बाबोसा मायड़ म्हानें लाड लडाई, राम जाणे राणा संग कैयां परणाई, थारी तो प्रीत राणा, दाय कोनी आवे रे, आज्या मनमोहन मीरा मेड़तली बुलावे, आज्या मनमोहन मिरां मेड़तली बुलावे, मीरा बुलावे थाने दासी बुलावे। सरवरिया रा तीर, या नानी नीर बहावे रे, माँ का जाया बिन कुण, भात भरण आवे रे,
पत्थर ने काई पूजो, अइयां बोल्या राणा जी, ठाकुर ने जिमावो जद, सांची प्रीत जाणा जी, झूटी कपटणी कुल के दाग़ लगाव है, आज्या मनमोहन मीरा मेड़तली बुलावे, आज्या मनमोहन मिरां मेड़तली बुलावे, मीरा बुलावे थाने दासी बुलावे।
meera Bai Bhajan Lyrics Hindi
दूध को कटोरो भर के, ल्याई मीरा बाई, पियो म्हारां भोला ठाकुर भक्त दुहाई, दासी उदासी मीरा आँसू ढलकाव है, आज्या मनमोहन मीरा मेड़तली बुलावे, आज्या मनमोहन मिरां मेड़तली बुलावे, मीरा बुलावे थाने दासी बुलावे। कृपा की जो आदत ना होती तुम्हारी, तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।
मीरा की पुकार सुणकर मोटो धणी आयो, दूध को कटोरो भरियो, सारो गटकायो, मीरा की प्रतिज्ञा राखे लाज बचावे है, आज्या मनमोहन मीरा मेड़तली बुलावे, आज्या मनमोहन मिरां मेड़तली बुलावे, मीरा बुलावे थाने दासी बुलावे। म्हारा साँवरा गिरधारी, खींचड़ खा ले रे बनवारी, करमा बाई विनती करके हारी, बेटी जाटां री, बेटी जाटां री।
Meerabai Bhajan | Aja man mohan meera by Shree Navratan giri Maharaj ji (Meerabai charitra)
ऐसे वर को क्या वरु मैं, जो जनमें और मर जाय : बाई मीरा का कथन है की ऐसे वर से क्या शादी की जाय तो जन्म लेता है और मर जाता है ? वर वरस्यू एक साँवरो, तो म्हारो चुड़लो अमर हो जाय : मैं तो ऐसे से शादी (वरस्यूँ ) करुँगी जिससे विवाह करने के उपरान्त मेरा चूड़ा अमर हो जाय, सांवरे गिरधारी से शादी करुँगी। भाव है की साधारण व्यक्ति भव सागर में ही फंसा रहता है, वह जन्म लेता हैं और मर जाता है। उसका यह चक्र चलता रहता है। चूड़ा अमर होने से आशय है की बाई मीरा ने अपना स्वामी गिरधारी को मान लिया है जो अमर है। आज्या मनमोहन मीरा मेड़तली बुलावे : हे मनमोहन, गिरधारी आप आ जाओ आपको मीरा बाई (मेड़तली-मीरा बाई मेड़ता की थी ) बुलाती हैं। मीरा बुलावे थाने दासी बुलावे : हे स्वामी आपको मीरा बाई बुला रही है, आपकी दासी बुला रही है। तुलसी की माला त्यागो, सेवा सालगराम की : राणा जी मीरा बाई की भक्ति से प्रशन्न नहीं थे और वे मीरा को कहते हैं की तुलसी की माला और पत्थर की मूर्ति (सालिग्राम) को त्याग दो। जप तप नेम व्रत, धुन घनश्याम की : तुम्हारे तप तप, व्रत और घनश्याम की धुन को छोड़ दो। भगवा उतारो मीरा, राणों समझावे है : राणाजी मीरा को समझाते हुए कहते हैं की तुम यह भगवा उतार दो। मीठी लागे, मीठी लागे, मीठी मेरा साँवरा, भजना से लागे मीरा मीठी रे : भजनों से मीरा बाई मीठी लगती हैं। उदयपुर राणा, भजना सूं लागे मीरा मीठी रे : उदयपुर के राणा जी हरी भजनों के कारण ही मीरा बाई सभी को मीठी लगती हैं। बाबोसा मायड़ म्हानें लाड लडाई : मेरे दादा (बाबोसा) और माँ (मायड़) ने मुझे खूब लाड प्यार से रखा, मेरा ध्यान रखा। राम जाणे राणा संग कैयां परणाई : यह राम ही / ईश्वर ही जानता है की उन्होंने मुझे आपके (राणा जी) साथ कैसे परणाई (शादी कर दी ) . थारी तो प्रीत राणा, दाय कोनी आवे रे : राणा जी आपकी प्रीत दिखावटी है जो मुझे पसंद (दाय) नहीं आई है। सरवरिया रा तीर, या नानी नीर बहावे रे : नदी के किनारे नानी बाई आंसू बहा रही हैं। माँ का जाया बिन कुण, भात भरण आवे रे : माँ जाया भाई (सगा भाई) के बिना कौन भात भरे ? पत्थर ने काई पूजो, अइयां बोल्या राणा जी : राणाजी का पुनः बाई मीरा से संवाद है की तुम पत्थर को क्या (काई) पूज रही हो। ऐसे (अइयां) राणाजी कहते हैं। ठाकुर ने जिमावो जद, सांची प्रीत जाणा जी : यदि तुम ठाकुर जी को सच में भोग लगा दो, ठाकुर जी सच में तुम्हारा खाना खा लें तो मैं मानूंगा की तुम्हारी प्रीत सच्ची है। झूटी कपटणी कुल के दाग़ लगाव है : मीरा बाई को उलाहना देते हुए राणा जी कहते हैं की तुम तो झूठी हो और कुल के दाग लगाने का कार्य कर रही हो। दूध को कटोरो भर के, ल्याई मीरा बाई : बाई मीरा राणा जी को यह दिखाने के लिए की उनकी भक्ति सच्ची है, दूध का कटोरा भर कर लाती हैं और श्री श्याम जी की मूर्ति के समक्ष रख देती हैं। पियो म्हारां भोला ठाकुर भक्त दुहाई : मीरा बाई मूरत से कहती हैं की मेरे श्याम आप इसे ग्रहण करो ये मेरे भोले भक्त की दुहाई है। दासी उदासी मीरा आँसू ढलकाव है : मीरा बाई उदास होकर आंसू बहाती (ढलकावे) हैं। मीरा की पुकार सुणकर मोटो धणी आयो : मीरा की पुकार सुनकर श्री श्याम (मोटो धणी ) आते हैं। दूध को कटोरो भरियो, सारो गटकायो : भरे हुए दूध के कटोरे को सारा गटका जाते हैं, पी जाते हैं। मीरा की प्रतिज्ञा राखे लाज बचावे है : इस प्रकार बाई मीरा की लाज को श्री श्याम बचाते हैं। म्हारा साँवरा गिरधारी : कर्मा बाई साँवरे से कहती हैं। खींचड़ खा ले रे बनवारी : हे बनवारी आप मेरा खींचड़ (खिंचड़ी) को स्वीकार करो। करमा बाई विनती करके हारी, बेटी जाटां री, बेटी जाटां री : करमा बाई श्री श्याम से विनती करके हार जाती हैं। जाट जाती से होने के कारण इन्हे बेटी जाट री कहा गया है। अमर सुहागण भागण राठोड़ा री जाई : बाई मीरा अमर सुहागण हो गई हैं, ऐसी भाग्यशाली हैं राठोड कुल में जन्मी मीरा बाई। पिहरियो सासरियो दोन्यूं त्यारो मीरा बाई : पीहर और ससुराल दोनों को मीरा बाई त्याग देती हैं। भगत मीरा की ओळ्यू माधोसिंह गावे रे : भक्त माधो सिंह कहते हैं की उनको श्री श्याम की याद आती है और वे इस प्रकार से गाते हैं।
Aise Var Ko Kya Varu Main, Jo Janamen Aur Mar Jaay, Var Varasyoo Ek Saanvaro, To Mhaaro Chudalo Amar Ho Jaay.