भगवान तुम्हें मै खत लिखती पर पता मुझें मालूम
भगवान तुम्हें मै खत लिखती,
पर पता मुझें मालूम नहीं,
दुःख भी लिखती, सुख भी लिखती,
पर पता मुझें मालूम नहीं,
भगवान तुम्हें मै खत लिखती,
पर पता मुझें मालूम नहीं,
सूरज से पूछा चँदा से पूछा,
पूछा टिम टिम तारों से,
इन सब ने कहा अम्बर में हैं,
पर पता मुझे मालूम नहीं,
भगवान तुम्हें मै खत लिखती,
पर पता मुझें मालूम नहीं,
फूलों से पूछा कलियों से पूछा,
पूछा बाग के माली से,
इन सब ने कहा हर डाल पे है,
पर पता मुझे मालूम नहीं,
भगवान तुम्हें मै खत लिखती,
पर पता मुझें मालूम नहीं,
नदीयों से पूछा लहरों से पूछा,
पूछा बहते झरनोँ से,
झरनों ने कहा सागर में है
पर पता मुझे मालूम नहीं,
भगवान तुम्हें मै खत लिखती,
पर पता मुझें मालूम नहीं,
साधू से पूछा संतो से पूछा,
पूछा दुनियाँ के लोगो से,
इन सब ने कहा सागर में है,
पर पता मुझे मालूम नहीं,
भगवान तुम्हें मै खत लिखती,
पर पता मुझें मालूम नहीं,
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जब भी अकेलापन लगे ये भजन सुन लेना | भगवान तुम्हें मैं खत लिखती पर पता मुझे मालूम नही|Krishna Bhajan
Song : Bhagwan Tumhe Mai Khat Likhti
Singer : Upasana Mehta
Lyrics : Tarditional & Others
Music: Binny Narang
Video: Shalini Sharma
Content Manager : Dev Taneja
इस भजन का मुख्य भाव भगवान की खोज और उनके प्रति गहरे प्रेम का प्रतीक है। भक्त अपनी भावनाओं को भगवान तक पहुंचाने के लिए एक पत्र लिखने की कोशिश करता है, लेकिन उसे यह नहीं पता कि भगवान का ठिकाना कहां है। सूरज, चाँद, तारे, फूल, झरने, और संतों से पूछकर भी उसे सिर्फ यह जवाब मिलता है कि भगवान हर जगह मौजूद हैं। यह भजन इस बात को दर्शाता है कि भगवान हमारे चारों ओर हैं, लेकिन उन्हें पाने के लिए सच्ची श्रद्धा और अपने भीतर की खोज जरूरी है। यह भजन भक्ति, सरलता और ईश्वर के प्रति आत्मीय संबंध को व्यक्त करता है।
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Author - Saroj Jangir
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