अंषड़ियाँ झाई पड़ी हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

अंषड़ियाँ झाई पड़ी हिंदी मीनिंग Aakhadiya Jhai Padi Hindi Meaning

अंषड़ियाँ झाई पड़ी, पंथ निहारि निहारि।
जीभड़ियाँ छाला पड़्या, राम पुकारि पुकारि॥

Aakhadiya Jhai Padi, Panth Nihari Nihari,
Jibhadiya Chhala Padya, Raam Pukari Pukari.
 
अंषड़ियाँ झाई पड़ी, पंथ निहारि निहारि। जीभड़ियाँ छाला पड़्या, राम पुकारि पुकारि॥
 

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Shabdaarth.

  • अंषड़ियाँ-आँखे।
  • झाई पड़ी-कालापन पड़ा।
  • पंथ-राह, रास्ता।
  • निहारि निहारि-देखते हुए।
  • जीभड़ियाँ-जिव्हा के।
  • छाला पड़्या-छाले पड़ गए हैं।
  • राम पुकारि पुकारि-राम के नाम को पुकारते पुकारते।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha/Sakhi Hindi Meaning

विरह में राह देखते देखते जीवात्मा के आँखों के आगे काली झाईं पड़ गई है, आखों के आगे अँधेरा छाने लगा है। राम राम पुकारते हुए उसकी जिव्हा में छाले पड़ गए हैं. इस साखी में पुरुक्तिप्रकाश और अतिश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है. इश्वर का नाम पुकारते पुकारते जिव्हा में छाले पड़ गए हैं. यह विरह की पराकाष्ठा है. कबीर साहेब ने इस दोहे में स्पष्ट किया है की विरह में जीवात्मा अत्यंत ही दुखी रहती है, वह मात्र पूर्णता को प्राप्त होना चाहती है और इसी कारण से वे अपने प्रियतम की राह देखती रहती है.

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