मन ना रंगाए जोगी कपड़ा रंगाएँ भजन

मन ना रंगाए जोगी कपड़ा रंगाएँ भजन

 
मन ना रंगाए जोगी कपड़ा रंगाएँ Man Na Rangaaye Jogi Kapada Rangaaye Lyrics Hari Om Sharan Bhajan

कबीर साहेब ने अनेकों अनेक स्थान पर वाणी दी है की हमें "जप माला छापा तिलक" जैसे पाखंडों और दिखावे से दूर रहना चाहिए। इश्वर सर्वज्ञानी है उसे पाखंडों से और कर्मकांडों से प्रभावित नहीं किया जा सकता है। इसलिए यदि भक्ति करनी है तो सच्चे हृदय से हरी के नाम का सुमिरण करना चाहिए। कपडे रंगाने से कोई लाभ नहीं होने वाला है, मन को रंगाना होगा। यदि हरी का सुमिरन करना है तो मन का एकाग्रचित्त होना आवश्यक है, ऐसा नहीं की गुफा में बैठकर मन भक्ति के स्थान पर चारों और विषय विकार में लगा है। मन के मनके को फिराना है, तुलसी (काष्ठ) की माला को फिराने से कोई लाभ नहीं होने वाला है _सत श्री कबीर साहेब

तन को जोगी सब करे, मन को करे ना कोई,
सहजे सब सिद्धि पाइए, जो मन जोगी होय॥
हम तो जोगी मनही के, तन के हैं ते और,
मन को जोग लगावता, दशा भई कछु और॥

मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ,
मन ना फिराए जोगी, मनका फिराएं,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ।

आसन मार गुफा में बैठे,
मनवा चहुँ दिस ध्याएँ,
भव तारट घट बीच बिराजे,
खोजन तीरथ जाए,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ।

पोथी बाँचें याद करावें,
भगति कहूँ नहीं पाएँ,
मनका मनका फेरे नाहीं,
तुलसीमाल फिराए, फिराए,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ।

जोगी होके जागा नाहीं,
चौरासी भरमाएं,
जोग जुगत सो दास कबीरा,
अलख निरंजन पाएँ,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ।

मन ना रंगाए जोगी,कपड़ा रंगाए,
मन ना फिराए जोगी,मनका फिराए,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ,
मन ना रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाएँ।


Man Na Rangaye Jogi Kapada Rangaye
 
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Tan Ko Jogi Sab Kare, Man Ko Kare Na Koi,
Sahje Sab Siddhi Paaiye, Jo Man Jogi Hoy.
Ham To Jogi Manhi Ke, Tan Ke Hain Te Aur,
Man Ko Jog Lagawata, Dasha Bhai Kachu Aur.


बहुत से लोग बाहर से साधना करते दिखते हैं, पर अंदर का मन वैसा ही भटकता रहता है। असली सिद्धि तो तब मिलती है जब मन को ही साध लिया जाए, क्योंकि यही जीवन का केंद्र है। बाहरी दिखावा छोड़कर मन को शांत करना सिखाता है कि छोटी-छोटी बातों में उलझने से कुछ हाथ न लगे। जैसे कोई गुफा में बैठकर भी मन चारों तरफ दौड़ता रहे, तो सारी मेहनत व्यर्थ चली जाती।

​कपड़े रंगवाने या माला घुमाने से मन का रंग नहीं बदलता, ये तो बस दिखावा है। पोथी पढ़ने या तीर्थ घूमने में भी अगर मन न लगे, तो भगवान की भक्ति कैसे हो। कबीर जैसे संत बताते हैं कि चौरासी लाख योनियों के भ्रम में फंसकर जीवन निकल जाता है। सच्ची जोग साधना मन को अलख निरंजन से जोड़ती है, जहां आसक्ति मिट जाती और शांति बस जाती।

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Man Na Rangaye Jogi Kapada Rangaye · Hari Om Sharan Kahat Kabir Suno Bhai Sadho
 
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