धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय अर्थ मीनिंग Dheere Dheere Re Mana Meaning : Kabir Ke Dohe, Arth /Bhavarth
धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय॥
Dheere Dhire Re Mana, Dhere Sab Kuch Hoy,
Mali Sinche Sou Ghada, Ritu Aye Phal Hoy.
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय हिंदी मीनिंग Dhire Dhire Re Mana Meaning in Hindi
धर्य और धीरज धारण करने से ही सब कुछ प्राप्त होता है, जैसे माली सौ घड़े सींचता है लेकिन ऋतू आने पर ही फल लगते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है की वह पानी देना ही छोड़ देता हो। भाव है की मेहनत करते जाओ, जब उचित समय आएगा तब ईश्वर स्वतः ही फल प्रदान कर देगा। आतुरता किसी भी क्षेत्र में अच्छी नहीं होती है, कर्म करना ही हमारे हाथ होता है। व्यक्ति कर्म में कम और फल में ज्यादा यकीन रखता है। असंतोष का मूल कारण है।
कबीर दास ने इस दोहे के माध्यम से हमें यह सिखाने की कोशिश की है कि हमें अपने जीवन में हमारा धैर्य कभी नहीं खोना चाहिए, हमें जीवन में धैर्यवान बनना चाहिए। जब तक सही समय नहीं आता, हमारे प्रयासों का परिणाम नहीं मिलता है, यह प्रकृति का नियम है। लेकिन सही समय आने पर सफलता प्राप्त होती है। जैसे माली एक पौधे को सौ घड़े पानी देता है, लेकिन वो पौधा बड़ा होकर उसकी ऋतू के अनुसार ही फल देता है, माली की अधीरता के अनुसार नहीं । वैसे ही, हमें भी अपने प्रयासों को करते रहने की आवश्यकता है, लेकिन सही समय का इंतजार करने की भी। धैर्य से काम करने से ही हमारी मेहनत का परिणाम सही समय पर मिलता है, और हमारा कार्य सफल होता है।
भावार्थ: इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि सब कुछ समय के साथ ही होता है, और इसके लिए सब्र और धीरज रखना महत्वपूर्ण है। जैसे कि एक माली ने सौ घड़े से पौधों को सींचा, लेकिन फलों का प्राप्त होना तब होगा जब फल की ऋतु आएगी। इसके साथ ही कबीर साहेब का सन्देश है कि हमें मेहनत करते जाना चाहिए, सही समय पर सही काम करना चाहिए, और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए धैर्य और इंतजार करना चाहिए। हमें अत्यधिक आतुरता नहीं रखनी चाहिए, बल्कि हमें अपने काम में मेहनत और समर्पण दिखाना चाहिए। यह दोहा असंतोष और व्यग्रता का मूल कारण धैर्य की कमी का होना ही है।