जब निषाद राज से अंतिम विदा लेकेर श्री राम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी माता सीता को साथ लेकर वन की और निकल पड़ते हैं तो ये गीत उनकी कहनी ब्यान करता है। "स्वर- रविंद्र जैन, कविता कृष्णामुर्थी और साथी गीत- रवींद्र जैन संगीत- रवींद्र जैन"
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