नहीं मोती समंद खान की, नहीं सीप का चारा,
बिना पाल का समंद मायला ,साँचा मोती सारा,
बा मोत्या ने मीणा नहीं लूटे,बिके नहीं हाट बजारां,
बा मोत्या से भयो उजालों, बेरा का मिट्या अँधियारा,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिन डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना माथा की पनिहारी।
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
सिर पर घड़ो, घड़ा पर झारी,
ले गागर घर क्यों चाली,
बिनती करूँ उतार बेवडों,
देखत जेठाणी मुस्कानी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना माथा की पनिहारी।
बिना अगन से करे रसोई,
सासू नणद की वो प्यारी,
देखत भूख भागे स्वामी की,
चतुर नार की चतुराई,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
बिना धरणी एक बाग लगाया,
बिना जड़ा एक बेल चढ़ी,
बिना शीश का था एक मिरगा,
बाड़ी में चुगता घड़ी घड़ी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
धनुष बाण ले चढ़या शिकारी,
नाद कर वह बाण चढ़ि,
मिरगा मार जमी पर डारा,
ना मिरगा के चोट लगी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
कहत कबीरा सुण भाई साधों,
ये पद है निर्वाणी,
इण भजन की करे खोजना,
वो ही संत है सुर ज्ञानी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
बा मोत्या ने मीणा नहीं लूटे,बिके नहीं हाट बजारां,
बा मोत्या से भयो उजालों, बेरा का मिट्या अँधियारा,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिन डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना माथा की पनिहारी।
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
सिर पर घड़ो, घड़ा पर झारी,
ले गागर घर क्यों चाली,
बिनती करूँ उतार बेवडों,
देखत जेठाणी मुस्कानी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना माथा की पनिहारी।
बिना अगन से करे रसोई,
सासू नणद की वो प्यारी,
देखत भूख भागे स्वामी की,
चतुर नार की चतुराई,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
बिना धरणी एक बाग लगाया,
बिना जड़ा एक बेल चढ़ी,
बिना शीश का था एक मिरगा,
बाड़ी में चुगता घड़ी घड़ी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
धनुष बाण ले चढ़या शिकारी,
नाद कर वह बाण चढ़ि,
मिरगा मार जमी पर डारा,
ना मिरगा के चोट लगी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
कहत कबीरा सुण भाई साधों,
ये पद है निर्वाणी,
इण भजन की करे खोजना,
वो ही संत है सुर ज्ञानी,
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी,
जल बिन रहट चले भारी,
बिना डोरी जल भरे कुआँ पर,
बिना शीश की पनिहारी।
बिना शीश की पणिहारी हिंदी में अर्थ Bina Sheesh Panihaari Hindi Meaning
यह कबीर भजन मूल रूप से उलटबासी है जिसका सही मायनों में अर्थ ब्रह्मज्ञानी ही निकाल सकता है, फिर भी चूँकि यह भजन राजस्थानी भाषा में है इसलिए शब्दों के अर्थ निचे दिए गए हैं।
भव बिन खेत खेत बिन बाड़ी- धरती के बिना एक खेत है और उस पर बाड़ी (खेती) है।
जल बिन रहट चले भारी- रहट (पानी निकालने का यंत्र) बिना पानी के ही चल रहा है।
बिन डोरी जल भरे कुआँ पर-रस्सी के बिना ही कुए से पानी निकाला जा रहा है।
बिना माथा की पनिहारी-पनिहारी जिसके सर नहीं है।
सिर पर घड़ो, घड़ा पर झारी-सर पर घड़ा रखा है और घड़े पर झारी (छोटा घड़ा) रखा है।
ले गागर घर क्यों चाली-गागर को लेकर जीवात्मा घर को चली है।
बिनती करूँ उतार बेवडों-विनती है की इसे उतारो।
देखत जेठाणी मुस्कानी-जेठाणी देख कर मुस्कुरा रही है।
बिना अगन से करे रसोई-अग्नि के बिना ही खाना पक रहा है (खाना पकना-रसोई करना)
सासू नणद की वो प्यारी-वह सासु और नणद की प्यारी है।
देखत भूख भागे स्वामी की-देखते ही
चतुर नार की चतुराई-चतुर स्त्री की यह चतुराई है।
बिना धरणी एक बाग लगाया-जमीन के बिना ही एक बाग़ लगाया है।
बिना जड़ा एक बेल चढ़ी-जड़ नहीं होने पर भी बेल ऊपर चढ़ती है।
बिना शीश का था एक मिरगा-बिना शीश के एक मृग (हिरण) है।
बाड़ी में चुगता घड़ी घड़ी-बाड़ी(खेत) में बार बार चरता है।
धनुष बाण ले चढ़या शिकारी-धनुष बाण लेकर शिकारी आगे बढ़ता है।
मिरगा मार जमी पर डारा-मृग को मार कर जमीन पर डाल दिया है।
ना मिरगा के चोट लगी-मृग के किसी तरह की कोई चोट नहीं लगी है।
कहत कबीरा सुण भाई साधों-कबीर साहेब कहते हैं की साधू सुनों।
ये पद है निर्वाणी-यह पद निर्वाणी है।
इण भजन की करे खोजना- जो इस भजन की खोज करे/अर्थ को खोजे।
वो ही संत है सुर ज्ञानी- वही संत सुरज्ञानि है।
जल बिन रहट चले भारी- रहट (पानी निकालने का यंत्र) बिना पानी के ही चल रहा है।
बिन डोरी जल भरे कुआँ पर-रस्सी के बिना ही कुए से पानी निकाला जा रहा है।
बिना माथा की पनिहारी-पनिहारी जिसके सर नहीं है।
सिर पर घड़ो, घड़ा पर झारी-सर पर घड़ा रखा है और घड़े पर झारी (छोटा घड़ा) रखा है।
ले गागर घर क्यों चाली-गागर को लेकर जीवात्मा घर को चली है।
बिनती करूँ उतार बेवडों-विनती है की इसे उतारो।
देखत जेठाणी मुस्कानी-जेठाणी देख कर मुस्कुरा रही है।
बिना अगन से करे रसोई-अग्नि के बिना ही खाना पक रहा है (खाना पकना-रसोई करना)
सासू नणद की वो प्यारी-वह सासु और नणद की प्यारी है।
देखत भूख भागे स्वामी की-देखते ही
चतुर नार की चतुराई-चतुर स्त्री की यह चतुराई है।
बिना धरणी एक बाग लगाया-जमीन के बिना ही एक बाग़ लगाया है।
बिना जड़ा एक बेल चढ़ी-जड़ नहीं होने पर भी बेल ऊपर चढ़ती है।
बिना शीश का था एक मिरगा-बिना शीश के एक मृग (हिरण) है।
बाड़ी में चुगता घड़ी घड़ी-बाड़ी(खेत) में बार बार चरता है।
धनुष बाण ले चढ़या शिकारी-धनुष बाण लेकर शिकारी आगे बढ़ता है।
मिरगा मार जमी पर डारा-मृग को मार कर जमीन पर डाल दिया है।
ना मिरगा के चोट लगी-मृग के किसी तरह की कोई चोट नहीं लगी है।
कहत कबीरा सुण भाई साधों-कबीर साहेब कहते हैं की साधू सुनों।
ये पद है निर्वाणी-यह पद निर्वाणी है।
इण भजन की करे खोजना- जो इस भजन की खोज करे/अर्थ को खोजे।
वो ही संत है सुर ज्ञानी- वही संत सुरज्ञानि है।
बीना शिश की पणहारी !! गायक गोपाल दास वैष्णव !! gopal das Vaishnav || S.K. music
Jal Bin Rahat Chale Bhaaree,
Bin Doree Jal Bhare Kuaan Par,
Bina Maatha Kee Panihaaree.
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Sir Par Ghado, Ghada Par Jhaaree,
Le Gaagar Ghar Kyon Chaalee,
Binatee Karoon Utaar Bevadon,
Dekhat Jethaanee Muskaanee,
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Bina Agan Se Kare Rasoee,
Saasoo Nanad Kee Vo Pyaaree,
Dekhat Bhookh Bhaage Svaamee Kee,
Chatur Naar Kee Chaturaee,
Bhav Bin Khet Khet Bin Baadee,
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Bina Dharanee Ek Baag Lagaaya,
Bina Jada Ek Bel Chadhee,
Bina Sheesh Ka Tha Ek Miraga,
Baadee Mein Chugata Ghadee Ghadee,
Bhav Bin Khet Khet Bin Baadee,
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Bina Sheesh Kee Panihaaree.
Dhanush Baan Le Chadhaya Shikaaree,
Naad Kar Vah Baan Chadhi,
Miraga Maar Jamee Par Daara,
Na Miraga Ke Chot Lagee,
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Bina Sheesh Kee Panihaaree.
Kahat Kabeera Sun Bhaee Saadhon,
Ye Pad Hai Nirvaanee,
In Bhajan Kee Kare Khojana,
Vo Hee Sant Hai Sur Gyaanee,
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