मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं लिरिक्स Main To Pag Pag Fulada Bichhau Lyrics

मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं लिरिक्स Main To Pag Pag Fulada Bichhau Lyrics Pitar Maharaj Ka Bhajan

 
मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं लिरिक्स Main To Pag Pag Fulada Bichhau Lyrics

मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं
म्हारी माँ, म्हारी माँ,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।

कपिला गाय को गोबर मंगास्यां ,
ता बिच अँगना लेप लिपास्यां ,
म्हें तो मोतियन चौक पुरावां ,
म्हारी माँ,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।

गंगा जी से जल मंगवास्या ,
पितरां ने स्नान करास्यां ,
पाँचू ही कपड़ा पहनावां म्हारी माँ,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।

कपिला गाय को दूध मंगास्यां ,
ता बिच उजली खीर रधास्याँ ,
पितरां ने खीर जिमास्यां म्हारी माँ,
कपिला गाय को गोबर मंगास्यां ,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।

धन-चौधस की रात जगास्यां ,
पितरां ने पाटे बैठ्यासाँ ,
मावस ने भोग लगास्यां म्हारी माँ,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।

दास "गोपाल" की याही छै विनती ,
सब भक्तां की याही छै विनती ,
पितरां ने गाय रिझास्या म्हारी माँ,
की याही छै विनती,
मैं पग पग फुलङा बिछाऊं मेरी माय,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।  
 

मैं पग पग फुलङा बिछाऊं मेरी माय। Main Pag Pag Fulda Bichaun । Pitar Maharaj ka bhajan || GOPAL SAIN

मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं लिरिक्स Main To Pag Pag Fulada Bichhau Lyrics
Main To Pag-pag Phulada Bichhaoon
Mhaaree Maan, Mhaaree Maan,
Pitar Jee Padhaarayaan Mhaare Aanganiyaan.

Kapila Gaay Ko Gobar Mangaasyaan ,
Ta Bich Angana Lep Lipaasyaan ,
Mhen To Motiyan Chauk Puraavaan ,
Mhaaree Maan,
Pitar Jee Padhaarayaan Mhaare Aanganiyaan.

Ganga Jee Se Jal Mangavaasya ,
Pitaraan Ne Snaan Karaasyaan ,
Paanchoo Hee Kapada Pahanaavaan Mhaaree Maan,
Pitar Jee Padhaarayaan Mhaare Aanganiyaan.

Kapila Gaay Ko Doodh Mangaasyaan ,
Ta Bich Ujalee Kheer Radhaasyaan ,
Pitaraan Ne Kheer Jimaasyaan Mhaaree Maan,
Kapila Gaay Ko Gobar Mangaasyaan ,
Pitar Jee Padhaarayaan Mhaare Aanganiyaan.

Dhan-chaudhas Kee Raat Jagaasyaan ,
Pitaraan Ne Paate Baithyaasaan ,
Maavas Ne Bhog Lagaasyaan Mhaaree Maan,
Pitar Jee Padhaarayaan Mhaare Aanganiyaan.

Daas "Gopaal" Kee Yaahee Chhai Vinatee ,
Sab Bhaktaan Kee Yaahee Chhai Vinatee ,
Pitaraan Ne Gaay Rijhaasya Mhaaree Maan,
Kee Yaahee Chhai Vinatee,
Main Pag Pag Phulana Bichhaoon Meree Maay,
Pitar Jee Padhaarayaan Mhaare Aanganiyaan.
 
माता रानी, दुर्गा माता, आदिशक्ति, जगदम्बा, भगवती, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, इन सभी नामों से जानी जाने वाली देवी दुर्गा हिंदू धर्म की प्रमुख देवी हैं। वह शक्ति, बुद्धि, ज्ञान, और क्षमा की देवी हैं। वह सभी प्राणियों की रक्षक हैं और उन्हें कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं।

माता रानी का अवतार भगवान शिव की पत्नी सती के रूप में हुआ था। एक बार, भगवान शिव ने सती को अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। सती यह अपमान सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ में आत्मदाह कर लिया। इस घटना से भगवान शिव अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने सती के शरीर को अपने कंधों पर उठाकर ब्रह्मांड में भ्रमण किया। सती के शरीर के अंगों के जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए।

बाद में, भगवान शिव ने सती के पुनर्जन्म के लिए तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने सती का पुनर्जन्म देवी दुर्गा के रूप में किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।

माता रानी के नौ रूप हैं: शैलपुत्री - इस रूप में देवी दुर्गा का वर्णन शैलों से उत्पन्न होने वाली एक सुंदर युवती के रूप में किया गया है।
ब्रह्मचारिणी - इस रूप में देवी दुर्गा एक तपस्वी रूप में हैं। वे एक लंबी सफेद साड़ी पहने हुए हैं और उनके हाथों में कमंडल और माला है।
चंद्रघंटा - इस रूप में देवी दुर्गा के माथे पर चंद्रमा है। उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, और गदा है।
कूष्मांडा - इस रूप में देवी दुर्गा का वर्णन एक उज्ज्वल और स्वस्थ स्वरूप में किया गया है। उनके हाथों में कमल, माला, और तलवार है।
स्कंदमाता - इस रूप में देवी दुर्गा अपने पुत्र कार्तिकेय के साथ हैं। वे एक शांत और प्रेमपूर्ण स्वरूप में हैं।
कात्यायनी - इस रूप में देवी दुर्गा एक शक्तिशाली रूप में हैं। उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, और गदा है।
कालरात्रि - इस रूप में देवी दुर्गा का वर्णन एक अंधेरे और भयानक स्वरूप में किया गया है। उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, और गदा है।
महागौरी - इस रूप में देवी दुर्गा का वर्णन एक शुभ और पवित्र रूप में किया गया है। उनके हाथों में कमल और माला है।
सिद्धिदात्री - इस रूप में देवी दुर्गा का वर्णन एक पूर्ण और संपूर्ण स्वरूप में किया गया है। उनके हाथों में कमल, माला, और फल है।

माता रानी की पूजा चैत्र और शारदीय नवरात्रि में बड़े ही धूमधाम से की जाती है। इस दौरान लोग नौ दिनों तक माता रानी की पूजा और आराधना करते हैं। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए लोग व्रत रखते हैं, भजन गाते हैं, और आरती करते हैं।

माता रानी की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वह अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, और शांति प्रदान करती हैं। माता रानी हिंदू धर्म की सबसे लोकप्रिय देवी हैं। वह सभी प्राणियों की रक्षक हैं और उन्हें कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं। माता रानी की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वह अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, और शांति प्रदान करती हैं।
 
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