानी अपने आँचल-पल्लू (साड़ी) से ढक लेती हैं और उन पर लगी धूल मिटटी को साफ़ करती हैं। राम चंद्र जी का मन बहलाने के लिए वे उस पर तन मन और धन वार देते हैं और उनसे मीठे वचन कहती हैं।
They cover him with saris, dusting the dirt off and caressing his bruises, they offer loving and reassuring words of devotion to make him feel better

तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद,
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां, तुलसीदास जी शिशु राम चंद्र जी के मुख पर सूर्य के समान तेज देखते हैं और कहते हैं की श्री राम जी की छवि वैसी ही है जैसी उन्होंने कल्पना की है। Poet Tulsidas is thrilled at the face of Ram, which has the glory of the Sun, baby Ram is exactly what he imagined him to be

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