बाबा जोगी एक अकेला हिंदी मीनिंग Baba Jogi Ek Akela Hindi Meaning Kabir Ke Pad
बाबा जोगी एक अकेला, जाके तीर्थ ब्रत न मेला॥टेक॥
झोलीपुत्र बिभूति न बटवा, अनहद बेन बजावै॥
माँगि न खाइ न भूखा सोवै, घर अँगना फिरि आवै॥
पाँच जना का जमाति चलावै, तास गुरु मैं चेला॥
कहै कबीर उनि देस सिधाय, बहुरि न इहि जगि मेला॥
Baaba Jogee Ek Akela, Jaake Teerth Brat Na Mela.tek.
Jholeeputr Bibhooti Na Batava, Anahad Ben Bajaavai.
Maangi Na Khai Na Bhookha Sovai, Ghar Angana Phiri Aavai.
Paanch Jana Ka Jamaati Chalaavai, Taas Guru Main Chela.
Kahai Kabeer Uni Des Sidhaay, Bahuri Na Ihi Jagi Mela.
झोलीपुत्र बिभूति न बटवा, अनहद बेन बजावै॥
माँगि न खाइ न भूखा सोवै, घर अँगना फिरि आवै॥
पाँच जना का जमाति चलावै, तास गुरु मैं चेला॥
कहै कबीर उनि देस सिधाय, बहुरि न इहि जगि मेला॥
Baaba Jogee Ek Akela, Jaake Teerth Brat Na Mela.tek.
Jholeeputr Bibhooti Na Batava, Anahad Ben Bajaavai.
Maangi Na Khai Na Bhookha Sovai, Ghar Angana Phiri Aavai.
Paanch Jana Ka Jamaati Chalaavai, Taas Guru Main Chela.
Kahai Kabeer Uni Des Sidhaay, Bahuri Na Ihi Jagi Mela.
कबीर के पद का हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Kabir Pad Baba Jogi Ek Akela
कबीर साहेब सम्बोधित करते हुए कहते हैं की हे बाबा ! जोगी तो इस संसार में अकेला होता है। जोगी के लिए कोई तीर्थ, कोई वर्त, और मेला नहीं होता है। जोगी अकेला होगा है। जो सही मायनों में जोगी है उसे किसी झोली, विभूति (तन पर राख लगाकर ढोंग रचना ) और धन के लिए उसे किसी बटुए की आवश्यकता नहीं होती हैं।जोगी तो अनहद बीन बजाता है, ईश्वर की भक्ति में लीन रहता है। वह माँग कर नहीं खाता है लेकिन वह भूखा भी नहीं सोता है। भाव है की उसकी व्यवस्या स्वंय ही हो जाती है। वह स्वंय की चेतना रूपी आँगन में ही विचरण करता है। भौतिक जगत से वह अपना ध्यान हटाकर हरी की भक्ति में ही लीन रहता है।
जोगी पाँचों इन्द्रियों (आँख, नाक, कान जिव्हा और त्वचा ) को अपने वश में रखकर उन्हें नियंत्रित करता है। ऐसे जोगी/योगी का मैं चेला बन सकता हूँ। ऐसे सिद्ध जोगी इस जगत को छोड़कर उस देश (अमरापुर ) चले गए नहीं और पुनः लौट कर माया जनित संसार के जनम मरण के चक्र में नहीं पड़ेंगे। भाव है की हरी भक्ति से ऐसे जोगी ने स्वंय को आवागमन से मुक्त कर लिया है। इस पद में कबीर साहेब ने सच्चे योगी की पहचान बताई है। योगी को सांसारिक व्यापार से कुछ लेना देना नहीं होता है। वह जगत में रहकर भी अमरापुर में वास करता है। कबीर ऐसे जोगी के शिष्य बनने को तैयार हैं।
baaba jogee ek akela - Madhup Mudgal - Kabir Bhajan
baaba jogee ek akela - Madhup Mudgal - Kabir Bhajan
baaba jogee ek akela , jaake teer bat na mela||
जोगी की पहचान है की वह अकेला रहता है। सच्चे जोगी के लिए कोई तीर्थ, वर्त और मेला आदि धार्मिक अनुष्ठान और कर्मकांड कोई मायने नहीं रखती है। Baba, Yogi lives alone in this physical world, he neither goes to religious places,fest and nor keeps any fast (starve body of food or give pain to body) जोगी-साधु /योगी, जाके=जिसके, तीर्थ -धार्मिक स्थान, बत-व्रत, मेला=धार्मिक गोष्टी।
झोलीपुत बिभूति न बटवा, अनहद बेन बजावै॥
jholeeput bibhooti na batava , anahad ben bajaavai||
सच्चे जोगी/साधू को परिभाषित करते हुए कबीर साहेब वाणी देते हैं की जोगी के पास कोई झोली, विभूति और बटुआ आदि नहीं होते हैं। झोलीपुत=मांग कर रखने का झोला, बिभूति= विभूति जिसे अपने तन पर मल कर साधू या जोगी होने का दिखावा किया जाता है। बटवा=पैसे रखने का बटुआ, अनहद बेन=परमानंद रूपी संगीत जो शून्य में बजता है। बजावै=playing of instrument
He neither carries any alms begging bowl, applies ashes to his forhead, body nor carries any money with him. He plays sounds of silence
माँगि न खाइ न भूखा सोवै, घर अँगना फिरि आवै॥
maangi na khai na bhookha sovai , ghar angana phiri aavai||
सच्चा जोगी ना तो माँग कर खाता है और नाहीं भूखा ही सोता है। वह तो अपने चेतन आंगन में ही विचरण करता है। माँगि=माँगना, खाइ=खाना, सोवै=सोता है, अँगना= चेतन अवस्था में आँगन , फिरि आवै=taking a round of a place. He neither begs for food to eat, not does he sleep empty stomach, he always remains mindful of his body(to keep away from cravings)
बाबा जोगी एक अकेला, जाके तीर् बत न मेला॥
baaba jogee ek akela , jaake teer bat na mela||
जोगी अकेला रहता है और उसके लिए धार्मिक कर्मकांड और अनुष्ठान आदि कोई मायने नहीं रखते हैं, यथा तीर्थ, वर्त और मेला आदि। जोगी=Yogi, जाके=for him, तीर्=religious places, बत=fasting, मेला=religious fest
Baba, Yogi lives alone in this physical world, he neither goes to religious places,fest and nor keeps any fast(starve body of food or give pain to body)
झोलीपुत बिभूति न बटवा, अनहद बेन बजावै॥
jholeeput bibhooti na batava , anahad ben bajaavai||
सच्चा जोगी ना तो माँग कर खाता है और नाहीं भूखा ही सोता है। वह तो अपने चेतन आंगन में ही विचरण करता है। माँगि=माँगना, खाइ=खाना, सोवै=सोता है, अँगना= चेतन अवस्था में आँगन , फिरि आवै=taking a round of a place. He neither begs for food to eat, not does he sleep empty stomach, he always remains mindful of his body(to keep away from cravings
माँगि न खाइ न भूखा सोवै, घर अँगना फिरि आवै॥
maangi na khai na bhookha sovai , ghar angana phiri aavai||
माँगि=मांग कर, खाइ=eats, सोवै=sleeps, अँगना= courtyard, फिरि आवै=taking a round of a place
He neither begs for food to eat, not does he sleep empty stomach, he always remains mindful of his body(to keep away from cravings)
बाबा जोगी एक अकेला, जाके तीर् बत न मेला॥
baaba jogee ek akela , jaake teer bat na mela||
जोगी अकेला रहता है और उसके लिए धार्मिक कर्मकांड और अनुष्ठान आदि कोई मायने नहीं रखते हैं, यथा तीर्थ, वर्त और मेला आदि। जोगी=Yogi, जाके=for him, तीर्=religious places, बत=fasting, मेला=religious fest
Baba, Yogi lives alone in this physical world, he neither goes to religious places,fest and nor keeps any fast(starve body of food or give pain to body)
पाँच जना का जमाति चलावै, तास गुर मै चेला॥
paanc jana ka jamaati cal aavai , taas gur mai cela||
पाँचों ज्ञानेन्द्रियों को ऐसे जोगी अपने वश में रखकर नियंत्रित करते हैं। ऐसे गुरु का मैं चेला बनने को तैयार हूँ। पाँच जना=पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ , जमाति चलावै=नियंत्रित करते हैं, तास=उसका,
He has control over five senses and don’t let them run free and generate cravings. To such Guru Kabir is his disciple,servent
कहै कबीर उनि देस सिधाय, बहुरि न इहि जगि मेला॥
kahai kabeer uni des sidhaay , bahuri na ihi jagi mela||
ऐसे सच्चे जोगी इस नश्वर जगत को छोड़कर अमरापुर में चले गए हैं और लौटकर पुनः इस देश को नहीं आएंगे। उनि देस=उस देश, सिधाय=चले गए हैं /गमन, इहि=इस देस में /इस स्थान पर, बहुरि=दुबारा, जगि=place, मेला=fun-fair Says Kabir, live in that world which is beyond senses and this world is not made for him
बाबा जोगी एक अकेला, जाके तीर् बत न मेला॥
baaba jogee ek akela , jaake teer bat na mela||
जोगी अकेला रहता है और उसके लिए धार्मिक कर्मकांड और अनुष्ठान आदि कोई मायने नहीं रखते हैं, यथा तीर्थ, वर्त और मेला आदि। जोगी=Yogi, जाके=for him, तीर्=religious places, बत=fasting, मेला=religious fest
Baba, Yogi lives alone in this physical world, he neither goes to religious places,fest and nor keeps any fast(starve body of food or give pain to body)
कबीर साहेब के अन्य पद / Kabir Ke Pad
ऐसा रे अवधु की वाणी, ऊपरि कूवटा तलि भरि पाँणी।
जब लग गगन जोति नहीं पलटै, अबिनासा सुँ चित नहीं विहुटै।
जब लग भँवर गुफा नहीं जानैं, तौ मेरा मन कैसै मानैं॥
जब लग त्रिकुटी संधि न जानें, ससिहर कै घरि सूर न आनैं।
जब लग नाभि कवल नहीं सोधै, तौ हीरै हीरा कैसै बेधैं॥
सोलह कला संपूरण छाजा, अनहद कै घरि बाजे बाजा॥
सुषमन कै घरि भया अनंदा, उलटि कबल भेटे गोब्यंदा।
मन पवन जब पर्या भया, क्यूँ नाले राँपी रस मइया।
कहे कबीर घटि लेहु बिचारी, औघट घाट सींची ले क्यारी॥
जब लग गगन जोति नहीं पलटै, अबिनासा सुँ चित नहीं विहुटै।
जब लग भँवर गुफा नहीं जानैं, तौ मेरा मन कैसै मानैं॥
जब लग त्रिकुटी संधि न जानें, ससिहर कै घरि सूर न आनैं।
जब लग नाभि कवल नहीं सोधै, तौ हीरै हीरा कैसै बेधैं॥
सोलह कला संपूरण छाजा, अनहद कै घरि बाजे बाजा॥
सुषमन कै घरि भया अनंदा, उलटि कबल भेटे गोब्यंदा।
मन पवन जब पर्या भया, क्यूँ नाले राँपी रस मइया।
कहे कबीर घटि लेहु बिचारी, औघट घाट सींची ले क्यारी॥
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