मैं केही समझांऊं सब जग अंधा लिरिक्स Main Kehi Samjhaau Sab Jag Andha Lyrics Hindi Meaning Kabir Bhajan
इक दुइ होय उन्हैं समुझावौं,
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
Ik Dui Hoy Unhain Samujhavaun,
Kehi Samujhavau Sab Jag Andha
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
Ik Dui Hoy Unhain Samujhavaun,
Kehi Samujhavau Sab Jag Andha
Main Kehi Samjhaau Sab Jag Andha Hindi Meaning एक दो हों तो मैं उनको समझा सकता हूँ लेकिन सारा जग ही अँधा है। मैं इनको कैसे समझाऊ ? भाव है की इस जगत में ज्यादातर लोग देखा देखी में निकल पड़े हैं, सही मायनों में वे अंधे हैं। जगत अँधा है क्योंकि वह एक दूसरे का अनुसरण करता है, परख नहीं करता है की यह जीवन क्षणिक है, रोज तो इसको समाप्त हो ही जाना है। इस जीवन का उद्देश्य क्या है और यह जीवन क्यों है। I can teach one or two, How can I teach when whole world is ignorant (blind)
पानी घोड पवन असवरवा,
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा॥
Pani Ghod Pavan Asavarava,
Dharaki Parai Jas Osak Bunda॥
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा॥
Pani Ghod Pavan Asavarava,
Dharaki Parai Jas Osak Bunda॥
शरीर में वायु/प्राण वायु का संचार होता है और वह ऐसे होता है मानों वह एक पानी की बून्द से निर्मित हो। वह एक रोज ऐसे ढलक जायेगी जैसे सूर्य के उदय होने पर ओस की बून्द निचे गिर जाती है। ऐसे ही एक रोज जीवन समाप्त हो जाता है, जैसे ओस की बून्द। Air flows in body made of water Dies off like dew drop (As dew drop dry when sun comes up, similarly death comes without any warning when time is up)
गहिरी नदी अगम बहै धरवा,
खेवन- हार के पडिगा फन्दा॥
Gaharee Nadee Agam Bahe Dharava,
Khevan- Har Ke Padiga Phanda
खेवन- हार के पडिगा फन्दा॥
Gaharee Nadee Agam Bahe Dharava,
Khevan- Har Ke Padiga Phanda
नदी बहुत गहरी है और इसकी धारा भी बहुत तेज है जिसे रोका जाना मुश्किल है। इसका खिवैया अब मुश्किल में है। माया के जाल से व्यक्ति का निकल पाना मुश्किल है क्योंकि माया का प्रवाह अत्यंत ही तीव्र है। भाव है की भक्ति मार्ग पर बढ़ने में कई प्रकार की मुश्किलें हैं जिनसे साधक को दो चार होना पड़ता है। माया फंदा डालकर बैठी रहती है और जीव को अपने ही जाल में फंसाने के लिए आतुर रहती है। Deep is river, unstoppable its flow, Sailor is trapped in noose (river signifies maya, man is trapped in unescapable hold of maya)
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
Kehi Samujhavau Sab Jag Andha
इस जगत के सभी व्यक्ति अंधे हैं इनको कैसे समझाया जाय। How can I teach when whole world is ignorant(blind)
लागी आगि सबै बन जरिगा,
बिन गुरु ज्ञान भटकिगा बन्दा
Lagi Agi Sabai Ban Jariga,
Bin Guru Gyan Bhatakiga Banda
यह जगत माया के भ्रम जाल के कारण माया की अग्नि में जलता है। गुरु के ज्ञान के अभाव में जीवात्मा भटकती ही रहती है और व्यर्थ ही अमूल्य जीवन को बर्बाद करती है। यहाँ पर गुरु के ज्ञान को महत्त्व दिया गया है। Whole forest is burning with fire, without Guru’s knowledge/teaching, man wanders (forest stands for world and fire for maya, wandering stands for taking one birth after another)
घर की वस्तु नजर नहि आवत,
दियना बारि के ढूँढत अन्धा
Ghar Ki Vastu Najar Nahi Avat,
Diyana Bari Ke Dhoondhat Andha
घर पर जो वस्तु है वह उसे नहीं देख पाता है और बाहर खोज में व्यस्त रहता है। अन्य स्थान पर साहेब की वाणी है की "मौको कहाँ ढूंढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में " भाव है की घट घट में हरी का वास है, लेकिन लोग अपने घर की वस्तु को छोड़कर अन्यत्र /बाहर इश्वर को ढूंढते रहते हैं। दिया जला कर अंधे की तरह वे इश्वर को बाहर यथा मंदिर मस्जिद, तीर्थ और कर्मकांड में ढूंढते हैं जो की हास्यास्पद है। इसलिए साहेब ने जग को अँधा कहा है। You can’t find things in your house, Lighting lamp blind searches outside (house stands for body, man search for knowledge outside)
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
Kehi Samujhavau Sab Jag Andha
जगत के व्यक्तियों/जगत को कैसे समझाया जाय क्योंकि ये सभी अंधे हैं। How can I teach when whole world is ignorant (blind)
चार दिन की ज़िन्दगी और अनादी भरोसा,
जन्म के साथ लाये घाटॆ का धन्दा
Char Din Kee Zindagee Aur Anadi Bharosa
Janm Ke Saath Laaye Ghaatai Ka Dhanda
यह जीवन तो चार दिनों के लिए मिला है और हम अनादी (अनंत ) समय के लिए इससे आस लगाए बैठे हैं। ऐसा करके हम घाटे का ही धंधा कर रहे हैं। Life is very short and deep is faith (to never die), Since born you are trading in loss (You are playing a losing battle with death)
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
एक दिन जाना है दुसरे के कन्धा
kahai kabir suno bhaee sadho,
ek din jaana hai dusare ke kandha
कबीर साहेब कहते हैं की मेरी बात सुनों हमें तो एक रोज दुसरे के कंधें पर ही जाना है। यह जगत तो एक सराय की भाँती है, स्थाई निवास नहीं है। मालिक के घर एक रोज सभी को ही जाना है। Listen oh seeker says Kabir, Everybody has to leave this world, on others shoulders(for cremation)
इक दुइ होय उन्हैं समुझावौं,
ik dui hoy unhain samujhavaun,
kehi samujhavau sab jag andha
एक या दो हों तो उन्हें समझाया जा सकता है लेकिन इस जगत को कैसे समझाया जाय, यह जगत ही अंधा है, जो सत्य को पहचान नहीं रहा है। I can teach one or two, How can I teach when whole world is ignorant (blind)
ik dui hoy unhain samujhavaun - Ashwini Bhide Deshpande - Kabir Bhajan
Other Version
Main Kehi Samjhaau Sab Jag Andha Lyrics
केहि समुझावौ सब जग अन्धा,
इक दु होयॅं उन्हैं समुझावौं,
सबहि भुलाने पेटके धन्धा,
पानी घोड पवन असवरवा,
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा,
गहिरी नदी अगम बहै धरवा,
खेवन- हार के पडिगा फन्दा,
घर की वस्तु नजर नहि आवत,
दियना बारिके ढूॅंढत अन्धा,
लागी आगि सबै बन जरिगा,
बिन गुरुज्ञान भटकिगा बन्दा,
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
जाय लिङ्गोटी झारि के बन्दा,
इक दुइ होय उन्हैं समुझावौं,
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
पानी घोड पवन असवरवा,
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा॥
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
गहिरी नदी अगम बहै धरवा,
खेवन- हार के पडिगा फन्दा॥
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
लागी आगि सबै बन जरिगा,
बिन गुरु ज्ञान भटकिगा बन्दा
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
घर की वस्तु नजर नहि आवत,
दियना बारि के ढूँढत अन्धा
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
चार दिन की ज़िन्दगी और अनदि भरोसा,
जन्म के साथ लाये घाटॆ का धन्दा
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
एक दिन जाना है दुसरे के कन्धा
इक दुइ होय उन्हैं समुझावौं,
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
Ik Du Hoy Unhen Samujhaavaun
Sabahi Bhulaane Pet Ke Dhandha.
Paanee Ghod Pavan Asavarava
Dharaki Parai Jas Osak Bunda
Gahiree Nadee Agam Bahai Dharava
Khevanahaar Ke Padiga Phanda.
Ghar Kee Vastu Najar Nahi Aavat
Diyana Baari Ke Dhooaindhat Andha
Laagee Aagi Sabai Ban Jariga
Bin Gurugyaan Bhatakiga Banda.
Kahai Kabeer Suno Bhaee Saadho
Jaay Langotee Jhaari Ke Banda
Unhen Ek Ya Do Samajhaen,
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Paani Ghod Pavan Asavaarava,
Jaise Hee Nakhalistaan Ko Kavar Kiya Jaata Hai.
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Gahiree Nadi Agam Bahai Ghar,
Khevan- Haar Ke Jaal Mein Phans Jaega.
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Laagi Agi Sab Ban Jariga,
Bin Guru Gyaan Bhatakiga Baanda
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Ghar Kee Vastu Dikhaee Nahin Detee,
Daayana Baaree Kee Andhee Najar
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Chaar Din Kee Jindagee Aur Aaree,
Ghaat Ka Vyavasaay Janm Ke Saath Laaya
Kahai Kabeer Suno Bhaee Saadho,
Ek Din Mujhe Doosare Ke Kandhe Par Jaana Hoga
Unhen Ek Ya Do Samajhaen,
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
एक दुई होई तो उन्हें समझांऊं,
मैं केही समझांऊं सब जग अंधा ॥
पानी के घोदा पवन असवरवा,
धरकी पडे जैसे ओस के बुंदा ।
गहरी नदियां अगम बहे धारा,
खेवनु-हार के पड गया फंदा ॥
लागी अगिया सबै बन जरीगा,
बिन गुरु ज्ञान भटक गया बंदा ।
घर की वस्तु नजर नहीं आवे,
दियना-बार के ढुंढत चंदा ॥
चार दिन की जिंदगी और अनादी भरोसा,
जनम के साथ लाए घाटे का धंदा ।
कहत कबिरा सुनो भाई साधो,
एक दिन जाना है दुसरे के कंधा ॥
Main Kehi Samjhaau Sab Jag Andha Lyrics
केहि समुझावौ सब जग अन्धा,
इक दु होयॅं उन्हैं समुझावौं,
सबहि भुलाने पेटके धन्धा,
पानी घोड पवन असवरवा,
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा,
गहिरी नदी अगम बहै धरवा,
खेवन- हार के पडिगा फन्दा,
घर की वस्तु नजर नहि आवत,
दियना बारिके ढूॅंढत अन्धा,
लागी आगि सबै बन जरिगा,
बिन गुरुज्ञान भटकिगा बन्दा,
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
जाय लिङ्गोटी झारि के बन्दा,
इक दुइ होय उन्हैं समुझावौं,
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
पानी घोड पवन असवरवा,
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा॥
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
गहिरी नदी अगम बहै धरवा,
खेवन- हार के पडिगा फन्दा॥
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
लागी आगि सबै बन जरिगा,
बिन गुरु ज्ञान भटकिगा बन्दा
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
घर की वस्तु नजर नहि आवत,
दियना बारि के ढूँढत अन्धा
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
चार दिन की ज़िन्दगी और अनदि भरोसा,
जन्म के साथ लाये घाटॆ का धन्दा
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
एक दिन जाना है दुसरे के कन्धा
इक दुइ होय उन्हैं समुझावौं,
केहि समुझावौ सब जग अन्धा
Ik Du Hoy Unhen Samujhaavaun
Sabahi Bhulaane Pet Ke Dhandha.
Paanee Ghod Pavan Asavarava
Dharaki Parai Jas Osak Bunda
Gahiree Nadee Agam Bahai Dharava
Khevanahaar Ke Padiga Phanda.
Ghar Kee Vastu Najar Nahi Aavat
Diyana Baari Ke Dhooaindhat Andha
Laagee Aagi Sabai Ban Jariga
Bin Gurugyaan Bhatakiga Banda.
Kahai Kabeer Suno Bhaee Saadho
Jaay Langotee Jhaari Ke Banda
Unhen Ek Ya Do Samajhaen,
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Paani Ghod Pavan Asavaarava,
Jaise Hee Nakhalistaan Ko Kavar Kiya Jaata Hai.
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Gahiree Nadi Agam Bahai Ghar,
Khevan- Haar Ke Jaal Mein Phans Jaega.
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Laagi Agi Sab Ban Jariga,
Bin Guru Gyaan Bhatakiga Baanda
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Ghar Kee Vastu Dikhaee Nahin Detee,
Daayana Baaree Kee Andhee Najar
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
Chaar Din Kee Jindagee Aur Aaree,
Ghaat Ka Vyavasaay Janm Ke Saath Laaya
Kahai Kabeer Suno Bhaee Saadho,
Ek Din Mujhe Doosare Ke Kandhe Par Jaana Hoga
Unhen Ek Ya Do Samajhaen,
Samajhaen Ki Sab Kuchh Andha Hai
एक दुई होई तो उन्हें समझांऊं,
मैं केही समझांऊं सब जग अंधा ॥
पानी के घोदा पवन असवरवा,
धरकी पडे जैसे ओस के बुंदा ।
गहरी नदियां अगम बहे धारा,
खेवनु-हार के पड गया फंदा ॥
लागी अगिया सबै बन जरीगा,
बिन गुरु ज्ञान भटक गया बंदा ।
घर की वस्तु नजर नहीं आवे,
दियना-बार के ढुंढत चंदा ॥
चार दिन की जिंदगी और अनादी भरोसा,
जनम के साथ लाए घाटे का धंदा ।
कहत कबिरा सुनो भाई साधो,
एक दिन जाना है दुसरे के कंधा ॥
अश्विनी भिडे-देशपांडे का जन्म 7 अक्टूबर, 1960 को संगीत के पारखी और महान संगीतकारों के परिवार में मुंबई में हुआ था। अश्विनी भिडे-देशपांडे ने संगीत विशारद अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय से पूर्ण किया। अश्विनी भिडे-देशपांडे ने मुंबई के प्रतिष्ठित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से जैव रसायन में पीएचडी भी प्राप्त की।
शास्त्रीय संगीत में अश्विनी भिडे-देशपांडे की यात्रा नारायणराव दातार के संरक्षण में शुरू हुई, जो ग्वालियर घराने की पलुस्कर शाखा से सबंध रखते थे। बाद में, उनकी मां, माणिक भिड़े के निर्देशन में वे जयपुर-अतरौली शैली के पारंपरिक पहलुओं को सीखने और राग-संगीत की बारीकियों का अध्ययन करने से बनी थी। जयपुर-अतरौली, मेवाती और पटियाला घरानों से प्रभावित होने के कारण, उन्होंने अपनी संगीत शैली बनाई है। वह तीन प्राथमिक सप्तकों पर एक मजबूत प्रभाव और पकड़ रखती है।
शास्त्रीय संगीत में अश्विनी भिडे-देशपांडे की यात्रा नारायणराव दातार के संरक्षण में शुरू हुई, जो ग्वालियर घराने की पलुस्कर शाखा से सबंध रखते थे। बाद में, उनकी मां, माणिक भिड़े के निर्देशन में वे जयपुर-अतरौली शैली के पारंपरिक पहलुओं को सीखने और राग-संगीत की बारीकियों का अध्ययन करने से बनी थी। जयपुर-अतरौली, मेवाती और पटियाला घरानों से प्रभावित होने के कारण, उन्होंने अपनी संगीत शैली बनाई है। वह तीन प्राथमिक सप्तकों पर एक मजबूत प्रभाव और पकड़ रखती है।
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