सुरज मुख ना जइबे लिरिक्स Suraj Mukh Na Jayibe Lyrics Raag Bhairavi

सुरज मुख ना जइबे लिरिक्स Suraj Mukh Na Jayibe Lyrics Raag Bhairavi

 
सुरज मुख ना जइबे लिरिक्स Suraj Mukh Na Jayibe Lyrics Raag Bhairavi

सुरज मुख ना जइबे,
रामा बिंदियां का रंग उडा जाये |

लाख टका की बिंदिया मोरी,
वो जो ननंदी नजरींयां लगाये,
रामा बिंदियां का रंग उडा जाये |

बिंदियां पहन मैं निकसी अंगनवा
वो जो देवरा नजरींयां लगाये
रामा बिंदियां का रंग उडा जाये |

बिंदियां पिया के जियांस भाये,
वो जो मुखसे कहलो न जाये,
रामा बिंदियां का रंग उडा जाये |
 

Raga Bhairavi | Vidushi Manjusha Kulkarni Patil | Bindiya Ka Ranga Uda Jaye

Sooraj Pramukh Na Jeebe,
Raama Bindiyaan Ka Rang Uda Hona |

Laakh Taka Kee Bindiya Moree,
Vo Jo Naanandee Naareense Lagaaye,
Raama Bindiyaan Ka Rang Uda Hona |

Bindiyaan Pahanate Hain Main Nikasee Anganava
Vo Jo Devara Naareenyaan Lagaaye
Raama Bindiyaan Ka Rang Uda Hona |

Bindiyaan Piya Ke Jiksas Bhaye,
Vah Jo Mukhase Kahalo Na Ho,
Raama Bindiyaan Ka Rang Uda Hona |

राग भैरवी (हिंदी: भैरबी) (उर्दू: بریرویhai) भैरवी थाट का एक हिन्दुस्तानी क्लासिकल हेप्टाटोनिक (सम्पूर्ण) राग है। परंपरागत रूप से यह सुबह के समय गई जाने वाली राग है। आधुनिक समय में, कम से कम ख्याल गायकी में, आमतौर पर संगीत कार्यक्रमों में समापन (समापन) के रूप में इसे गाया जाता है। यह अपने स्वयं के थाट की  राग है। कर्नाटक संगीत में एक भैरवी राग है जो हिंदुस्तानी राग से काफी अलग है। कर्नाटक संगीत में हनुमतोदी का हिंदुस्तानी संगीत में भैरवी जैसा ही पैमाना है। इस राग की उत्पत्ति ठाठ भैरवी से मानी गई है। इसमें रे, ग, ध और नि, कोमल लगते हैं और म को वादी तथा सा को संवादी स्वर माना गया है। वैसे तो हर राग पर फिल्मों में खूब काम हुआ है लेकिन राग भैरवी तो फिल्मी संगीतकारों का कुछ ज्यादा ही पसंदीदा राग रहा है.  बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं, जब दिल ही टूट गया, दोस्त दोस्त ना रहा, ऐ मेरे दिल कहीं और चल, रमैया वस्तावैया और जिया जले जान जले आदि गाने राग भैरवी से सबंधित गीत हैं .
 
Raga: Raga Bhairavi
Composition: Bindiya Ka Ranga Uda Jaye (Dadra)
Vocalist: Vidushi Manjusha Kulkarni Patil
Style: Gwalior, Agra Gharana
Tanpura: Rasika Vaishampayan
Tabla: Pt. Nayan Ghosh
Harmonium: Siddhesh Bicholkar

आरोह- सा रे॒ ग॒ म प ध॒ नि॒ सां।
अवरोह- सां नि॒ ध॒ प म ग॒ रे॒ सा।
पकड़- म, ग॒ रे॒ ग॒, सा रे॒ सा, ध़॒ नि़॒ सा। (मन्द्र स्वर)

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