सावण दे रह्या जोरा रे लिरिक्स Sawan De Raha Jora Re Lyrics Meera Bai Bhajan Lyrics
सावण दे रह्या जोरा रे घर आयो जी स्याम मोरा रे।
उमड़ घुमड़ चहुँदिस से आया, गरजत है घन घोरा, रे।
सावण दे रह्या जोरा रे घर आयो जी स्याम मोरा रे।
दादुर मोर पपीहा बोलै, कोयल, कर रही सोरा रे।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, ज्यों वारूँ सोही थोरा रे।
सावण दे रह्या जोरा रे घर आयो जी स्याम मोरा रे।
Saavan De Rahya Jora Re Ghar Aayo Jee Syaam Mora Re.
Umad Ghumad Chahundis Se Aaya, Garajat Hai Ghan Ghora, Re.
Saavan De Rahya Jora Re Ghar Aayo Jee Syaam Mora Re.
Daadur Mor Papeeha Bolai, Koyal, Kar Rahee Sora Re.
Meeraan Ke Prabhu Giradharanaagar, Jyon Vaaroon Sohee Thora Re.
Saavan De Rahya Jora Re Ghar Aayo Jee Syaam Mora Re.
Umad Ghumad Chahundis Se Aaya, Garajat Hai Ghan Ghora, Re.
Saavan De Rahya Jora Re Ghar Aayo Jee Syaam Mora Re.
Daadur Mor Papeeha Bolai, Koyal, Kar Rahee Sora Re.
Meeraan Ke Prabhu Giradharanaagar, Jyon Vaaroon Sohee Thora Re.
Saavan De Rahya Jora Re Ghar Aayo Jee Syaam Mora Re.
शब्दार्थ-दे रहा जोरा रे = भावनाओं को उद्दप्ति कर रहा है। वारू = समर्पित करूँ।
Sawan De Rahyan Jora Re
मीरा बाई के अन्य पद/भजन
रंग भरी राग भरी रागसूं भरी री।
होली खेल्या स्याम संग रंग सूं भरी री, ।।टेक।।
उड़त गलाल लाल बादला रो रंग लाल, पिचकां उड़ावां।
रंग-रंग री झरी, री।
चोवा चन्दण अरगजा म्हा, केसर णो गागर भरी री।
मीरां दासी गिरधरनागर, चेरी चरण धरी री।।
शब्दार्थ- राग = प्रेम। गागर = मटका। चेरी = चेली, दासी। धरी = पड़ी हुई।
बादला रे थे जल भर्या आज्यो।।टेक।।
झर झर बूँदा बरसां आली कोयल सबद सुनाज्यो।
गाज्यां बाज्यां पवन मधुर्यो, अम्बर बदरां छाज्यो।
सेज सवांर्या पिय घर आस्यां सखायं मंगल गास्यो।
मीरां रे हरि अबिणासी, भाग भल्यां जिण पास्यो।।
शब्दार्थ-आली = सखी। बून्दाँ = बून्दें। मधुरियो = मन्द-मन्द। सेझ = सेज, शैया। सवारयां = सजा दी। भाग = भाग्य।
साजण म्हार धरि आया हो।।टेक।।
जुगां जुगां री जोवतां, बिरहणि पिव पाया, हो।
रतन करा नेवछावरां, ले आरत लाजां, हो।
प्रीतम दिया सनसेड़ा, म्यारो घणो एबाजां, हो।
पिया आया म्हारे साँवरा, अंग आणन्द साजां, हो।
हरि सागर सूं नेहरो, नैणां बंध्या सनेह, हो।
मीरां रे सुख सागरां, म्हारे सीस बिराजां हो।।181।।
शब्दार्थ-जुगाँ-जुगाँ = युग-युगों से। जीवताँ = देखती। नेवछावराँ = न्योछावर। सनसेड़ा = सन्देश; णेवाजाँ = निवाज दयालु। नेहरो = स्नेहे, प्रेम, नैणाँ बंध्या = नैन बंध गए।
म्हारे डेरे आज्यो जी महाराज।
चुणि चुणि कलियां रेज बिछायो, नखसिख पहर्यो साज।
जनम जनम की दासी तेरी, तुम मेरे सिरताज।
मीरां के प्रभु हरि अबिनासी, दरसण दीज्यो आज।।
शब्दार्थ- डेरे = घर। नखसिख = पूर्णतया, नख से लेकर शिखा तक। साज = आभूषण। सिरतजा = स्वामी।
थारी छव प्यारी लागै राज, राघावर महाराज।
रतन जटित सिर पेच कलगी, केसरिया सहब साज।
मीर मुकुट मकराकृत कुण्डल, रसिकारां सिरताज।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, म्हारे मिल गया ब्रजराज।।
शब्दार्थ-थारी = तुम्हारी। छब = छबि, शोभा। जटित = जड़ा हुआ। मकराकृत = मकर की आकृति के। रसिकाएँ = रसिकों के। सिरताज = स्वामी।
रंग भरी राग भरी रागसूं भरी री।
होली खेल्या स्याम संग रंग सूं भरी री, ।।टेक।।
उड़त गलाल लाल बादला रो रंग लाल, पिचकां उड़ावां।
रंग-रंग री झरी, री।
चोवा चन्दण अरगजा म्हा, केसर णो गागर भरी री।
मीरां दासी गिरधरनागर, चेरी चरण धरी री।।
शब्दार्थ- राग = प्रेम। गागर = मटका। चेरी = चेली, दासी। धरी = पड़ी हुई।
बादला रे थे जल भर्या आज्यो।।टेक।।
झर झर बूँदा बरसां आली कोयल सबद सुनाज्यो।
गाज्यां बाज्यां पवन मधुर्यो, अम्बर बदरां छाज्यो।
सेज सवांर्या पिय घर आस्यां सखायं मंगल गास्यो।
मीरां रे हरि अबिणासी, भाग भल्यां जिण पास्यो।।
शब्दार्थ-आली = सखी। बून्दाँ = बून्दें। मधुरियो = मन्द-मन्द। सेझ = सेज, शैया। सवारयां = सजा दी। भाग = भाग्य।
साजण म्हार धरि आया हो।।टेक।।
जुगां जुगां री जोवतां, बिरहणि पिव पाया, हो।
रतन करा नेवछावरां, ले आरत लाजां, हो।
प्रीतम दिया सनसेड़ा, म्यारो घणो एबाजां, हो।
पिया आया म्हारे साँवरा, अंग आणन्द साजां, हो।
हरि सागर सूं नेहरो, नैणां बंध्या सनेह, हो।
मीरां रे सुख सागरां, म्हारे सीस बिराजां हो।।181।।
शब्दार्थ-जुगाँ-जुगाँ = युग-युगों से। जीवताँ = देखती। नेवछावराँ = न्योछावर। सनसेड़ा = सन्देश; णेवाजाँ = निवाज दयालु। नेहरो = स्नेहे, प्रेम, नैणाँ बंध्या = नैन बंध गए।
म्हारे डेरे आज्यो जी महाराज।
चुणि चुणि कलियां रेज बिछायो, नखसिख पहर्यो साज।
जनम जनम की दासी तेरी, तुम मेरे सिरताज।
मीरां के प्रभु हरि अबिनासी, दरसण दीज्यो आज।।
शब्दार्थ- डेरे = घर। नखसिख = पूर्णतया, नख से लेकर शिखा तक। साज = आभूषण। सिरतजा = स्वामी।
थारी छव प्यारी लागै राज, राघावर महाराज।
रतन जटित सिर पेच कलगी, केसरिया सहब साज।
मीर मुकुट मकराकृत कुण्डल, रसिकारां सिरताज।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, म्हारे मिल गया ब्रजराज।।
शब्दार्थ-थारी = तुम्हारी। छब = छबि, शोभा। जटित = जड़ा हुआ। मकराकृत = मकर की आकृति के। रसिकाएँ = रसिकों के। सिरताज = स्वामी।
मीरा बाई एक कृष्ण भक्त कवयित्री थीं। उनका जन्म 1498 ईस्वी में राजस्थान के पाली जिले के कुड़की गाँव में हुआ था। उनके पिता रतन सिंह राठौड़ थे, जो एक राजपूत सरदार थे। मीरा बाई का विवाह मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज से हुआ था। मीरा बाई बचपन से ही कृष्ण की भक्ति में लीन थीं। उन्होंने कृष्ण के कई भजन और पद लिखे हैं। उनके भजनों में कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति की गहरी अभिव्यक्ति है।
मीरा बाई का विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने कृष्ण को अपना पति मान लिया और उनके भक्ति में लीन हो गईं। उन्होंने कृष्ण के मंदिरों में जाकर भजन गाए और कृष्ण की पूजा की। मीरा बाई की कृष्ण भक्ति को उनके परिवार और समाज ने कभी स्वीकार नहीं किया। उन्हें कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कृष्ण की भक्ति में कभी कमी नहीं आने दी।
मीरा बाई का विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने कृष्ण को अपना पति मान लिया और उनके भक्ति में लीन हो गईं। उन्होंने कृष्ण के मंदिरों में जाकर भजन गाए और कृष्ण की पूजा की। मीरा बाई की कृष्ण भक्ति को उनके परिवार और समाज ने कभी स्वीकार नहीं किया। उन्हें कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कृष्ण की भक्ति में कभी कमी नहीं आने दी।
Sawan De Rahyan Jora Re · Kishori Amonkar
Meera Lago Rang Hari
℗ 2020 Saregama India Ltd
Meera Lago Rang Hari
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