कहाँ से आया कहाँ जाओगे भजन

कहाँ से आया कहाँ जाओगे भजन

जीवात्मा को सन्देश ही की ढोंग और पाखंड को छोड़ दो और निराकार पूर्ण ब्रह्म में ध्यान को लगाओ। सत्य की राह पर चलकर उस निराकार में ध्यान ही मुक्ति का द्वार है। 
 
कहाँ से आया कहाँ जाओगे भजन लिरिक्स Kaha Se Aaya Kaha Jaaoge Lyrics

सब आया एक ही घाट से, उतरा एक ही बाट,
बीच में दुविधा पड़ गयी, हो गए बारह बाट,
घाटे पानी सब भरे, अवघट भरे न कोय।
अवघट घाट कबीर का, भरे सो निर्मल होय॥
(हद हद करते सब गये, बेहद गया न कोय।
अनहद के मैदान में, रहा कबीरा सोय॥
हद में तो हर कोइ चले, लाहद चले सो पीर।
हद लाहद से न्यारा चले, उसका नाम फकीर॥
हद तपे सो औलिया, अनहद तपे सो पीर।
हद-अनहद दोऊ तपे, उसका नाम फकीर॥
यह सब गुरू हद्द के, बेहद के गुरू नाही।
बेहद आपे ऊपजै, अनुभव के घर माँहिं )

कहाँ से आया कहाँ जाओगे,
ख़बर करो अपने तन की,
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावे,
खुल जावे अंतर खिड़की,
हे जी, खुल जावे अंतर खिड़की।

हिन्दू मुस्लिम दोनों भुलाने,
खटपट माँय रिया अटकी,
जोगी जंगम शेख सवेरा,
लालच मांय रिया आ भटकी,
कहाँ से आया कहाँ जाओगे,
ख़बर करो अपने तन की,
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावे,
खुल जावे अंतर खिड़की,
हे जी, खुल जावे अंतर खिड़की।

काज़ी बैठा कुरान बाँचे,
ज़मीन जोर वो करी चटकी,
हर दम साहेब नहीं पहचाना,
पकड़ा मुर्गी ले पटकी,
कहाँ से आया कहाँ जाओगे,
ख़बर करो अपने तन की,
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावे,
खुल जावे अंतर खिड़की,
हे जी, खुल जावे अंतर खिड़की।

बाहर बैठा ध्यान लगावे,
भीतर सुरता रही अटकी,
बाहर बंदा, भीतर गन्दा,
मन मैल मछली गटकी,
कहाँ से आया कहाँ जाओगे,
ख़बर करो अपने तन की,
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावे,
खुल जावे अंतर खिड़की,
हे जी, खुल जावे अंतर खिड़की।

माला मुद्रा तिलक छापा,
तीरथ बरत में रिया भटकी,
गावे बजावै लोक रिझावे,
खबर नहीं अपने तन की,
कहाँ से आया कहाँ जाओगे,
ख़बर करो अपने तन की,
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावे,
खुल जावे अंतर खिड़की,
हे जी, खुल जावे अंतर खिड़की।

बिना विवेक से गीता बाँचे,
चेतन को लगी नहीं चटकी,
कहे कबीर सुनो भाई साधों,
आवागमन में रिया भटकी,
कहाँ से आया कहाँ जाओगे,
ख़बर करो अपने तन की,
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावे,
खुल जावे अंतर खिड़की,
हे जी, खुल जावे अंतर खिड़की। 
 

कहां से आया कहां जाओगे || Kahan Se Aaya Kahan Jaaoge || by Prahlad Singh Tipanya

Sab Aaya Ek Hi Ghaat Se, Utara Ek Hi Baat,
Bich Mein Duvidha Pad Gayi, Ho Gae Baarah Baat,
Ghaate Paani Sab Bhare, Avaghat Bhare Na Koy.
Avaghat Ghaat Kabir Ka, Bhare So Nirmal Hoy.
(Had Had Karate Sab Gaye, Behad Gaya Na Koy.
Anahad Ke Maidaan Mein, Raha Kabira Soy.
Had Mein To Har Koi Chale, Laahad Chale So Pir.
Had Laahad Se Nyaara Chale, Usaka Naam Phakir.
Had Tape So Auliya, Anahad Tape So Pir.
Had-anahad Duo Tape, Usaka Naam Phakir.
Yah Sab Guru Hadd Ke, Behad Ke Guru Naahi.
Behad Aape upajai, Anubhav Ke Ghar Maanhin )

Kahaan Se Aaya Kahaan Jaoge,
Khabar Karo Apane Tan Ki,
Koi Sadaguru Mile To Bhed Bataave,
Khul Jaave Antar Khidaki,
He Ji, Khul Jaave Antar Khidaki.

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