कन्हैया होली खेलने आयो कृष्णा भजन

कन्हैया होली खेलने आयो कृष्णा भजन

 
कन्हैया होली खेलने आयो Kanhaiya Holi Khelan Aayo Lyrics, Krishna Bhajan by कृष्णा शर्मा , सखी शर्मा

कन्हैया होली खेलने आयो,
आज सब घेर लेयो सखियाँ,
कन्हैया होली खेलन आयो रे,
आज सब घेर लेयो सखियाँ
रंग मल मल लगायो री,
याद आ जाए याहे मैया।

कमर में लहँगा पहना दो,
अंग में चोली पहना दो।
शीश पे ओढ़ा दो चुनरी,
बनादो ब्रज की गुजरिया,
कन्हैया होली खेलने आयो,
आज सब घेर लेयो सखियाँ।

शीश पे टीका पहना दो,
कान में झुमके पहना दो,
गले में हरवा पहना दो,
पहना दो इसको नथुनिया,
कन्हैया होली खेलने आयो,
आज सब घेर लेयो सखियाँ।

लचकती पतली कमरिया,
सजा दो हाथ में कंगना,
पहना दो पैर में पायल,
ठुमकती जाए गुजरिया,
कन्हैया होली खेलने आयो,
आज सब घेर लेयो सखियाँ।

नयन कजरारे से इसके,
चमकती माथे पे बिंदिया,
लटकती गालो पे जुल्फे,
होश खो बैठी सब सखियाँ,
कन्हैया होली खेलने आयो,
आज सब घेर लेयो सखियाँ। 


कृष्ण होली भजन : कन्हैया होली खेलने आयो आज सब घेर लेयो सखियाँ के साथ

हृदय में एक ऐसी मधुर और उत्साहपूर्ण लहर उठती है, जो उस प्रिय की होली की लीला में पूरी तरह खो जाना चाहती है। यह एक ऐसा उत्सव है, जहां सखियां मिलकर उस सांवरे को रंगों और प्रेम की मस्ती में डुबो देती हैं, मानो सारी सृष्टि उसकी शोभा और लीलाओं में रंगी हो। उसका श्रृंगार—लहंगा, चोली, चुनरी, टीका, झुमके, हार, नथunia, कंगना और पायल—हर एक वस्तु उसकी अलौकिक सुंदरता को और बढ़ाती है, जो ब्रज की गलियों में ठुमकती हुई हर किसी को मोह लेती है। यह दृश्य केवल बाहरी सजावट नहीं, बल्कि उस प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जो हर सखी के हृदय को उसकी मधुर छवि में बांध लेता है, और सारी दुनिया को होली के रंग में रंग देता है।

उसके कजरारे नैन, माथे की बिंदिया और गालों पर लटकती जुल्फें एक ऐसी मोहक छवि रचती हैं, जो हर सखी के होश उड़ा देती है। यह होली केवल रंगों और ठिठोली का खेल नहीं, बल्कि उस प्रिय के साथ आत्मिक संनाद का उत्सव है, जहां हर कदम, हर ठुमका उसकी लीला का हिस्सा बन जाता है। सखियों का उसे घेरना, रंग मलना और प्रेम से सजाना उस अटूट बंधन को दर्शाता है, जो भक्त और भगवान के बीच प्रेम, विश्वास और आनंद का सेतु बनाता है। यह उत्सव उस मस्ती और समर्पण का गान है, जो हर हृदय को उसकी याद में डुबो देता है, और जीवन को एक रंगीन, पवित्र उत्सव में बदल देता है।

राधा और कृष्ण की होली प्रेम, भक्ति और योग का रूप है, जिसमें वो रंग खेलकर अपने प्रेम को प्रकट करते हैं। इस लीला में ब्रजवासियों के बीच प्रेम, सौहार्द्र और एकता की भावना प्रबल होती है। होली का यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय का भी संदेश देता है और बताता है कि जीवन में प्रेम से बढ़कर कोई शक्ति नहीं।

चेंनल दिग्दर्शक : सखी शर्मा 
भजन गायिका : कृष्णा शर्मा , सखी शर्मा
चेंनल की मालकिन : सखी शर्मा 
लेखिका : कृष्णा शर्मा

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