सेवा में छुपे हैं सुख सारे इस बात पे हम विश्वास

सेवा में छुपे हैं सुख सारे इस बात पे हम विश्वास करें

सेवा में छुपे हैं सुख सारे, इस बात पे हम विश्वास करें।
सेवा में गुजर जाए जीवन, सब मिलकर ये अरदास करें।।

तन का आलस, मन की हुज्जत, अभिमान की बू सेवा से मिटे।
खुशहाली छाए जीवन में, दुख-दर्द मिटे, हर रोग कटे।
जो गुरु की सेवा करते हैं, प्रभु उनके कारज आप करे।।
सेवा में छुपे हैं सुख सारे, इस बात पे हम विश्वास करें।।

दो-चार घड़ी की सेवा की, फिर सेवा का अभिमान किया।
कुछ को जी भरकर सत्कारा, और बाकी का अपमान किया।
ऐसी सेवा सुखदायी नहीं, इस बात का हम अहसास करें।।
सेवा में छुपे हैं सुख सारे, इस बात पे हम विश्वास करें।।

जो सतगुरु के मन को भाए, वो सबसे अच्छी सेवा है।
गर नित्य नियम जो निभ जाए, बस ये ही तन की सेवा है।
सेवा की ज्योत जगा करके, दुनिया भर में प्रकाश करें।।
सेवा में छुपे हैं सुख सारे, इस बात पे हम विश्वास करें।।

सतगुरु की सेवा दिल-ओ-जान से, ए दासा! करते जाएं हम।
जो-जो भी मिले हुक्म हमको, उसे पूरा करते जाएं हम।
फिर लोक सुखी, परलोक सुखी, जीवन में आनंद पाएं हम।।
सेवा में छुपे हैं सुख सारे, इस बात पे हम विश्वास करें।।


सेवा में छुपे हैं सुख सारे

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सेवा वह पवित्र कर्म है, जो मन को शुद्ध और जीवन को सार्थक बनाता है। यह केवल कार्य नहीं, बल्कि एक ऐसी भावना है, जो स्वार्थ और अहं को गलाकर प्रेम और समर्पण का दीप जलाती है। जैसे नदी बिना भेदभाव के सबको जल देती है, वैसे ही सच्ची सेवा हर मन में सुख की गंगा बहाती है। यह विश्वास रखें कि सेवा में ही वह शांति छुपी है, जो धन-दौलत से नहीं मिलती।

सेवा का मार्ग आसान नहीं। तन की आलस्य, मन की हठ, और अभिमान की दीवारें इसे रोकती हैं। मगर जब कोई गुरु के चरणों में श्रम करता है, तो ये बाधाएँ मिट्टी की तरह बिखर जाती हैं। जैसे सूरज की किरणें कोहरे को चीर देती हैं, वैसे ही सेवा दुख, रोग और अंधेरे को मिटाकर जीवन में उजाला भर देती है। सतगुरु का हुक्म मानना और उनकी इच्छा को पूरा करना ही वह कर्म है, जो हमें ईश्वर के करीब ले जाता है।

सच्ची सेवा वही है, जो बिना दिखावे और भेदभाव के की जाए। यदि सेवा के बाद मन में घमंड जागे या किसी का तिरस्कार हो, तो वह अधूरी रह जाती है, जैसे बिना सुगंध का फूल। सतगुरु को जो भाए, वही श्रेष्ठ सेवा है—नित्य का नियम, सादगी और निष्ठा। यह ऐसी ज्योति है, जो न केवल स्वयं को, बल्कि संसार को भी रोशन करती है।

संत यही सिखाते हैं कि सेवा में डूबकर ही आत्मा का उद्धार होता है। चिंतक इसे जीवन का वह सत्य मानता है, जो हमें अपनी छोटी दुनिया से बाहर ले जाता है। धर्म का ज्ञान कहता है—सेवा वह यज्ञ है, जिसमें समर्पण की आहुति से लोक और परलोक दोनों सुखी होते हैं। हर काम को सतगुरु का हुक्म मानकर करें, तो जीवन आनंदमय हो जाएगा।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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