भोले घोट घोट के भंगियाँ तेरी भजन
भोले घोट घोट के भंगियाँ तेरी शिव भजन
दोनोँ नरम कलाई दुखें मेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
दोनोँ नरम कलाई दुखें मेरी,
जंगल जंगल मैं भागी फिरूँ,
ल्याऊँ ढूँढ़ ढूँढ के हरी हरी,
दोनोँ नरम कलाई दुखें मेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
मैं तो ब्याह करके हाय फँसगी बुरी,
तेरी भाँग बनी है सौतन मेरी,
दोनोँ नरम कलाई दुखें मेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
मैं तो अपने पिहरियें को चली,
भोले तभी समझ में आवे तेरी,
दोनोँ नरम कलाई दुखें मेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
कुण्डी सोट्टे से हो गई दुःखी,
भोले भाँग की आदत सै ये बुरी,
दोनोँ नरम कलाई दुखें मेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
भोले घोट घोट के, भंगियाँ तेरी,
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Song: Bhole Ghot Ghot Ke Bhangiya Teri
Album: Bholeji Ki Barat
Singer: Chetna, Rajesh
Label: Brijwani Cassettes
भक्त (अक्सर पार्वती के रूप में देखा जाता है) शिकायती लहजे में कहता है कि शिव के लिए भांग पीसने (घोटने) से उसकी नाजुक कलाइयाँ दुख रही हैं। वह जंगल-जंगल भटककर हरी भांग लाती है, पर शिव की इस आदत को अपनी "सौतन" (प्रतिद्वंद्वी) की तरह मजाक में बुलाती है। गीत में यह भी व्यंग्यात्मक ढंग से कहा गया है कि शिव की भांग की आदत ने भक्त को परेशान कर दिया, और वह अपने मायके जाने की बात कहती है, ताकि शिव को उसकी कीमत समझ आए। साथ ही, कुण्डी-सोट्टे (भांग पीसने के औजार) से दुखी होने की बात हास्य के साथ शिव की भांग की लत को दर्शाती है।
भगवान शिव को 'भोले' या 'भोलेनाथ' कहा जाता है वे अत्यंत सरल, मासूम, दयालु, और निष्कपट स्वभाव के देवता हैं। 'भोला' का अर्थ है भोलापन, जिसमें छल, द्वेष, और कपट का कोई स्थान नहीं होता, और 'नाथ' का मतलब है स्वामी या भगवान। शिवजी अपने भक्तों की पुकार तुरंत सुन लेते हैं और बड़े भोलापन से वरदान दे देते हैं, बिना किसी भेदभाव या शर्त के। उनकी दयालुता, उदारता और क्षमा की शक्ति इतनी अधिक है कि वे स्वयं को भक्तों के भाव में डुबा लेते हैं।
उदाहरणस्वरूप, शिवजी ने भस्मासुर जैसे राक्षस को भी, उसकी निष्कपट भक्ति देखकर, बिना विचार किए वरदान दे दिया—यह उनका अलौकिक और भोलापन दर्शाता है। वे तत्काल खुश हो जाते हैं, भक्तों के कठिन से कठिन कष्ट हरते हैं और सांसारिक राजनीतियों या छल-फरेब से दूर रहते हैं। इसी कारण उनका नाम 'भोलेनाथ' अर्थात सहज-हृदय व सर्वसमर्थ भगवान पड़ गया है। शिवजी का भोलापन उनका अद्वितीय गुण है, जिससे वे भक्तों के सबसे निकट और प्रिय देवता हैं।
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