बहुत दिनन की जोवती बाट तुम्हारी राम मीनिंग कबीर के दोहे

बहुत दिनन की जोवती बाट तुम्हारी राम मीनिंग Bahut Dinan Ki Jovati Baat Tumhari Raam Meaning

बहुत दिनन की जोवती बाट तुम्हारी राम मीनिंग Bahut Dinan Ki Jovati Baat Tumhari Raam Meaning

बहुत दिनन की जोवती, बाट तुम्हारी राम।
जिव तरसै तुझ मिलन कें, मनि नाहीं विश्राम।।
or
बहुत दिनन की जोवती, बाट तुम्हारी राम।
जिव तरसे तुझ मिलन कूँ, मनि नाहीं विश्राम।।
Bahut Dinan Kee Jovatee, Baat Tumhaaree Raam.
Jiv Tarasai Tujh Milan Ken, Mani Naaheen Vishraam.
Or
Bahut Dinan Kee Jovatee, Baat Tumhaaree Raam.
Jiv Tarase Tujh Milan Koon, Mani Na Vaheen Vishraam.


कबीर दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Bahut Dinan Ki Jovati Hindi

  • बहुत दिनन-बहुत समय से.
  • जोवती = देखती हूँ, प्रतीक्षा करती हूँ।
  • बाट = राह देखना/इन्तजार करना।
  • राम = पूर्ण परम ब्रह्म परमात्मा।
  • जिव = जीव, प्राण।
  • तुझ = तुमसे / इश्वर।
  • विश्राम= चैन, धैर्य, ठहराव।
दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Dohe Ka Hindi Meaning :- जीवात्मा पूर्ण परम ब्रह्म से मिलने को व्याकुल है और विरह में तड़प रही है. वह हरी से करूँण पुकार करती है की उसे राह देखते देखते बहुत दिन बीत गए हैं/ बहुत वक्त हो गया है. यह आत्मा आपसे मिलने को तरस रही है और मन में विश्राम नहीं है. जीवात्मा को तभी विश्राम मिलेगा जब उसका मिलन पूर्ण परम ब्रह्म से होगा. जीवात्मा हरी से मिलने को व्याकुल है जो इस दोहे में वर्णन प्राप्त होता है. आत्मा पूर्ण परमात्मा से मिलने को व्याकुल है जो चिरंतन है. आत्मा परमात्मा में एकाकार होने के लिए चिरकाल से व्याकुल है. ऐसी स्थिति में वह इस जगत में स्वंय को बेचैन पाती है. इस दोहे में स्वभावोक्ति अलंकार का उपयोग हुआ है.
गुरु गोविन्द तौ एक है, दूजा यहु आकार।।
आपा मेटि जीवित मरै, तौ पावै करतार।।
Or
गुरु गोविन्द तो एक है, दूजा यहु आकार।
आपा मेट जीवित मरे, तो पावे करतार।।​
Guru Govindadau Ek Hai, Dooja Itu Aakaar
Tum Maitee Jeevit Marai, Ta Paavai Karataar 

Guru Govind To Ek Hai, Dooja Itu Aakaar.
Aapa Mile Jeevit Mare, To Paave Karataar


कबीर दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Guru Govind To Ek hai Hindi

  • गुरु -गुरु / शिक्षक
  • गोविन्द -इश्वर
  • तौ एक है-दोनों एक ही हैं.
  • दूजा यहु आकार-आकार ही दोनों के प्रथक हैं.
  • आपा मेटि -अहंकार को समाप्त करने के उपरान्त.
  • जीवित मरै-अहंकार को मिटा कर जीवन यापन करना.
  • तौ पावै करतार-तब इश्वर की प्राप्ति संभव है.
दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Dohe Ka Hindi Meaning :- गुरु और गोविन्द (इश्वर) एक ही हैं, जो दो नजर आते हैं लेकिन वस्तुतः एक ही हैं. जो अपने अहंकार को समाप्त कर देता है तो उसे इश्वर की प्राप्ति संभव हो पाती है. गुरु और इश्वर में जो भेद उत्पन्न होता है वह स्वंय की अज्ञानता के कारण ही होता है. दोनों की उपाधि भिन्न हैं लेकिन दोनों मूल रूप से एक ही हैं. क्योंकि इश्वर तक ले जाने वाला भी गुरु ही होता है. उल्लेखनीय है की माया के भ्रम के कारण ही अहंकार जीवित रहता है और अहम् ही इश्वर की प्राप्ति में सबसे बड़ा बाधक होता है. अहम् की समाप्ति के उपरान्त इश्वर और गुरु एकाकार हो जाते हैं. कबीर के इस दोहे में इस दोहे में अनुप्रास और विरोधाभाष अलंकार का सुन्दर उपयोग हुआ है. भाव है की साधक को अहंता का भाव त्यागना आवश्यक है.

ज्ञान प्रकासा गुरु मिला, सों जिनि बीसरि जाइ।
जब गोविन्द क्रिया करी, तब गुरु मिलिया आइ।
or
ग्यान प्रकास्या गुर मिल्या, सो जिनि बीसरि जाइ।
जब गोबिंद कृपा करी, तब गुर मिलिया आइ॥


कबीर दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Gyan Prakasha Guru Milya Hindi

  • ज्ञान प्रकासा -ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न होने पर.
  • गुरु मिला- गुरु की प्राप्ति हुई.
  • बीसरि जाइ -भूल नहीं जाऊं.
इश्वर की कृपा के उपरान्त ही सच्चे गुरु से मिलन हो पाता है. गुरु के द्वारा दी गए सच्चे ज्ञान को मैं कभी भूल नहीं जाऊं ऐसा मुझे प्रयत्न करना है.

पाछे लागा जाइ था, लोक वेद के साथि।
आगै मैं सत्गुरु मिल्या, दीपक दीया हाथ।
or
पीछैं लागा जाइ था, लोक वेद के साथि।
आगैं थैं सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि ।।
Paachhe Laaga Jaee Tha, Lok Ved Ke Saathi.
Aagai Main Satguru Milya, Deepak Deeya Haath.


दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Dohe Ka Hindi Meaning :- साधक पहले अज्ञानता के कारण लोक और वेदों (किताबों ) में सत्य की खोज में लगा था. इसी खोज में आगे चलकर मुझे सतगुरु से मिलना हो पाया और उन्होंने मुझे दीपक हाथों में दिया. गुरु ही सत्य का ज्ञान करवा पाता है. गुरु जो सत्य का दीपक हाथों में देता है जिससे साधक को बोध हो पाता है की अन्धकार क्या है और प्रकाश क्या है.

बूड़े थे परि उबरे, गुरु की लहरि चमंकि,
भेरा देख्या जरजरा,(तब) उतरि पड़े फरंकि।।
or
बूडे था पै ऊबरा, गुरु की लहरि चमकि।
भेरा देख्या जरजरा,(तब) उतरि पड़े फरंकि।।
Bude The Pari Ubare, Guru Ki Lahari Chamanki,
Bhera Dekhya Jarjara, Utari Pade Faranki.
Boodha Tha Pai Oobara, Guru Kee Lahari Chamaki.
Bhera Dekhya Jarajara, (Tab) Utari Grast Phari.


कबीर दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Bude The Pare Ubare.

बड़े-डूबे हुए थे. गरु की लहर चमकी-गुरु का ज्ञान उपदेश. भेरा-एक तरह की नांव, जरजरा-जर्जर, फरंकि-फड़क कर/ उछल कर. चमकि-यकायक प्रकट होना. 

कबीर साहेब की वाणी है की हम तो डूबने ही वाले थे की उबर गए. हम तो परम्परागत भेरा (एक तरह की नांव) में सवार थे जो बहुत ही जर्जर थी, लेकिन तभी गुरु के उपदेश रूपी लहर चमकी और गुरु ने उछल कर हमें डूबने से बचा लिया. भाव है की हम तो किताबी और परम्परागत ज्ञान के आधार पर भव सागर में आगे बढे जा रहे थे लेकिन हमारी नांव तो जर्जर थे जिसका डूबना तय था. तभी गुरु के उपदेश की लहर यकायक प्रकट हुई और उसने उछल कर हमें डूबने से बचा लिया. किताबी ज्ञान से कुछ प्राप्त होने से रहा, यदि सत्य को प्राप्त करना है तो गुरु के ज्ञान का अनुसरण करना आवश्यक है.

कबीर चित्त चमंकिया, चहुँ दिसि लागी लाई।
हरि सुमिरन हाथ घड़ा, बेगे लेहु बुझाई।।
पारब्रह्म के तेज का, कैसा है उनमान।
कहिबे के सोभा नहीं, देख्या ही परमान।।
चिंता तौ हरि नाँव की, और न चितवै दास।
जे कछु चितवें राम बिन, सोइ काल की पास।।
नैनां अंतर आव तू नैन झाँपि तोहि लेउँ।
नी हौं देख और कें, ना तुझ देखन देउँ।।
मूरिख संग न कीजिए, लोहा जल न तिराह।
कदली सीप भुवंग मुख, एक बूंद तिहूँ भाइ।।
यहु ऐसा संसार है, जैसा सेवल फूल।।
दिन दस के व्यौहार कौं, झूठेरंग न भूलि।।
माघी गुड़ में गड़ि रही पंष रही लपटाई।
ताली पीटै, सिर धुनें, मीठु बोई माई।
 
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