जय जय आरति आदि जिणंदा जय जय आरति आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नंदा, पहले आरति पूजा कीजे, नरभव पामीने लाहो लीजे, दुसरी आरति दीन दयाला, धुळेवा मंडपमां जग अजवाळा, तीसरी आरति त्रिभुवन देवा, सुरनर इन्द्र करे तोरी सेवा, चोथी आरति चउगति चुरे, मनवांछित फल शिवसुख पुरे, पंचमी आरति पुन्य उपाया, मूळचन्दे ऋषभ गुण गाया,
મૂળચંદે ઋષભ ગુણ ગાયા. જયo Jay Jay Aarti Aadi Jinanda Naabhiraya Maroodevika Nanda Jay Jay Aarti Aadi Jinanda Pehli Aarti Puja Kije, Nar Bhav Paami Ne Lahavo Leeje Dusri Aarti Din Dayala, Dhuleva Mandap Ma Jag Ajwala Jay Jay Aarti Aadi Jinanda Teesri Aarti Tribhuvan Deva, Sur Nar Indra Kare Tori Seva Chauthi Aarti Chaugati Chure, Mann Vanchhiit Fal Shiv Sukh Pure Jay Jay Aarti Aadi Jinanda Panchmi Aarti Punya Upaayo, Mulchande Rushabh Gun Gaayo Jay Jay Aarti Aadi Jinanda Naabhiraya Maroodevika Nanda Jay Jay Aarti Aadi Jinanda" जय जय आरती आदि जिनदा जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नन्दाः
पहली आरती पूजा कीजे, नरभव पामीने लाहो लीजे, जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नन्दाः ॥१॥ दूसरी आरती दीनदयाळा, धूलेवा मंडपमां जग अजवाळ्या, जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नन्दाः ॥२॥ तीसरी आरती त्रिभुवन देवा, सुर नर इंद्र करे तोरी सेवा, जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नन्दाः ॥३॥ चौथी आरती चउ गति चूरे, मनवांछित फल शिवसुख पूरे, जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नन्दाः ॥४॥ पंचमी आरती पुण्य उपाया, मूळचंदे ऋषभ गुण गाया, जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नन्दाः ॥५॥