मेला है चार दिन का एक रोज सब को जाना भजन लिरिक्स Mela Hai Chaar Din Ka Lyrics, Devotional Bhajan by Gyanendra Sharma
सुन्दर सन्देश देता प्रशिद्ध जैन भजन "मेला है चार दिन का" जिसे स्वर दिया है ज्ञानेंद्र शर्मा जी ने। इस भजन में जीवात्मा को सन्देश है की यह जगत स्थाई नहीं है, इसे एक मेले के जैसे समझना चाहिए। यह चार दिनों का मेला है। व्यक्ति के जीवन का पल भर का भी भरोसा नहीं है और वह सौ बरस की चिंता में लगा रहता है। ईश्वर का नाम सुमिरण ही इस भव से पार होने का एकमात्र माध्यम है। इसलिए हरी नाम सुमिरण ही मुक्ति का आधार है।
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
मल मल के रोज साबुन,
चमका रहा है जिसको,
इत्रों फुलेल से तू,
महका रहा है जिसको,
काया ये ख़ाक होगी,
ये बात ना भूलाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
मन है हरी का मंदिर,
इसको निख़ार ले तू,
कर कर के कर्म अच्छे,
जीवन सवार ले तू,
पापो से मन हटा ले,
प्रभु को अगर है पाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
एक रोज होगी जर्जर,
कञ्चन सी तेरी काया,
तिनका तलक भी तुझसे,
ना जायेगा हिलाया,
रह जायेगा यही पर,
धन महल और खजाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
साथी है दो घड़ी के,
कहता है जिनको अपना,
जग नींद से ओ मुरख,
जग रैन का है सपना,
गाए जा ज्ञान निस दिन,
हरी नाम का तराना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
मल मल के रोज साबुन,
चमका रहा है जिसको,
इत्रों फुलेल से तू,
महका रहा है जिसको,
काया ये ख़ाक होगी,
ये बात ना भूलाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
मन है हरी का मंदिर,
इसको निख़ार ले तू,
कर कर के कर्म अच्छे,
जीवन सवार ले तू,
पापो से मन हटा ले,
प्रभु को अगर है पाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
एक रोज होगी जर्जर,
कञ्चन सी तेरी काया,
तिनका तलक भी तुझसे,
ना जायेगा हिलाया,
रह जायेगा यही पर,
धन महल और खजाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
साथी है दो घड़ी के,
कहता है जिनको अपना,
जग नींद से ओ मुरख,
जग रैन का है सपना,
गाए जा ज्ञान निस दिन,
हरी नाम का तराना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
मेला है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना।
बहुत ही सुन्दर भजन - मेला है चार दिन के एक रोज सबको जाना । ज्ञानेंद्र शर्मा। Yuki -Audio
Ek Roj Sab Ko Jaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana.
Mela Hai Chaar Din Ka,
Ek Roj Sab Ko Jaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana.
Mal Mal Ke Roj Saabun,
Chamaka Raha Hai Jisako,
Itron Phulel Se Tu,
Mahaka Raha Hai Jisako,
Kaaya Ye Khaak Hogi,
Ye Baat Na Bhulaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana,
Mela Hai Chaar Din Ka,
Ek Roj Sab Ko Jaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana.
Man Hai Hari Ka Mandir,
Isako Nikhaar Le Tu,
Kar Kar Ke Karm Achchhe,
Jivan Savaar Le Tu,
Paapo Se Man Hata Le,
Prabhu Ko Agar Hai Paana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana,
Mela Hai Chaar Din Ka,
Ek Roj Sab Ko Jaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana.
Ek Roj Hogi Jarjar,
Kanchan Si Teri Kaaya,
Tinaka Talak Bhi Tujhase,
Na Jaayega Hilaaya,
Rah Jaayega Yahi Par,
Dhan Mahal Aur Khajaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana,
Mela Hai Chaar Din Ka,
Ek Roj Sab Ko Jaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana.
Saathi Hai Do Ghadi Ke,
Kahata Hai Jinako Apana,
Jag Nind Se O Murakh,
Jag Rain Ka Hai Sapana,
Gae Ja Gyaan Nis Din,
Hari Naam Ka Taraana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana,
Mela Hai Chaar Din Ka,
Ek Roj Sab Ko Jaana,
Saamaan Sau Baras Ka,
Pal Ka Nahin Thikaana.