चली मैं वृंदावन को चली लिरिक्स Chali Me Vrindavan Ko Chali Lyrics

चली मैं वृंदावन को चली लिरिक्स Chali Me Vrindavan Ko Chali Lyrics


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सुनों सुनों री सुनों सखी,
मैं चली वृंदावन धाम ,
यमुना जल स्नान करुगी
कुंजों में विश्राम ,
हरी निकुंज में भजन करूंगी,
 सिमरन आठों याम ,
मधुप सखी भक्ति माँगूँगी,
और ठाकुर से वरदान ,

मेरे रमण बिहारी ने बुलाया,
बृजराज का संदेश है आया,
चली मैं वृंदावन को चली,
चली मैं वृंदावन को चली,

मोर मुकुट पीतांबर धारी,
मुरलीधर मेरो रमण बिहारी,
बार-बार मेरे सपनों में आया,
बृजराज का संदेश है आया,
चली वृंदावन को चली,

बावरी होई कमली होई,
प्रेम दीवानी पगली होई,
श्याम बिरहा बड़ा सताया,
बृजराज का संदेश है आया,
चली मैं वृंदावन को चली,

मुंह मेरे की बात ना टोको,
जग वालों मेरा राह ना रोको,
श्याम सांवरा मेरे मन भाया,
बृजराज का संदेश है आया,
चली वृंदावन को चली,

मधुप यही मन की अभिलाषा,
केवल हरी दर्शन की आशा,
मेरा जग से जी भर आया,
बृजराज का संदेश है आया,
चली मैं वृंदावन को चली,
चली वृंदावन को चली,


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