सकल बन बन ढूँढू।
ए बारे सैय्या तोहे,
सकल बन बन ढूँढू।
बिदना तिहारी कोऊ ये ना जाने
देहो दरस अपनो मोहे प्यारे
ए बारे सैय्या तोहे,
सकल बन बन ढूँढू।
आजा आ रे बालमवा,
मोरा तुमबिन कैसै राखू जिया,
आजा आ रे बालमवा,
जबसे गए मोरी सुध हुं न लिनी
मोसे करत झूठी बतिया
ए बारे सैय्या तोहे सकल बन बन ढूँढू Aie Baare Saiya Tohe Sakal Ban Ban Dhundhu Lyrics
Sakal Ban Ban Dhoondhoo.
E Baare Saiyya Tohe,
Sakal Ban Ban Dhoondhoo.
Bidana Tihaaree Kooo Ye Na Jaane
Deho Daras Apano Mohe Pyaare
E Baare Saiyya Tohe,
Sakal Ban Ban Dhoondhoo.
Aaja Aa Re Baalamava,
Mora Tumabin Kaisai Raakhoo Jiya,
Aaja Aa Re Baalamava,
Jabase Gae Moree Sudh Hun Na Linee
Mose Karat Jhoothee Batiya
अन्य वर्शन
विलंबित तीनताल
ए बारे सैयाँ तोहे सकल बन बन ढूँढू |
बिधना तोसे ये मांगत हूँ;
देहो दरस मैका प्यारे ||
द्रुत तीनताल -
धन धन भाग नंद को
जिनके घर आये श्याम |
चारोही वेद पुरान और मुनीजन
न जान पाए श्याम ||
मैं तो साँवर के रंग राची
साज सिंघार बाँधी पग घुँगरू
लोक लाज तजी नाची
गइ कुमती लइ साधू की संगती
भगत रूप भइ साँची
गाये गाये हरी के गुण निसदिन
काल व्याल सूं बांची
उन बिन सब जग खारो लागत
और बात सब कांची
मीरा श्री गिरीधर लाल सूं
भगती रसीली जांची
राग नंद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक मधुर और मध्यम गति का प्रसिद्द राग है। इसे रागानुशासन के अनुसार नटभैरव थाट से जोड़ा गया है। इस राग को विशेष रूप से भक्तिपूर्ण भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गाया जाता है। राग नंद को राग आनंदी और राग कामोद के मेल से उत्पन्न माना जाता है, जो इसे एक मधुर और सुगम राग है।
राग नंद की विशेषताएँ:
थाट: नटभैरव
जाति: औडव-सम्पूर्ण (आरोह में 5 स्वर और अवरोह में 7 स्वर)
आरोह: सा, रे, ग, प, ध, सां
अवरोह: सां, नि, ध, प, म, ग, रे, सा
वादी स्वर: ग (गंधार)
संवादी स्वर: नि (निषाद)
गायन का समय: रात्रि का पहला प्रहर (6 PM - 9 PM)
राग की विशेषता:
राग नंद की रचना में पंचम स्वर का विशेष महत्व है। आरोह में पंचम से ऊपर जाते हुए धैवत का प्रयोग किया जाता है, जिससे यह राग अलग पहचान बनाता है।
अवरोह में कोमल निषाद का प्रयोग राग की मधुरता और कोमलता को बढ़ाता है।
राग नंद का भाव:
इस राग में गाते या बजाते समय गायक और वादक मधुरता और शांति का अनुभव कराते हैं। यह राग अधिकतर शांत, भक्तिपूर्ण और शृंगारिक भावनाओं को व्यक्त करता है। इसे सुनकर मन में शांति और सुकून का अहसास होता है।
ताल:
राग नंद को विभिन्न तालों में गाया या बजाया जा सकता है, लेकिन प्रमुख रूप से इसमें तीनताल और एकताल का प्रयोग किया जाता है।
तीनताल: तीनताल 16 मात्राओं का ताल है, जिसमें 4-4 मात्राओं की 4 विभाजन होते हैं। तीनताल की सम, खली और ताली इस प्रकार होती हैं:
सम: 1 (धा धिन धिन धा)
2nd ताली: 5 (धा धिन धिन धा)
खली: 9 (धा तिन तिन ता)
3rd ताली: 13 (ता धिन धिन धा)
एकताल: एकताल 12 मात्राओं का ताल है, जिसमें 6-6 मात्राओं के 2 विभाजन होते हैं। इसकी ताली और खली निम्नलिखित है:
सम: 1 (धा धिन धा तिन तिन धा)
खली: 7 (धा तिन धा तिन तिन धा)
राग नंद की प्रसिद्ध रचनाएँ:
राग नंद की कई प्रसिद्ध बंदिशें और खयाल रचनाएँ हैं, जिनमें अधिकतर भक्ति और शृंगार रस के भाव निहित होते हैं। इसे शास्त्रीय संगीत के अलावा भजन और फिल्मी गीतों में भी सुना जा सकता है।
Raga: Raga Nand Taal: Teentaal(Vilambit) and Ektaal(Drut) Composition: Dhundu Baare Saiyan & Aaja Re Balamawa Composer: Dhundu Baare Saiyan : Mehboob Khan “Daraspiya” (d. 1921) Aaja Re Balamawa : Gaansarasvati Kishori Amonkar Vocalist: Gaansaraswati Padmavibhushan smt. Kishori Amonkar Style: Jaipur-Atrauli Gharana Tabla: Harmonium: Shri. Suyog Kundalkarआपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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Author - Saroj Jangir
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