ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे भजन

ऐ मेरे श्याम इनायत कर दे भजन

ऐ मेरे श्याम, इनायत कर दे,
अपनी करुणा से,
मुझ गरीब की झोली भर दे,
मैंने दुःख दर्द उठाए हैं बड़े,
अब तो सुख चैन से जी लूं,
मुझे ऐसा वर दे।।

देख लिया ये सारा जहां,
मीत ना कोई तुमसा यहां,
तू ही बता मैं जाऊं कहां,
मेरा तो ये सर,
है झुका यहीं पर,
नहीं कोई और ठिकाना,
अपना ये हाथ तू सर पर धर दे,
अपनी करुणा से,
मुझ गरीब की झोली भर दे।।

सब पर करुणा बरसाता तू,
सबकी उलझन सुलझाता तू,
सुख का गुलशन महकाता तू,
तेरा तो परम,
बस है ये धरम,
दुखियों के दर्द मिटाना,
इस दुखी दीन के भी दुःख हर दे,
अपनी करुणा से,
मुझ गरीब की झोली भर दे।।

बड़े दुखों का खाया हूं मैं,
दुनिया का ठुकराया हूं मैं,
तेरी शरण अब आया हूं मैं,
दे नाम का धन,
गजेसिंह गगन,
छू लेगा ये भजन सुहाना,
भक्ति भावों के तू इसे वर दे,
अपनी करुणा से,
मुझ गरीब की झोली भर दे।।

ऐ मेरे श्याम, इनायत कर दे,
अपनी करुणा से,
मुझ गरीब की झोली भर दे,
मैंने दुःख दर्द उठाए हैं बड़े,
अब तो सुख चैन से जी लूं,
मुझे ऐसा वर दे।।


Mere Mehboob Kayamat Hogi || Hey Mere Shyam || ‪@TrioMusic2.0‬

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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