जाग रे बंजारा रे तू किन की देखे बाट रे लिरिक्स Jaag Re Banjara Re Tu Kin Ki Dekhe Baat Re Lyrics
अरे जाग रे अब,
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
{तुम बंजारे के समान राही हो, तुम्हारा सफ़र यायावरी है, तुम अब तो अज्ञान की नींद से जागो }
तू किन की देखे बाट रे
{तुम किसकी राह देख रहे हो ?}
बाड़ी का भंवरा रे
अरे किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
{तुम किसकी राह देख रहे हो -बाड़ी के भँवरे बाड़ी से आशय है बगिया/छोटा खेत, तुम तो भँवरे हो, तुम्हारा यहाँ कोई स्थाई स्थान नहीं है, तुम किसकी राह देख रहे हो ?, अब तो अज्ञान की नींद से जागो }
काई सोयो तू नींद में
बाड़ी का भंवरा रे
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
{तुम अज्ञान की नींद में क्या सो रहे हो, तुम किसकी राह देख रहे हो ?}
सोना चांदी काई पहरे
बंजारा रे, बंजारा रे
सोना चांदी काई पहरे
बंजारा रे, बंजारा रे
अरे हीरा को व्यापार रे
बागां का भंवरा रे
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
{सोने और चाँदी के आभूषण को तुम क्या पहन रहे हो ! तुम जागो मैं तो तुम्हें हीरों के व्यापार की और अग्रसर कर रहा हूँ। सोना और चांदी तो तुलनात्मक रूप से कम महत्वपूर्ण है मैं तो तुम्हें हीरों के व्यापार की बात बताता हूँ, इसलिए तुम क्या सो रहे हो, इस अज्ञान की नींद से जागो। }
चढ़ कर डूंगर देख ले
बंजारा रे, बंजारा रे
डूंगर चढ़ कर देख ले
बंजारा रे, बंजारा रे
ऊपर चढ़ कर देख ले
बंजारा रे, बंजारा रे
थारी ऊभी करूँ मनवार रे
बाड़ी का भंवरा रे
(डूंगर-पहाड़ / ऊपर पहाड़ पर चढ़ कर देखो मैं तो तुम्हारी खड़ी होकर मनुहार कर रही हूँ। }
ये भी भँवरे वाली बात है.
हीरा रो व्यापार रे
बाड़ी का भंवरा रे
होयो उजालो ज्ञान को
बंजारा रे, बंजारा रे
मार चोट आसमान में,
बाड़ी का भंवरा रे!
मार चोट आसमान में,
बाड़ी का भंवरा रे
{हरी का सुमिरन हो हीरे के व्यापार के माफ़िक अमूल्य है, इसलिए बाड़ी के भँवरे तुम जागो और आसमान में चोट करो। }
चेत रे नर चेत रे थारी चिड़िया चुग गयी खेत रे कबीर भजन लिरिक्स
जरा हलके गाडी हाँकों कबीर भजन लिरिक्स
जाग रे अब नींद से
बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
मार चोट आसमान में
बाड़ी का भंवरा रे
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
फूलन का भंवरा रे!
बागां रा भंवरा रे!
रूपा बाई की बीनती
बंजारा रे, बंजारा रे
सब हिल मिल भेला चालजो
{बाई रूपा जी -भगत रूपा बाई की विनती है की सभी से हिल मिल कर चलना यही संतों की वाणी है। }
बाड़ी का भंवरा रे
बागां रा भंवरा रे!
बाड़ी का भंवरा रे
जाग ले अब नींद से
बंजारा रे, बंजारा रे
तू किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
मत जोवे तू बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
बाड़ी का भंवरा रे
बागां रा भंवरा रे!
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
{तुम बंजारे के समान राही हो, तुम्हारा सफ़र यायावरी है, तुम अब तो अज्ञान की नींद से जागो }
तू किन की देखे बाट रे
{तुम किसकी राह देख रहे हो ?}
बाड़ी का भंवरा रे
अरे किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
{तुम किसकी राह देख रहे हो -बाड़ी के भँवरे बाड़ी से आशय है बगिया/छोटा खेत, तुम तो भँवरे हो, तुम्हारा यहाँ कोई स्थाई स्थान नहीं है, तुम किसकी राह देख रहे हो ?, अब तो अज्ञान की नींद से जागो }
काई सोयो तू नींद में
बाड़ी का भंवरा रे
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
{तुम अज्ञान की नींद में क्या सो रहे हो, तुम किसकी राह देख रहे हो ?}
सोना चांदी काई पहरे
बंजारा रे, बंजारा रे
सोना चांदी काई पहरे
बंजारा रे, बंजारा रे
अरे हीरा को व्यापार रे
बागां का भंवरा रे
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
{सोने और चाँदी के आभूषण को तुम क्या पहन रहे हो ! तुम जागो मैं तो तुम्हें हीरों के व्यापार की और अग्रसर कर रहा हूँ। सोना और चांदी तो तुलनात्मक रूप से कम महत्वपूर्ण है मैं तो तुम्हें हीरों के व्यापार की बात बताता हूँ, इसलिए तुम क्या सो रहे हो, इस अज्ञान की नींद से जागो। }
चढ़ कर डूंगर देख ले
बंजारा रे, बंजारा रे
डूंगर चढ़ कर देख ले
बंजारा रे, बंजारा रे
ऊपर चढ़ कर देख ले
बंजारा रे, बंजारा रे
थारी ऊभी करूँ मनवार रे
बाड़ी का भंवरा रे
(डूंगर-पहाड़ / ऊपर पहाड़ पर चढ़ कर देखो मैं तो तुम्हारी खड़ी होकर मनुहार कर रही हूँ। }
ये भी भँवरे वाली बात है.
हीरा रो व्यापार रे
बाड़ी का भंवरा रे
होयो उजालो ज्ञान को
बंजारा रे, बंजारा रे
मार चोट आसमान में,
बाड़ी का भंवरा रे!
मार चोट आसमान में,
बाड़ी का भंवरा रे
{हरी का सुमिरन हो हीरे के व्यापार के माफ़िक अमूल्य है, इसलिए बाड़ी के भँवरे तुम जागो और आसमान में चोट करो। }
चेत रे नर चेत रे थारी चिड़िया चुग गयी खेत रे कबीर भजन लिरिक्स
जरा हलके गाडी हाँकों कबीर भजन लिरिक्स
जाग रे अब नींद से
बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
मार चोट आसमान में
बाड़ी का भंवरा रे
जाग रे बंजारा रे, बंजारा रे
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
फूलन का भंवरा रे!
बागां रा भंवरा रे!
रूपा बाई की बीनती
बंजारा रे, बंजारा रे
सब हिल मिल भेला चालजो
{बाई रूपा जी -भगत रूपा बाई की विनती है की सभी से हिल मिल कर चलना यही संतों की वाणी है। }
बाड़ी का भंवरा रे
बागां रा भंवरा रे!
बाड़ी का भंवरा रे
जाग ले अब नींद से
बंजारा रे, बंजारा रे
तू किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
मत जोवे तू बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
बाड़ी का भंवरा रे
बागां रा भंवरा रे!
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जाग रे बंजारा रे!
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
Wake up wanderer
Who are you waiting for?
Why do you sleep so deep?
O bee of this garden!
किन की जोवे बाट रे
बाड़ी का भंवरा रे
Wake up wanderer
Who are you waiting for?
Why do you sleep so deep?
O bee of this garden!
A wake up call from Kabir, this song of simple metaphors and direct address, reminds us of our bee-like existence - always wandering, always searching. It shakes us out of our many unconscious slumbers, and demands that we take the uphill journey towards wisdom with total awareness.
Camera: Shabnam Virmani
Editing: Sharanya Gautam
Sub-Titling: Prashant Parvataneni
Collection: Kabir Project
Sub-Titling: Prashant Parvataneni
Collection: Kabir Project
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