चादर झीणी रंग झीणी भजन

चादर झीणी भजन

ये तन मटकी, मन झेलरा,
और सूरत बिलोवण हार,
माखन किसी संत ने चाखिया,
छाछ पिए संसार,
पांच तत्व का पुतला,
मानुष धारिया नाम,
एकलता ते बिछुड़ते,
बिसर गया सब धाम,
(पांच तत्व का पुतला, और मानुष धरिया नाम,
दिन चार के कारने, बिसर गया सब ठाम )
सतगुरू बड़े सुनार है, परखें वस्तु भण्डार,
सुरति निरति मिलाय के, मेटि डारे खुटकार।
सतगुरू तो सद् भाव है, जो अस भेद बताय,
धन भाग धन शिष्य जेहि, जो ऐसी सुधि पाय।

या सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो,
म्हारीं सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,

अष्ट कमल दल चरखा चाले, पाँच तत्व गुण तीनी,
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
कर्म की पूणी कांतन बैठी, कुकरी, सुरत महीणी।
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
म्हारीं सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो जी।

इंगला पिंगला ताना कीनो, सुखमण या भर दीनी,
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
नवदस मास या बीतण लागे, ठीक ठाक कर बीनी।
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
म्हारीं सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो जी।

या चादर धोबी के दीनी, शब्द ताल धर दीनी,
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
सुरत शिला पर पकड़ पछाटी, इन वद उजली कीनी।
म्हारीं सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो जी।

या चादर रंगरेज के दीनी, भांति भांति रंग बीनी,
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
प्रेम पति का रंग चढ़ाया, पीली पीताम्बर कीनी।
म्हारीं सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो जी।

या चादर सुरनर मुनि ओढ़ी, ओढ़ के मेली कीन्हीं,
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
अर्जुन ओढ़ मरम नहीं जाना, मूरख मैली कीनी।
म्हारीं सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो जी।

ध्रुव ओढी प्रहलाद ने ओढ़ी, सुखदेव निर्मल कीनी,
चादर झीणी, रंग झीणी हो जी,
साहब कबीर ने जुगत से ओढ़ी, ज्यों की त्यों धर दीनी।
म्हारीं सदा राम रस बीनी चादर झीणी, रंग झीणी हो जी। 
 

चादर झीणी II Chadar jhini II By Prahlad Singh Tipaniya

 
Main Vocal : Padmashri Prahlad Singh Tipanya Chours : Ashok Tipaniya and Shanti Devi Tipanya Violin : Devnarayan Saroliya Dholak : Ajay Tipaniya Harmonium : Dharmandra Tipaniya Timki : Manglesh Mangroliya Video : Mayank Tipaniya, Pritam Tianiya And Sachin Sound editing : Mayank Tipaniya

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post