गिलोय के पत्तों से मुंह के संक्रमण को दूर करें Remove mouth infection with Giloy leaves
गिलोय के गुणों से तो हम सभी परिचित हैं लेकिन गिलोय के पत्तों के विषय में एक स्वानुभूत उपयोग के विषय में भी आप जान लीजिये। गिलोय तो आप जानते ही हैं जो नीम पर चढ़ी हो वह अत्यंत ही श्रेष्ठ मानी जाती है। यदि आप गिलोय के सबंध में अधिक जानकारी चाहते हैं तो निचे दिए गए लिंक पर विजिट करें, आज हम केवल गिओय के पत्तों के मुख पाक से सबंधित बातों पर ही गौर करेंगे। मुंह के अन्दर यदि कोई इन्फेक्शन हो गया है, मसूड़ों में यदि कोई संक्रमण हो गया है तो आप वैद्य की सलाह के उपरान्त इस उपाय को भी जरुर आजमायें।
स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों को गिलोय के रस के साथ गेहूं के ज्वारे का रस दिया जा रहा है जिसके उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं, यद्यपि अभी इसे चिकित्सीय रूप से सिद्ध होना बाकी है। इसके अतिरिक्त गिलोय के पत्तों के निम्न लाभ (Benefits of Giloy Leaves ) होते हैं।
पीलिया रोग में भी पारम्परिक रूप से गिलोय के पत्तों का रस दिया जाता है।
तीव्र बुखार हो जाने पर गिलोय के पत्तों का रस से बना क्वाथ पीने से लाभ मिलता है।
इसके अतिरित्क्त गिलोय के तने, जड़ आदि से भी बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं और इसीलिए इसे 'अमृता' नाम से जाना जाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और इसमें एंटीबायोटिक तथा एंटीवायरल प्रोपर्टीज भी होती हैं।
आइये जान लेते हैं की गिलोय से हमें और क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
- गिलोय को क्यों कहते हैं अमृता : गिलोय का परिचय और विभिन्न व्याधियों में गिलोय का उपयोग।
- गिलोय क्वाथ क्या होता है : गिलोय क्वाथ का परिचय और विभिन्न व्याधियों में गिलोय क्वाथ का उपयोग।
- गिलोय घनवटी क्या होती है : गिलोय घनवटी का परिचय और विभिन्न रोगों में गिलोय घनवटी का उपयोग।
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- गिलोय और रोग प्रतिरोधक क्षमता : गिलोय के उपयोग से रहे रोगों से दूर।
स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों को गिलोय के रस के साथ गेहूं के ज्वारे का रस दिया जा रहा है जिसके उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं, यद्यपि अभी इसे चिकित्सीय रूप से सिद्ध होना बाकी है। इसके अतिरिक्त गिलोय के पत्तों के निम्न लाभ (Benefits of Giloy Leaves ) होते हैं।
Amazing Benefits Of Giloy | Acharya Balkrishna
खून की कमी (एनीमिया) हो जाने पर भी गिलोय के पत्तों का सेवन लाभकारी माना जाता है।पीलिया रोग में भी पारम्परिक रूप से गिलोय के पत्तों का रस दिया जाता है।
तीव्र बुखार हो जाने पर गिलोय के पत्तों का रस से बना क्वाथ पीने से लाभ मिलता है।
इसके अतिरित्क्त गिलोय के तने, जड़ आदि से भी बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं और इसीलिए इसे 'अमृता' नाम से जाना जाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और इसमें एंटीबायोटिक तथा एंटीवायरल प्रोपर्टीज भी होती हैं।
आइये जान लेते हैं की गिलोय से हमें और क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
- गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है। गिलोय में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव होता है जो रोगों से लड़ने की शक्ति में इजाफा करता है। (1)
- लगातार रहने वाले क्रोनिक फीवर को दूर करने में भी गिलोय क्वाथ से लाभ मिलता है। (2)
- पाचन विकारों को दूर करने के अतिरिक्त गिलोय से आप कब्ज, अजीर्ण, आम पित्त जैसे विकारों से भी निजाद पा सकते हैं। (3)
- पारम्परिक रूप से गिलोय के पत्तों का रस डेंगू रोग की रोकथाम के लिए किया जाता रहा है (4)
- Tinospora cordifolia: One plant, many roles
- Tinospora cordifolia (Willd.) Hook. f. and Thoms. (Guduchi) – validation of the Ayurvedic pharmacology through experimental and clinical studies
- inospora cordifolia (Willd.) Hook. f. and Thoms. (Guduchi) – validation of the Ayurvedic pharmacology through experimental and clinical studies
- Optimized micropropagation protocol to establish high-yielding true-to-type plantations of elite genotypes of Tinospora cordifolia for consistent production of therapeutic compounds©
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life
and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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