राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे
राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे
राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे।
मेरा सब कुछ तेरा दिया हुआ राधे।
तन ले ले मन ले ले धन ले ले राधे।
जनम जनम का भिखारी तोहिं का दे।
बरबस ले ले सब प्रेम सुधा दे।
भुक्ति मुक्ति माँगूँ नहिं प्रेम सुधा दे।
निज सेवा ना दे जो तो जन सेवा दे।
पिय सँग गलबाँही दै के दिखा दे।
ब्रजरस की इक बूँद पिला दे।
अधम उधारन विरद निभा दे।
तोहिं तजि जाऊँ कित नाम बता दे।
मुझ खोटे को खरों के सँग चला दे।
तू ही इक मेरी यह बोध करा दे।
छोड़ूंँ नहिं पाछा चाहे चक्र चला दे।
तेरी दासी माया वाय डाटि भगा दे।
तोहिं दीन प्रिय मोहिं दीन बना दे।।।
अपने कृपालु को भी प्रेम दिला दे॥
मेरा सब कुछ तेरा दिया हुआ राधे।
तन ले ले मन ले ले धन ले ले राधे।
जनम जनम का भिखारी तोहिं का दे।
बरबस ले ले सब प्रेम सुधा दे।
भुक्ति मुक्ति माँगूँ नहिं प्रेम सुधा दे।
निज सेवा ना दे जो तो जन सेवा दे।
पिय सँग गलबाँही दै के दिखा दे।
ब्रजरस की इक बूँद पिला दे।
अधम उधारन विरद निभा दे।
तोहिं तजि जाऊँ कित नाम बता दे।
मुझ खोटे को खरों के सँग चला दे।
तू ही इक मेरी यह बोध करा दे।
छोड़ूंँ नहिं पाछा चाहे चक्र चला दे।
तेरी दासी माया वाय डाटि भगा दे।
तोहिं दीन प्रिय मोहिं दीन बना दे।।।
अपने कृपालु को भी प्रेम दिला दे॥
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रचयिता : जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
पुस्तक : ब्रजरस माधुरी-3
पृष्ठ संख्या : 116
कीर्तन संख्या : 60
सर्वाधिकार सुरक्षित © जगद्गुरु कृपालु परिषत्
पुस्तक : ब्रजरस माधुरी-3
पृष्ठ संख्या : 116
कीर्तन संख्या : 60
सर्वाधिकार सुरक्षित © जगद्गुरु कृपालु परिषत्