सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा भजन
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा,
राज पाट सब छोड़ दिया,
सत्य निभाने राजा हरिश्चंद्र,
अपने सुख को छोड़ दिया,
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा,
राज पाट सब छोड़ दिया।
राज कोष सब दान मैं ले लिया,
साधु स्वप्न मै आकर के,
राजन अपना वचन निभाओ,
या तू उसको तोड़ दिया,
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा,
राज पाट सब छोड़ दिया।
पत्नी के संग में बेटे को,
ब्राह्मण के घर बेच दिया,
राजा ने फिर ख़ुद को भी,
भंगी हाथों सौंप दिया,
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा,
राज पाट सब छोड़ दिया।
काले नाग ने काट लिया,
जब रोहित लेने फूल गया,
लाश को लेकर तारा पहुँची,
देख के मन में रुदन किया,
राजा माँगे मरघट का कर,
रानी ने मुखड़ा मोड़ लिया,
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा,
राज पाट सब छोड़ दिया।
डस गयो कालो रे,
कंवर रोहितास ने,
छाती भर आवे बेटा,
देखूं तेरी लाश ने,
कर मैं कहाँ से दूंगी स्वामी,
कफ़न का भी कोई ठोर नहीं,
वचन निभाएंगे हम रानी,
इसके आगे ज़ोर नहीं,
सत्य धर्म पर दुनियाँ तज दी,
अब क्यों दिल को तोड़ दिया,
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा,
राज पाट सब छोड़ दिया।
कोई सोवे सुख की निंदा,
कोई झुर झुर रोवे,
राम करे सो होवे
साडी का कर रूप में देने,
रानी हाथ लगाया है,
काँप उठा इन्द्रासन भी जब,
राजन हाथ बढ़ाया है,
प्रेम कहे मुनि धन्य धन्य तू ,
सत्य से नाता जोड़ लिया
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा,
राज पाट सब छोड़ दिया।
Satyavadi Raja Harishchandra bhajan | सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा by Navratan giri ji Maharaj
Saty Na Chhoda Dharm Na Chhoda,
Raaj Paat Sab Chhod Diya,
Saty Nibhaane Raaja Harishchandr,
Apane Sukh Ko Chhod Diya,
Saty Na Chhoda Dharm Na Chhoda,
Raaj Paat Sab Chhod Diya.
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Author - Saroj Jangir
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