माँ का दर्शन जिसने पाया उसने पाया
(मुखड़ा)
माँ का दर्शन जिसने पाया,
उसने पाया अमृत फल,
जय माता की कहता चल,
जय माता की कहता चल।।
(अंतरा)
ऊँचे पहाड़ों वाली माता,
सबकी झोली भरती हैं,
माँ चरणों में सबका हल,
माँ चरणों में सबका हल,
जय माता की कहता चल,
जय माता की कहता चल।।
ओ मन मूढ़, नाम सुमर ले,
शेरावाली माता का,
तज कर पाप, कपट और छल,
तज कर पाप, कपट और छल,
जय माता की कहता चल,
जय माता की कहता चल।।
शेरावाली माता तेरे,
सारे दुखड़े हर लेवेगी,
जो जप लेगा पल दो पल,
जो जप लेगा पल दो पल,
जय माता की कहता चल,
जय माता की कहता चल।।
माँ का रूप बसा कर मन में,
'राजेंद्र' जय माता की बोल,
होंगे सारे काम सफल,
होंगे सारे काम सफल,
जय माता की कहता चल,
जय माता की कहता चल।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
माँ का दर्शन जिसने पाया,
उसने पाया अमृत फल,
जय माता की कहता चल,
जय माता की कहता चल।।
माँ का दर्शन जिसने पाया उसने पाया अमृतफल.....