Ab Kaise Chhutai Naam Rat Laagi,
Prabhu Ji, Tum Chandan Ham Paani,
Jaaki Ang-ang Baas Samaani,
Prabhu Ji, Tum Ghan Ban Ham Mora,
Jaise Chitavat Chand Chakora,
Ab Kaise Chhutai Naam Rat Laagi,
Prabhu Ji, Tum Chandan Ham Paani,
Jaaki Ang-ang Baas Samaani,
Prabhu Ji, Tum Dipak Ham Baati,
Jaaki Joti Jarai Din Raati,
Ab Kaise Chhutai Naam Rat Laagi,
Prabhu Ji, Tum Chandan Ham Paani,
Jaaki Ang-ang Baas Samaani,
Prabhu Ji, Tum Moti Ham Dhaaga,
Jaise Sonahin Milat Suhaaga,
Ab Kaise Chhutai Naam Rat Laagi,
Prabhu Ji, Tum Chandan Ham Paani,
Jaaki Ang-ang Baas Samaani,
Ab Kaise Chute Naam Rat Shri Rajendra das ji Maharaj
अब कैसे छूटै नाम रट लागी :
हे ईश्वर मेरे हृदय के तार तो तुमसे जुड़ चुके हैं, प्रेम का बंधन बंध चूका
है, आप यह कैसे छूटेगी ? मुझे तो राम के सुमिरण की रटन लग चुकी है।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी : हे
प्रभु जी आप चन्दन हैं और हम पानी। जैसे चन्दन का अपना महत्त्व होता है
लेकिन उसे मस्तक पर लगाने के लिए पानी की आवश्यकता होती है, तभी चन्दन घिस
सकता है, ऐसे ही प्रभु जी आप ईश्वर हैं तो हम भक्त हैं, हमारा भी आपके साथ
महत्त्व है।
जाकी अँग-अँग बास समानी : चन्दन की बांस (सुगंध ) जैसे अंग अंग में समां जाती है, ऐसे ही आपके नाम सुमिरन की सुगंध हमारे तन मन में समां गई है।
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा : ये ईश्वर आप काले काले बादल हैं तो हम मोर हैं।
जैसे चितवत चंद चकोरा : जैसे चितवत चकोर पक्षी होता है।
अब कैसे छूटै नाम रट लागी ; अब आपके नाम के सुमिरण की रटन हमसे नहीं छूटने वाली है।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती : हे ईश्वर आप दीपक हैं तो हम बाती हैं।
जाकी जोति जरै दिन राती : जिसकी ज्योति दिन रात जलती रहती है।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा : हे ईश्वर आप मोती हो तो हम धागा हैं। माला में मोतियों को पिरोने और बांधे रखने के लिए धागे का अपना महत्त्व होता है।
जैसे सोनहिं मिलत सुहागा : जैसे सोने में सुहागा मिल जाता है, वैसे ही भक्त आप में एकाकार हो गए हैं।