आजा मैया तेरा करूँ सोलह सिंगार

आजा मैया तेरा करूँ सोलह सिंगार


आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार,
तेरे रूप को रच सके ना कोई रचनाकार।

केसर चंदन हल्दी का, मैं तेरा लेप करूं,
दूध दही फूलों से मैं तेरा अभिषेक करूं,
महक रही है मेरी माता, महक रहा संसार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।

लाल लाल जोड़ा पहनाऊं, गोटा झिलमिल करे,
चुनड़ की शोभा है अनुपम, सूरज चांद जड़े,
पैरों में अलता, हाथों में मेहंदी, निरखूं बारंबार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।

माथे तेरे बोरला साजे, काना में कुंडल,
चूम रहा है चंद्रहार, मेरी माता का आंचल,
मैया तेरे चुड़ले माहीं, हीरे की भरमार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।

बिंदी लाल लगे माथे पे, मांग सजे सिंदूर,
नैना काजल, होंठ तेरे लाली से भरपूर,
नथनी तेरे गाल से मैया, करती है तकरार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।

बाजूबंद बंधे बाहों से, मन ही मन इतराए,
उंगली से लगकर अंगूठी, फूली नहीं समाए,
लिपट के बोली तागड़ी, मेरा होना हुआ साकार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।

पायलिया बड़भागिनी, जो जगह चरण में पाए,
बिछुए मां के चरणों की शोभा रहे बढ़ाए,
जहां तुम्हारे चरण पड़े मां, वहीं स्वर्ग का द्वार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।

सुंदर हो अति सुंदर तुम, सुंदरता की खान,
हे ममतामयी रूप का तेरे, कैसे करूं बखान,
रूप अलौकिक मैया तेरा, निरखूं बारंबार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।

हे करुणामयी माता तुम हो, करुणा का भंडार,
तेरी दया से फूले फले हम भक्तों का परिवार,
इतनी विनती देना मैया ममता का अधिकार,
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।



Aaja Maiya Tera Karun Solah shingar आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार

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Aaja Maiya Tera Karun Solah shingar...
आजा मैया तेरा करूं सोलह सिंगार।।।
Sung and written by Ranjana Gunjan
Music by Sakal Deo Sahni
गायिका एवं रचना रंजना गुंजन
संगीत सकल देव साहनी
 
माँ के सोलह सिंगार की अराधना के माध्यम से देवी की अलौकिक सुंदरता, करुणा और भक्त के अद्वितीय भावों का विस्तार है। भक्त अपनी माता रानी को केसर, चंदन, हल्दी, दूध-दही, फूलों, लाल जोड़े और अनुपम आभूषणों से श्रृंगारित करते हुए यह अनुभव करता है कि संसार का कोई भी रचनाकार माँ के रूप की पूर्णता को नहीं गढ़ सकता। माँ के हर अंग-प्रत्यंग पर सजावट—माथे पर बोरला, कानो में कुंडल, हाथों में मेहंदी-बाजूबंद, पैरों में अलता-बिछुए—भक्त के प्रेम और समर्पण की प्रतीक होती है। माँ की लाल चुनरी, चोला, हार और गहनों की महिमा अनुपम है; माँ का रूप महकता है, उसके साथ पूरा घर, संसार और भक्त का मन भी सुगंधित हो उठता है। 
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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