नमस्कार साईं सलाम ए खुदाया
नमस्कार साईं सलाम ए खुदाया
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया,
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
बहुत यूँ तो थे बेबसों के ठिकाने,
ना जाने यहाँ आ गया किस बहाने।
मिले जब तेरी रहमतों के ख़जाने,
मुझे साईं, धन के सिवा कुछ न भाया,
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
तेरी आरती ने बड़ी रौशनी दी,
तू ही तू है, सब कुछ — नई ज़िंदगी दी।
ख़ुदी कुछ नहीं, मुझको ये अक़्ल दे दी,
मुझे हर घड़ी ख़ुद से मिलना सिखाया,
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
दिया तूने सब कुछ, कोई और क्या ले,
गिरा हूँ तेरे सामने, अब उठा ले।
तू चाहे तो इक बार फिर आज़मा ले,
कई बार तूने मुझे आज़माया,
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
बहुत यूँ तो थे बेबसों के ठिकाने,
ना जाने यहाँ आ गया किस बहाने।
मिले जब तेरी रहमतों के ख़जाने,
मुझे साईं, धन के सिवा कुछ न भाया,
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
तेरी आरती ने बड़ी रौशनी दी,
तू ही तू है, सब कुछ — नई ज़िंदगी दी।
ख़ुदी कुछ नहीं, मुझको ये अक़्ल दे दी,
मुझे हर घड़ी ख़ुद से मिलना सिखाया,
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
दिया तूने सब कुछ, कोई और क्या ले,
गिरा हूँ तेरे सामने, अब उठा ले।
तू चाहे तो इक बार फिर आज़मा ले,
कई बार तूने मुझे आज़माया,
भटकता हुआ मैं तेरे दर पे आया।
नमस्कार साईं, सलाम ए खुदाया।।
नमस्कार साईं Namaskaar Sai I MANHAR UDHAS I Sai Bhajan I Full Audio Song
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Sai Bhajan: Namaskaar Sai
Singer: MANHAR UDHAS
Music Director: PT.K. RAZDAN
Lyricist: PT.K. RAZDAN
Album: Sai Ujaala
Music Label: T-Series
Singer: MANHAR UDHAS
Music Director: PT.K. RAZDAN
Lyricist: PT.K. RAZDAN
Album: Sai Ujaala
Music Label: T-Series
साईं की शरण में आने और उनकी कृपा की पुकार का भाव भक्त के हृदय को एक ऐसी भक्ति और समर्पण से भर देता है, जो उसे सांसारिक भटकन से मुक्त कर प्रभु के प्रेम में डुबो देता है। यह भाव उस गहरे विश्वास को दर्शाता है कि साईं का दर वह पवित्र ठिकाना है, जहाँ भटकता हुआ भक्त अपने सारे दुख और बेकसी को अर्पित कर शांति और सुख पाता है। साईं की रहमत के खजाने इतने अनमोल हैं कि भक्त को उनके सिवा और कुछ नहीं भाता।
साईं की करुणा और उनका प्रेम भक्त को यह विश्वास दिलाता है कि उन्होंने उसे सब कुछ दिया, और अब वह केवल उनकी शरण में गिरकर उनके हाथों उठाया जाना चाहता है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं ने भक्त को बार-बार आजमाया और हर बार उसे अपने प्रेम से संभाला।
साईं की करुणा और उनका प्रेम भक्त को यह विश्वास दिलाता है कि उन्होंने उसे सब कुछ दिया, और अब वह केवल उनकी शरण में गिरकर उनके हाथों उठाया जाना चाहता है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं ने भक्त को बार-बार आजमाया और हर बार उसे अपने प्रेम से संभाला।
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Author - Saroj Jangir
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