इस तन का दीवा करौं मीनिंग

इस तन का दीवा करौं मीनिंग

इस तन का दीवा करौं, बाती मेल्यूँ जीव।
लोही सींचौ तेल ज्यूँ, कब मुख देखौं पीव॥

Is Tan Ka Deeva Karo, Baati Melyu Jeev,
Lohi Seencho Tel Jyu, Kab Mukh Dekho Peev.
 
इस तन का दीवा करौं, बाती मेल्यूँ जीव। लोही सींचौ तेल ज्यूँ, कब मुख देखौं पीव॥

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning

तन का-शरीर का, देह का।
दीवा-दीपक, दिया।
करौं-करूँ।
बाती-दीपक की बाती, एक डोर जिससे दीपक जलता है।
मेल्यूँ-रखूं।
जीव-जीवात्मा।
लोही-ख़ून, रक्त।
सींचौ-सींचें।
ज्यूँ- जैसे।
मुख देखौं-मुख देखकर।
पीव-प्रियतम।

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning

विरह में तड़पती जीवात्मा अनेकों प्रकार से युक्ति करती है जिससे वह परमात्मा से मिल सके. यथा वह स्वय के शरीर को दीपक बनाकर उसमे अपने प्राणों की बाती बनाना चाहती है।
तेल के स्थान पर वह स्वंय के रक्त को दीपक में डाल कर सींचित करना चाहती है, साथ ही उत्कंठ आशा करती है की वह कब अपने प्रिय से मुलाक़ात करेगी. विरह में तड़पती जीवात्मा अनेकों प्रकार से युक्ति करती है जिससे वह परमात्मा से मिल सके. 
 
यथा वह स्वय के शरीर को दीपक बनाकर उसमे अपने प्राणों की बाती बनाना चाहती है. तेल के स्थान पर वह स्वंय के रक्त को दीपक में डाल कर सींचित करना चाहती है, साथ ही उत्कंठ आशा करती है की वह कब अपने प्रिय से मुलाक़ात करेगी. प्राणों की वर्तिका से उत्पन्न प्रकाश से वह अपने प्रियतम का दर्शन करना चाहती है. प्रस्तुत साखी में उपमा और रूपक अलंकार का उपयोग हुआ है. उल्लेखनीय है की प्रस्तुत साखी में दीपक से आशय है अज्ञान के अन्धकार को दूर करना.

जीवात्मा स्वंय के शरीर को समाप्त करके भी ज्ञान प्राप्त करना चाहती है. वह चाहती है की उसे यदि यह तन समाप्त करना पड़े तो भी इश्वर के दर्शन हो जाएं. जीवात्मा स्वंय का सर्वस्व समाप्त करके इश्वर में एकाकार हो जाना चाहती है, यह विरह की चरम अवस्था है. 
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