ये संतो का प्रेम नगर है, यहाँ सँभल कर आना जी, ये प्यासो का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी, जो भी आए यहाँ किसी का, हो जाये दीवाना जी, ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी,
ऎसा बरसे रंग यहाँ पर, जनम-जनम तक मन भीगे, फागुन बिना चुनरियाँ भीगे, सांवन बिना भवन भीगे, ऐसी बरखा होए यहाँ पर, बचे ना कोई घराना जी, ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी,
यहां ना झगड़ा जात पात का, और ना झंझट मजहब का, एक सभी की प्यास यहां पर, एक सभी का है प्याला, यहां प्रभु से मिलना हो तो, परदे सभी हटाना जी, ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी,
Krishna Bhajan Lyrics Hindi,Sadhvi Purnima Ji Bhajan Lyrics Hindi
यहां द्वैत की सोई ना चुभती,धुले बताशा पानी में, ताज पहनकर संत घूमते, सतगुरु की राजधानी में, यहां नाव में नदियाँ डूबे, सागर दीप समाना जी, ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी,
चार धाम का पून्य मिले हैं, इस दर शीश झुकाने में, मजा है क्या वहाँ जीने में, जो मज़ा यहाँ मर जाने में, हाथ बाँधकर मौत खड़ी है, चाहे खुद मर जाना जी,
ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी, ये संतो का प्रेम नगर हैं, यहाँ संभल कर आना जी, ये प्यासों का प्रेम नगर है, यहाँ सँभल कर आना जी, जो भी आए यहाँ किसी का, हो जाये दीवाना जी, ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी,
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