एक अचम्भा देखा रे भाई ठाड़ा सिंह चरावै गाई हिंदी मीनिंग Ek Achambha Dekha Re Bhai Hindi Meaning
एक अचम्भा देखा रे भाई, ठाड़ा सिंह चरावै गाई।
पहले पूत पीछे भई माई, चेला के गुरु लगै पाई॥
जल की मछली तरूवर व्याई, पकड़ि बिलाई मुर्गा खाई॥
बैलहि डारि गूति घर लाई, कुत्ता कूलै गई विलाई॥
तलि करि साषा ऊपरि करि मूल। बहुत भांति जड़ लागे फूल।
कहै कबीर या पद को बूझै। ताकू तीन्यू त्रिभुवन सूझै॥
पहले पूत पीछे भई माई, चेला के गुरु लगै पाई॥
जल की मछली तरूवर व्याई, पकड़ि बिलाई मुर्गा खाई॥
बैलहि डारि गूति घर लाई, कुत्ता कूलै गई विलाई॥
तलि करि साषा ऊपरि करि मूल। बहुत भांति जड़ लागे फूल।
कहै कबीर या पद को बूझै। ताकू तीन्यू त्रिभुवन सूझै॥
Kabir Ulatbasi Hindi Meaning कबीर उलटबासी हिंदी मीनिंग : कबीर साहेब की साधारण भाषा में उलटवाँसियों में जीवन का गूढ़ रहस्य भरा हुआ है। साहेब की वाणी है की मैंने एक अचम्भा देखा शेर को गाय चरा रही है। पहले पुत्र जन्म लेता है और फिर माता का जन्म होता है। गुरु अपने चेले के पैर छूता है। जल में रहने वाली मछली पेड़ से विवाह कर लेती है।मुर्गे ने बिल्ली को पकड़ कर उसे खा लिया। बैल को गुति घर को लाती है। कुत्ता और बिल्ली प्रणय कर रहे हैं।
कबीर साहेब की उलटबांसी का अर्थ लगाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन सामान्य अर्थ में यह कहा जा सकता है की शेर के संस्कार/आदत हिंसा की होती है लेकिन यदि उसे साध लिया जाए, प्रशिक्षित कर दिया जाए, नियंत्रित कर दिया जाए तो वह गाय के समान स्वभाव से भोला हो जाता है। उसकी हिंसा की आदत दूर हो जाती है।
आत्मा को माता मानकर "मन" को पुत्र माना गया है। पहले अपने मन को नियंत्रित करना पड़ता है, सुसंस्कृत करना पड़ता है और इसके बाद आत्मा बोध हासिल हो पाता है। इसी अर्थ में पुत्र पहले और आत्मा बाद में उदय होती है/जन्म लेती है। संसार के ज्ञान को चेला समझा गया है और आत्म ज्ञान गुरु। जैसे पहले संसार का बोध होता है और इसके उपरान्त ही आत्म ज्ञान उत्पन्न होता है, इसी अर्थों में गुरु शिष्य के पैर छू रहा है। बुद्धि को मछली समझा गया है और यह जगत पेड़। बुद्धि जब जगत में आती है तभी वह विस्तारित होती है। मुर्गा वैराग्य है और बिल्ली माया है। वैराग्य के उत्पन्न हो जाने पर वह बिल्ली रूपी माया को समाप्त कर देता है।
अनाज की थैली बैल को अपने कंधे पर डालकर घर ले आती है। साधना की अवस्था में संस्कारी रूपी कुत्ता तप रूपी बिल्ली से मिलाप कर लेता है। बैल को अनाज की थैली घर पर ले आती है। कुत्ता और बिल्ली मिलाप कर लेते हैं जो विरुद्ध विचार के हैं। ऐसे ही पेड़ की शाखा जमीन के अंदर और जड़ आकाश में फैली हैं। फल और फूल जड़ों पर लगने लगे हैं। साहेब कहते हैं की जो इस पद का अर्थ निकाल सके वह तीनों लोकों को समझ सकता है।
साधक की चेतन वस्था जो की अनाज की थैली है, अविवेकी बैल को घर की तरफ ले आता है।
कबीर साहेब की उलटबांसी का अर्थ लगाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन सामान्य अर्थ में यह कहा जा सकता है की शेर के संस्कार/आदत हिंसा की होती है लेकिन यदि उसे साध लिया जाए, प्रशिक्षित कर दिया जाए, नियंत्रित कर दिया जाए तो वह गाय के समान स्वभाव से भोला हो जाता है। उसकी हिंसा की आदत दूर हो जाती है।
आत्मा को माता मानकर "मन" को पुत्र माना गया है। पहले अपने मन को नियंत्रित करना पड़ता है, सुसंस्कृत करना पड़ता है और इसके बाद आत्मा बोध हासिल हो पाता है। इसी अर्थ में पुत्र पहले और आत्मा बाद में उदय होती है/जन्म लेती है। संसार के ज्ञान को चेला समझा गया है और आत्म ज्ञान गुरु। जैसे पहले संसार का बोध होता है और इसके उपरान्त ही आत्म ज्ञान उत्पन्न होता है, इसी अर्थों में गुरु शिष्य के पैर छू रहा है। बुद्धि को मछली समझा गया है और यह जगत पेड़। बुद्धि जब जगत में आती है तभी वह विस्तारित होती है। मुर्गा वैराग्य है और बिल्ली माया है। वैराग्य के उत्पन्न हो जाने पर वह बिल्ली रूपी माया को समाप्त कर देता है।
अनाज की थैली बैल को अपने कंधे पर डालकर घर ले आती है। साधना की अवस्था में संस्कारी रूपी कुत्ता तप रूपी बिल्ली से मिलाप कर लेता है। बैल को अनाज की थैली घर पर ले आती है। कुत्ता और बिल्ली मिलाप कर लेते हैं जो विरुद्ध विचार के हैं। ऐसे ही पेड़ की शाखा जमीन के अंदर और जड़ आकाश में फैली हैं। फल और फूल जड़ों पर लगने लगे हैं। साहेब कहते हैं की जो इस पद का अर्थ निकाल सके वह तीनों लोकों को समझ सकता है।
साधक की चेतन वस्था जो की अनाज की थैली है, अविवेकी बैल को घर की तरफ ले आता है।
एक अचंभा देखा रे भाई,
ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई॥
ek acambha dekha re bhaee,
thaarha sindh caraavai gaee||
ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई॥
ek acambha dekha re bhaee,
thaarha sindh caraavai gaee||
शब्दार्थ : अचंभा=आश्चर्य, ठाढ़ा सिंध=विशाल शेर, चरावै=चरा रहा है , गाई=गाय।
हिंदी मीनिंग : हमने एक अचम्भा आश्चर्य देखा की एक शेर गाय को चरा रहा है। Oh friend, I have seen a wonder, Lion is herding cows.
पहले पूत पीछे भइ माँई,
चेला कै गुरु लागै पाई।
pahale poot peeche bhi maanee ,
cela kai guru laagai paee|
पहले पुत्र और इसके उपरान्त माता जन्म लेती है।
पूत=पुत्र, पीछे भइ=इसके उपरान्त उत्पन्न हुई, माँई=माँ, चेला=शिष्य, लागै पाई=पैर छू कर आदर देना।
पहले पुत्र पैदा हुआ और इसके उपरान्त माता जगत में आई। गुरु अपने चेले के पैर छू रहा है। First is birth of the son and then mother, Guru touches the disciple’s feet
एक अचंभा देखा रे भाई,
ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई॥
ek acambha dekha re bhaee,
thaarha sindh caraavai gaee||
उलटबासी ही की शेर को गाय चरा रही है।
शब्दार्थ : अचंभा=आश्चर्य, ठाढ़ा सिंध=विशाल शेर, चरावै=चरा रहा है , गाई=गाय।
हिंदी मीनिंग : हमने एक अचम्भा आश्चर्य देखा की एक शेर गाय को चरा रहा है। Oh friend, I have seen a wonder, Lion is herding cows.
जल की मछली तरवर ब्याई,
पकरि बिलाई मुरगै खाई॥
jal kee machalee taravar byaee ,
pakari bilaee muragai khaee||
जल में रहने वाली मछली पेड़ से शादी करती है। मुर्गे ने बिल्ली को पकड़ने के बाद खा लिया। तरवर=पेड़, ब्याई=शादी करना, ब्याह करना, पकरि=पकड़ना, बिलाई=बिल्ली, मुरगै=मुर्गा, खाई=खा गई है।
Fish of water marries tree, catches cat and eats cock
बैलहि डारि गूँनि घरि आई,
कुत्ता कूँ लै गई बिलाई॥
bailahi daari goonni ghari aaee ,
kutta koon lai gaee bilaee||
अनाज की थैली बैल को घर पर लेकर आती है और कुत्ते और बिल्ली का मिलान हो जाता है।
बैलहि=बैल, डारि गूँनि=फंदा डालकर, घरि=घर, कूँ लै गई=को लेकर आना, बिलाई=बिल्ली।
Brings home buffalo by putting reins around neck, cat takes away the dog
एक अचंभा देखा रे भाई,
ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई॥
ek acambha dekha re bhaee,
thaarha sindh caraavai gaee||
शब्दार्थ : अचंभा=आश्चर्य, ठाढ़ा सिंध=विशाल शेर, चरावै=चरा रहा है , गाई=गाय।
हिंदी मीनिंग : हमने एक अचम्भा आश्चर्य देखा की एक शेर गाय को चरा रहा है। Oh friend, I have seen a wonder, Lion is herding cows.
तलिकर साषा ऊपरि करि मूल
बहुत भाँति जड़ लगे फूल।
talikar saasha oopari kari
mool bahut bhaanti jar lage phool .
पेड़ की शाखा निचे की ओर हैं और जड़े ऊपर की तरफ। जड़ के ही फल और फूल लग रहे हैं।
तलिकर=तल की तरफ़, निचे की ओर, साषा= शाखा, ऊपरि करि = ऊपर (आकाश) की तरफ, मूल =जड़,
बहुत भाँति=बहुत प्रकार के। Brings down the branches of trees and takes roots of tree up(higher then branches), root of tree has different flowers
कहै कबीर या पद को बूझै,
ताँकूँ तीन्यूँ त्रिभुवन सूझै॥
kahai kabeer ya pad ko boojhai ,
taankoon teenyoon tribhuvan soojhai||
कबीर साहेब कहते हैं की जो इस पद का अर्थ लगा पाता है वह तीनों लोकों की समझ रखता है। बूझै=जाने/समझे, ताँकूँ=उसको, तीन्यूँ=तीनों, त्रिभुवन=तीन लोक/तीन ब्रह्माण्ड, सूझै=समझ में आकर क्रियान्वित होना। Says Kabir, one who can understand these verses, he will be have knowledge of three worlds.
एक अचंभा देखा रे भाई,
ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई॥
ek acambha dekha re bhaee,
thaarha sindh caraavai gaee||
शब्दार्थ : अचंभा=आश्चर्य, ठाढ़ा सिंध=विशाल शेर, चरावै=चरा रहा है , गाई=गाय।
हिंदी मीनिंग : हमने एक अचम्भा आश्चर्य देखा की एक शेर गाय को चरा रहा है। Oh friend, I have seen a wonder, Lion is herding cows.
पहले पूत पीछे भइ माँई,
चेला कै गुरु लागै पाई।
pahale poot peeche bhi maanee ,
cela kai guru laagai paee|
पूत=पुत्र, पीछे भइ=इसके उपरान्त उत्पन्न हुई, माँई=माँ, चेला=शिष्य, लागै पाई=पैर छू कर आदर देना।
पहले पुत्र पैदा हुआ और इसके उपरान्त माता जगत में आई। गुरु अपने चेले के पैर छू रहा है। First is birth of the son and then mother, Guru touches the disciple’s feet
एक अचंभा देखा रे भाई,
ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई॥
ek acambha dekha re bhaee,
thaarha sindh caraavai gaee||
शब्दार्थ : अचंभा=आश्चर्य, ठाढ़ा सिंध=विशाल शेर, चरावै=चरा रहा है , गाई=गाय।
हिंदी मीनिंग : हमने एक अचम्भा आश्चर्य देखा की एक शेर गाय को चरा रहा है। Oh friend, I have seen a wonder, Lion is herding cows.
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