मन फूला फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे लिरिक्स Man Phula Phula Phire Jagat Me Kaisa Naata Re Lyrics

कबीर भजन : मन वृथा ही जगत को अपना स्थायी घर समझने लगता है। मन गर्वित होता है जो महज़ मिथ्या है। माता, पिता, बहन, भाई, स्त्री का नाता बस दिखावटी है। एक रोज चार जने मिलकर काठ की घोड़ी को जला देंगे, जैसे होली का दहन कर दिया जाता है। कोई हिमायती काम नहीं आने वाला उस रोज। दो चार दिन का शोक मनाकर सभी इसी जगत में फिर भ्रमित हो जाएंगे, जबकि उनके सामने तेरा प्रत्यक्ष उदाहरण होगा। मन को सम्बोधित करते हुए कबीर साहेब की वाणी है की इस जगत से तेरा कैसा नाता है। यह भुलावा है, छल है। भाव है की यह जगत एक सराय की भाँती है, कुछ समय का ठिकाना है। हरी के नाम का सुमिरण ही जीवन का सदुपयोग है -सत श्री कबीर साहेब।

मन फूला फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे लिरिक्स Man Phula Phula Phire Jagat Me Kaisa Naata Re Lyrics Kabir Bhajan by Prakash Gadhvi

मन फूला फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे लिरिक्स Man Phula Phula Phire Jagat Me Kaisa Naata Re Lyrics

 
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे ॥
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रै।

माता कहे यह पुत्र हमारा,
बहन कहे बीर (भाई ) मेरा,
भाई कहे यह भुजा हमारी,
नारी कहे नर मेरा,
जगत में कैसा नाता रै,
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रै।

पेट पकड़ के माता रोवे,
बांह पकड़ के भाई,
लपट झपट के तिरिया रोवे,
हंस अकेला जाए,
जगत में कैसा नाता रै,
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रै।

जब तक जीवे माता रोवे,
बहन रोवे दस मासा,
तेरह दिन तक तिरिया रोवे,
फेर करे घर वासा,
जगत में कैसा नाता रै,
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रै।

चारगजी चरगजी बनाई,
चढ़्यो काठ की घोड़ी,
चारो कानी आग लगाई,
फूँक दियो ज्यों होरी,
जगत में कैसा नाता रै,
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रै।

हाड जले जस लाकड़ी रे,
केश जले जस घास,
सोना जैसी काया जल गई,
कोइ न आयो पास,
जगत में कैसा नाता रे,
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रै।

घर की तिरिया ढूंढन लागी,
ढुंडी फिरि चहु देशा,
कहत कबीर सुनो भई साधो,
छोड़ो जगत की आशा,
जगत में कैसा नाता रे ॥

मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे,
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रै। 
 

मन फुला फुला फिरे जगत में केसा नाता रे ...HD| Prakash Gandhi| Rajasthani! Chetavani Bhajan

Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Re .
Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai.

Maata Kahe Yah Putr Hamaara,
Bahan Kahe Beer (Bhaee ) Mera,
Bhaee Kahe Yah Bhuja Hamaaree,
Naaree Kahe Nar Mera,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai,
Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai.

Pet Pakad Ke Maata Rove,
Baanh Pakad Ke Bhaee,
Lapat Jhapat Ke Tiriya Rove,
Hans Akela Jae,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai,
Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai.

Jab Tak Jeeve Maata Rove,
Bahan Rove Das Maasa,
Terah Din Tak Tiriya Rove,
Pher Kare Ghar Vaasa,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai,
Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai.

Chaaragajee Charagajee Banaee,
Chadhyo Kaath Kee Ghodee,
Chaaro Kaanee Aag Lagaee,
Phoonk Diyo Jyon Horee,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai,
Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai.

Haad Jale Jas Laakadee Re,
Kesh Jale Jas Ghaas,
Sona Jaisee Kaaya Jal Gaee,
Koi Na Aayo Paas,
Jagat Mein Kaisa Naata Re,
Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai.

Ghar Kee Tiriya Dhoondhan Laagee,
Dhundee Phiri Chahu Desha,
Kahat Kabeer Suno Bhee Saadho,
Chhodo Jagat Kee Aasha,
Jagat Mein Kaisa Naata Re .

Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Re,
Man Phoola Phoola Phire,
Jagat Mein Kaisa Naata Rai.
 
⇨Song : मन फुला फुला फिरे जगत में केसा नाता रे
⇨Album : Sant Sandesh 1
⇨Singer : Prakash Gandhi
⇨Music : Gandhi Brothers
⇨Music Lable : PMC Rajasthani
⇨Category : Rajasthani Bhajan
⇨Sub Category : Chetavani Bhajan
⇨Track Genre : FOLK

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1 टिप्पणी

  1. भजनके अन्तरो का क्रम सही नही है