प्रेयसी दो अंतिम बार विदा भजन
आज सेवक तेरा ये रण में चला
प्रेयसी दो अंतिम बार विदा
यह सेवक ऋणी तुम्हारा है,
तुम भी जानो, मैं भी जानूं,
यह अंतिम मिलन हमारा है,
मैं मातृ चरण से दूर चला,
इसका दारुण संताप मुझे,
पर यदि कर्तव्य विमुख होवुंगा,
जीने से लगेगा पाप मुझे,
अब हार जीत का प्रश्न नहीं,
जो भी होगा अच्छा होगा,
मरकर ही सही, पितु के आगे,
बेटे का प्यार सच्चा होगा,
भावुकता से कर्तव्य बड़ा,
कर्तव्य निभे बलिदानों से,
दीपक जलने की रीत नहीं,
छोड़े डरकर तूफानों से,
यह निश्चय कर बढ़ चला वीर,
कोई उसको रोक नहीं पाया,
चुपचाप देखता रहा पिता,
माता का अंतर भर आया,
चुपचाप देखता रहा पिता,
माता का अंतर भर आया,
रामायण एक संस्कृत महाकाव्य है, जिसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। यह
महाकाव्य हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसे हिंदुओं का
सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है। रामायण में भगवान राम की कथा
है, जो विष्णु के सातवें अवतार हैं। राम एक आदर्श राजा और एक महान योद्धा
थे। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने
हमेशा सत्य, धर्म और न्याय के लिए लड़ा।
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
ऐसे ही अन्य मधुर भजन देखें
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें।
|