क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
या तो दयालु मेरी,
दृढ़ दीनता नहीं है,
या दीन कि तुम्हे ही,
दरक़ार अब नहीं है,
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
जिससे कि सुदामा,
त्रिलोक पा गया था,
क्या उस उदारता में,
कुछ सार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
पाते थे जिस ह्रदय का,
आश्रय अनाथ लाखों,
क्या वह हृदय दया का,
भण्डार अब नहीं है,
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
दौड़े थे द्वारिका से,
चित्त पर अधीर होकर,
उस अश्रु बिन्दु से भी,
क्या प्यार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
या तो दयालु मेरी,
दृढ़ दीनता नहीं है,
या दीन कि तुम्हे ही,
दरक़ार अब नहीं है,
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
जिससे कि सुदामा,
त्रिलोक पा गया था,
क्या उस उदारता में,
कुछ सार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
पाते थे जिस ह्रदय का,
आश्रय अनाथ लाखों,
क्या वह हृदय दया का,
भण्डार अब नहीं है,
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
दौड़े थे द्वारिका से,
चित्त पर अधीर होकर,
उस अश्रु बिन्दु से भी,
क्या प्यार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला,
सरकार अब नहीं है,
दीनों के वास्ते क्या,
दरबार अब नहीं है।
KrishnaBhajan क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं Kya Vah Swabhav pehla देवी श्वेताम्बरा जी
Sarakaar Ab Nahin Hai,
Deenon Ke Vaaste Kya,
Darabaar Ab Nahin Hai.
Kya Vah Svabhaav Pahala,
Sarakaar Ab Nahin Hai,
Deenon Ke Vaaste Kya,
Darabaar Ab Nahin Hai.
Deenon Ke Vaaste Kya,
Darabaar Ab Nahin Hai.
Kya Vah Svabhaav Pahala,
Sarakaar Ab Nahin Hai,
Deenon Ke Vaaste Kya,
Darabaar Ab Nahin Hai.
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं-
