चार नयन समझाऊँ पियाजी भजन

चार नयन समझाऊँ पियाजी कबीर भजन

चार नयन समझाऊँ पियाजी कबीर भजन Chaar Nayan Samjhaau Piyaji Lyrics Kabir Bhajan Lyrics

एजी सतसंग की आधी घड़ी,
और सुमिरण वर्ष पचास,
बरसा बरसे एक घड़ी,
अरहट बारा मास,
तो सिमरण में मन लाइए,
जैसे कामी काम,
एक पलक बिसरे नहीं,
निज दिन आठो याम।
चार नयन समझाऊँ पियाजी,
पर घर प्रीत ना करना जी,
इसी बूँद से हीरा हो निपजै,
सो पर घर नहीं देणा जी।

वारी रे वारी म्हारा सतगुरु स्वामी,
 दिल का भेद ना देणा जी,
चार कोण में रमें जोगीड़ा,
बालक सम रम रहणा जी,
चार नयन समझाऊँ पियाजी,
पर घर प्रीत ना करना जी,
इसी बूँद से हीरा हो निपजै,
सो पर घर नहीं देणा जी।

यारी तो मरदों की है यारी,
क्या तिरया की यारी जी,
पल में रुलावे, पल में हँसावे,
पल में क़ैद करावे जी
चार नयन समझाऊँ पियाजी,
पर घर प्रीत ना करना जी,
इसी बूँद से हीरा हो निपजै,
सो पर घर नहीं देणा जी।

पर नारी से प्रीत ना करियो,
करियो रे करियो,
ना लगाइयो अंगा जी,
दसों शीश रावण के कट गए,
पर नारी के संगा जी,
चार नयन समझाऊँ पियाजी,
पर घर प्रीत ना करना जी,
इसी बूँद से हीरा हो निपजै,
सो पर घर नहीं देणा जी।

गगन मंडल थी गउआ बियाणी,
धरणी में दूध जमायो जी,
सब संतन मिल मन्थन किया,
माखन जोत जलाया जी,
चार नयन समझाऊँ पियाजी,
पर घर प्रीत ना करना जी,
इसी बूँद से हीरा हो निपजै,
सो पर घर नहीं देणा जी।

गगन मंडल में उधम धतूरा,
कहाँ अमी का वासा जी,
सुगरा होवे भर भर पीवे,
नुगरा प्यासा जाता जी,
चार नयन समझाऊँ पियाजी,
पर घर प्रीत ना करना जी,
इसी बूँद से हीरा हो निपजै,
सो पर घर नहीं देणा जी।

कहे कबीर सुणो भाई साधो,
साधो रे साधो,
यह बात है निर्वाणी,
इसी बात की करे ख़ोजना,
उसे समझना ब्रह्म ज्ञानी,
चार नयन समझाऊँ पियाजी,
पर घर प्रीत ना करना जी,
इसी बूँद से हीरा हो निपजै,
सो पर घर नहीं देणा जी।


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