तेरी काया नगर का कौन धणी मीनिंग

तेरी काया नगर का कौन धणी

तेरी काया नगर का कौन धणी लिरिक्स मीनिंग Teri Kaaya Nagar Ko Koun Dhani Lyrics

मोटी माया सब तजे ने झीणी तजे ना कोय,
पीर पैगंबर औलिया, झीनी सबको खाय।
माया माथे सिंगड़ा, लम्बा नौ नौ हाथ,
आगे मारे सिंगड़ा, पाछे मारे लात।
माया तजि तो क्या भय, मान तजा ना जाय,
मानि बड़े मुनियर गिले, यो मान सब ने खाय।

तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी,
हे पांच जाणी पच्चीस जणी,
मारग में लुटे पांच जणी
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी

हां आशा तृष्णा नदियां भारी,
बह गया संत बड़ा ब्रह्मचारी हरे हरे,
हे जो उबरे सो शरण तिहारी,
चमके जैसे सेल अणी,
मारग में लुटे पांच जणी
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी

हां वन में लुट गया मुनीजन नंगा,
डसगई  ममता उल्टा टांगा हरे हरे
हां जाके कान गुरू नहीं लागा,
सिंह रूसी पर यान बनी,
मारग में लुटे पांच जणी,
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी,
हे पांच जाणी पच्चीस जणी,
मारग में लुटे पांच जणी
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी

इंद्र बिगाड़ी गौत्र मना री,
कुब्जा ले गया कृष्ण मुरारी हरे हरे,
राधा रुक्मण बिलखत हारी,  
हां रामचंद्र पर आन बनी,
मारग में लुटे पांच जणी,
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी,
हे पांच जाणी पच्चीस जणी,
मारग में लुटे पांच जणी
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी

साधु संत मिल रोके घाटा,
साधु चढ़ गया उल्टी बाटा हरे हरे,
ओघट घाटा रोक लिया रे,
पार उतारो आप धणी,
मारग में लुटे पांच जणी,
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी,
हे पांच जाणी पच्चीस जणी,
मारग में लुटे पांच जणी
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी

साहिब कबीर गुरु दिना हेला,
धरमदास सुणो लो नित चेला हरे हरे,
माया मोह में उलझ रहा है,
पार उतारो आप धणी,
मारग में लुटे पांच जणी,
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी,
हे पांच जाणी पच्चीस जणी,
मारग में लुटे पांच जणी
तेरी काया नगर का कौन धणी,
मारग में लुटे पांच जणी

तेरी काया नगर का कौन धणी मीनिंग

मोटी माया सब तजे ने झीणी तजे ना कोय,
पीर पैगंबर औलिया, झीनी सबको खाय : जो सब को आसानी से दिख जाती है, ऐसी मोटी माया को सभी छोड़ देते हैं लेकिन सूक्ष्म माया को छोड़ा नहीं जा सकता है। यह सूक्ष्म माया शोध का विषय है क्योंकि यह अभिमान ही पीर पैगंबर, सभी को खा जाती है। झीणी से आशय सूक्ष्म से है।
माया माथे सिंगड़ा, लम्बा नौ नौ हाथ,
आगे मारे सिंगड़ा, पाछे मारे लात :
माया सदा बुरा ही करती है। उसके सर पर लम्बे लम्बे सींग है जैसे नौ हाथ लम्बे। आगे से ये सींग से प्रहार करती है वहीँ पीछे से लात मारती है।
माया तजि तो क्या भय, मान तजा ना जाय,
मानि बड़े मुनियर गिले, यो मान सब ने खाय : माया को छोड़ देने से क्या हुआ, अभिमान छोड़ा नहीं जा रहा है। बड़े बड़े साधू, मुनिवर इन सभी को माया पल खा जाती है।
तेरी काया नगर का कौन धणी, मारग में लुटे पांच जणी : तेरी इस काया रूपी नगर का मालिक/धणी/रखवाला कौन है ? मार्ग में पांच जनि लूटने वाली हैं। पांच इन्द्रियों को पांच लुटेरियाँ कहा गया है जो मार्ग में खड़ी रहती हैं।
हे पांच जाणी पच्चीस जणी, मारग में लुटे पांच जणी : इनको पांच और पच्चीस जानो, ये मार्ग में खड़ी हैं।
हां आशा तृष्णा नदियां भारी, बह गया संत बड़ा ब्रह्मचारी हरे हरे : आशा और तृष्णा बहुत गहरी और प्रभावी होती हैं जो अपने चपेट में संत और बड़े बड़े ब्रह्मचारियों को भी ले लेती।
हे जो उबरे सो शरण तिहारी : माया के  इस जाल से वही उबर पाया है जिसने गुरु के नाम की शरण ली है।  

तेरी काया नगरी का कुण धनी Teri Kaya Nagar Ka Kun Dhani (कबीर भजन) मोहनलाल राठौर

Chamake Jaise Sel Ani,
Maarag Mein Lute Paanch Jani
Teri Kaaya Nagar Ka Kaun Dhani,
Maarag Mein Lute Paanch Jani

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