बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना लिरिक्स Bigadi Koun Sudhare Nath Bina Lyrics
इस भजन (बिगड़ी कोण सुधारे नाथ बिना ) को श्री प्रकाश माली जी ने स्वर दिया है। यह भजन राजस्थानी भाषा का भजन है जिसमे स्पष्ट किया गया है की बनी बनी के सब कोई साथी होते हैं, बिगड़ी का कोई नहीं होता है। बिगड़ी को सुधारने वाला एक ही होता है। वह है ईश्वर(दीनानाथ). बिगड़ी और सुधरी बहन रूप में होती हैं। भरी सभा में जब दौपदी ने श्री कृष्ण को याद किया तो उन्होंने ही द्रौपदी का चीर (वस्त्र) बढ़ाया, सभा में अन्य कोई उनकी सहायता के लिए नहीं आया। इस भव सागर को पार करने का एक ही सहारा है, वह है राम नाम का आधार। अनेकों अनेक जतन के उपरान्त मानव देह रूपी चुनरी पाई है जिसे दाग लगने से बचाना है। -सत श्री कबीर।
सूता सूता क्या करे, नी सूता ने आवे नींद,
जम सिराणे आय खड़ो, ज्यूं तौरण ऑतो बीन्द,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।
बिगड़ी सुधरी दोनों बहणा,
अरे परम्परा से आयी जी,
एक दिन बिगड़ी राजा रावण की,
फिर गई राम दुहाई जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।
बनी बनी का सब कोई साथी,
अरे भई बिगड़ी का कोई नहीं,
भरी सभा चीर बढ़ायो,
अरे दीनानाथ गोसाई जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।
नेम धरम री नाँव बनाई जी,
धर्मी धर्मी पार उतरया,
अरे पापी नाँव डुबोई जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।
कड़वी बेल री कड़वी तुबंड़ियां,
सब तीरथ कर खाई जी,
घाट घाट रो जळ भर लाई,
फिर भी गई ना कड़वाई जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।
पञ्च तत्व री बनी के चुनड़ियां,
चुनड़ी रे दाग लगायो जी,
नाथ जलंधर गुरू हमारा,
राजा मान जस गायो जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।
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